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दुनिया में आ रहा है फ्रीलांस का दौर

अमेरिका ही नहीं भारत में भी फ्रीलांस करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था में इससे काफी योगदान हो रहा है। बता रहे हैं

Last Updated- January 15, 2025 | 11:39 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर

भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) कलकत्ता से स्नातक करने के बाद सन 1971 में जब मैंने बंबई में पहली नौकरी शुरू की तो मैं चकित रह गया था: मेरे सामने जो दफ्तर था वहां 50 फीसदी हिस्सा युवक-युवतियों से भरा था। उनके सामने टाइपराइटर रखे थे और टाइपिंग करने के लिए वे उनके कीबोर्ड को पीटे जा रहे थे। मैं जिस दफ्तर में था, वह उस समय देश की सबसे रचनात्मक विज्ञापन एजेंसी का दफ्तर था। मैं 21 वर्ष का था और मेरा दिमाग घूमने लगा: क्या इस कंपनी ने अखबारों में छपने वाले वे सभी शानदार विज्ञापन इसी तरह बनाए हैं? क्या मशीनी टाइपराइटर का इस्तेमाल ही सबको रचनात्मक बना रहा था?

आज भी जब मैं ऐसी कंपनियों के बारे में सुनता हूं, जहां हजारों कर्मचारी दफ्तर में बैठकर कंप्यूटर पर काम करते हैं तो अचरज में पड़ जाता हूं। फिर कंपनी चाहे वित्तीय क्षेत्र की हो, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की हो या किसी अन्य क्षेत्र की। साथ ही मैं सोचने लगता हूं कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के विकास के साथ दफ्तरों से क्या ये पर्सनल कंप्यूटर भी उसी तरह गायब हो जाएंगे, जैसे कंप्यूटर आने के बाद टाइपराइटर और टाइपिस्ट दफ्तरों से खत्म होने लगे थे। क्या पर्सनल कंप्यूटरों पर काम करने वाले ये युवक-युवतियां भी इसी तरह दफ्तरों से विदा हो जाएंगे?
भविष्य में किस तरह के बदलाव आ सकते हैं इसके कुछ संकेत हालिया खबरों में नजर आते हैं। उदाहरण के लिए अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़े देखिए, ‘2024 में तकरीबन 38 फीसदी अमेरिकी कामगार यानी लगभग 6.4 करोड़ लोग फ्रीलांस कामकाज कर रहे हैं। इस अनुमान के अनुसार 2027 तक अमेरिका की कुल श्रम शक्ति में करीब 50 फीसदी लोग फ्रीलांस काम करने वाले हो सकते हैं।’

गहराई से पड़ताल करने पर पता चलता है कि यह रुझान इसलिए नहीं आया है कि नियोक्ता अपने दफ्तरों में पूर्णकालिक कर्मचारियों की संख्या कम कर रहे हैं बल्कि कर्मचारी खुद ऐसा चाह रहे हैं। ज्यादा समय नहीं हुआ जब मध्य वर्ग के हम सभी लोग मानते थे कि किसी दफ्तर में पूर्णकालिक या स्थायी कर्मचारी होना एक तरह से खुशहाल जीवन की गारंटी है।

आगे और जानकारी जुटाने पर पता चलता है कि जेन जी (1997 से 2010 के बीच जन्म लेने वाली पीढ़ी) के तकरीबन 52 फीसदी सदस्य और मिलेनियल (1981 से 1996 के बीच जन्मे) आबादी के 44 फीसदी लोग फ्रीलांसिंग कर रहे हैं। इसका मतलब है कि जो लोग युवा हैं, वे फ्रीलांस कामकाज कर रहे हैं। मुझे लगता था कि इन फ्रीलांसरों में अधिकतर वे लोग होंगे, जिन्हें अच्छी शिक्षा नहीं मिली होगी और जो कम वेतन वाले एक काम से दूसरे काम के बीच भागाभागी करते होंगे। परंतु खबरों के मुताबिक आधे से अधिक फ्रीलांसरों के पास स्नातकोत्तर डिग्री है। इससे संकेत मिलता है कि स्वतंत्र रूप से काम करने वालों में भी उच्च शिक्षित लोगों की संख्या बहुत अधिक है। यह भी संभव है कि युवा महिलाएं रोजाना दफ्तर में घंटों बिताने के बजाय फ्रीलांसिंग करना पसंद कर रही हों क्योंकि इससे उन्हें अपने छोटे बच्चों की देखभाल करने का भरपूर समय मिल जाता है। परंतु सवाल का सही जवाब इससे भी नहीं मिलता क्योंकि फ्रीलांसिंग करने वालों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या करीब बराबर ही है। इनमें 52.3 फीसदी महिलाएं और 47.7 फीसदी पुरुष हैं। जाहिर है कि फ्रीलांसिंग चुनने के पीछे कोई और वजह काम कर रही है।

इसके अलावा शोध बताता है कि ये नई पीढ़ी काम करने का समय खुद तय करना पसंद करती हैं और वे परियोजनाएं ही चुनती हैं, जो उन्हें दिलचस्प लगती हैं। साथ ही ये काम और निजी जीवन में संतुलन कायम करने का प्रयास करती हैं। फ्रीलांसिंग में उन्हें जगह चुनने, अपनी आजादी को सबसे ऊपर रखने, सार्थक काम करने और लीक से हटकर करियर चुनने का मौका मिलता है। फ्रीलांसर सीमाओं के पार यानी विदेश के क्लाइंट्स के साथ भी काम कर सकते हैं। इससे उन्हें उच्च आय अर्जित करने तथा तरह-तरह के लोगों के साथ काम करने के अवसर मिलते हैं। वैश्विक प्लेटफॉर्म कुशल कर्मचारियों को ऊंचे मेहनताने वाले बाजारों की मांग पूरा करने लायक बनाते हैं।

अमेरिका की अर्थव्यवस्था में फ्रीलांसरों को अहम योगदान है। फोर्ब्स के मुताबिक 2023 में उनकी कुल आय करीब 1.27 लाख करोड़ डॉलर रही। शायद अब समय आ गया है कि नीति निर्माता फ्रीलांसरों को अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा मानें और ऐसे कानून बनाएं, जिससे यह बात साबित भी होती हो। अगर आपको लगता है कि यह सब केवल अमेरिका में हो रहा है और भारत पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा तो नीति आयोग के कुछ आंकड़े लिए पेश हैं। 2020-21 में हमारी अर्थव्यवस्था में लगभग 77 लाख गिग (फ्रीलांस के लिए दूसरा शब्द) कर्मचारी थे, जिनकी संख्या 2029-30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ पर पहुंच जाएगी।

देश के फ्रीलांस कर्मियों का बड़ा हिस्सा आईटी क्षेत्र में काम करता है और वेब डेवलपमेंट, ऐप डेवलपमेंट, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग तथा साइबर सिक्युरिटी के क्षेत्र में काम कर रहा है। कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, सोशल मीडिया प्रबंधन और डिजिटल मार्केटिंग जैसे कामों में भी फ्रीलांसर काफी ज्यादा हैं।

ऑनलाइन कोचिंग, पाठ्यक्रम तैयार करमने और एजुकेशनल प्लेटफॉर्म के लिए कंटेंट तैयार करने के क्षेत्र में भी फ्रीलांस काम बढ़ रहा है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में योग प्रशिक्षक, फिटनेस प्रशिक्षक, आहार विशेषज्ञ और मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार भी वर्चुअल तथा निजी तौर पर फ्रीलांस सेवाएं दे रहे हैं। फ्रीलांस पत्रकार, ब्लॉगर और संपादक भी मीडिया संस्थानों तथा स्वतंत्र मंचों के लिए काम करते हैं। इससे उन्हें स्थानीय मुद्दों से लेकर अंतरराष्ट्रीय मामलों तक अलग-अलग विषयों पर काम करने का मौका मिल जाता है।

थोड़ा सोचने पर मुझे अहसास हुआ कि भारत में भी कुछ लोग लंबे समय से फ्रीलांसिंग कर रहे हैं। अंतर इतना है कि उन्हें फ्रीलांसर के बजाय ‘प्राइवेट प्रैक्टिशनर’ कहा जाता है। उदाहरण के लिए दशकों से डॉक्टरों, अधिवक्ताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंटों का एक बड़ा धड़ा निजी तौर पर काम यानी प्राइवेट प्रैक्टिस करता आया है। मेरे पिता और नाना डॉक्टर थे तथा प्राइवेट प्रैक्टिस करते थे। इसे मध्य वर्ग में स्वीकार्य और सम्मानजनक माना जाता था। माना जा सकता है कि आज भारत में 80 फीसदी डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करते हैं और देश में 13 लाख पंजीकृत वकीलों का बड़ा हिस्सा तथा 4 लाख चार्टर्ड अकाउंटेंटों में से 40 फीसदी ऐसे ही काम करते हैं।

अब अंतर यह आ गया है कि डिजिटल तकनीक फ्रीलांस अर्थव्यवस्था में खास भूमिका निभा रही है। उदाहरण के लिए ईमेल, चैट ऐप और वीडियो कॉन्फ्रेंस आदि के जरिये तात्कालिक संवाद संभव है, जिससे सेवा प्रदान करना आसान हो गया है। डिजिटल मार्केटिंग रणनीतियों और ऑनलाइन फ्रीलांस प्लेटफॉर्म की मदद से पहुंच बढ़ी है। अब यह पेशा किसी एक शहर, कस्बे या भौगोलिक इलाके तक सीमित नहीं है बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये फ्रीलांसर अधिक आकर्षक बाजारों तक पहुंच रहे हैं।

तो आइए, फ्रीलांस अर्थव्यवस्था का स्वागत करें क्योंकि यह दुनिया के हर पेशे में पैठ बना रही है।

First Published - January 15, 2025 | 11:34 PM IST

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