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अक्टूबर में कमजोर रहा देश का श्रम बाजार

Last Updated- December 14, 2022 | 10:21 PM IST

कोविड-19 महामारी से अस्त-व्यस्त हुई भारत की अर्थव्यवस्था के दोबारा पटरी पर लौटने की रफ्तार ढीली होती दिख रही है। सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड्स हाउसहोल्ड सर्वे से आए श्रम बाजार के आंकड़ों के अनुसार मई में आर्थिक गतिविधियों में तेजी दिखी थी और जून में रफ्तार और तेज हो गई थी। यह सिलसिला जुलाई में भी जारी रहा। हालांकि इसके बाद अगस्त और सितंबर में मामला सुस्त पड़ गया। अब ऐसा लगने लगा है कि अक्टूबर में हालात और बिगड़ सकते हैं। भारत जैसे विकासशील देशों में श्रम बाजार की परिस्थितियों का आकलन रोजगार दर से किया जाता है। यह काम करने लायक कुल आबादी और रोजगार में लगे लोगों का अनुपात होता है।
वित्त वर्ष 2019-20 में रोजगार दर 39.4 प्रतिशत थी। यह अप्रैल 2020 में कम होकर 27.2 प्रतिशत रह गई, लेकिन बाद में 300 आधार अंक के सुधार के साथ यह मई में 30.2 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। जून में रोजगार दर में शानदार सुधार हुआ और यह 600 आधार अंक की तेजी के साथ 36.2 प्रतिशत हो गई। जुलाई में रोजगार दर में 140 आधार अंक की और तेजी आई और यह 37.6 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई। अगस्त में इसमें सुस्ती आनी शुरू हो गई जब यह कम होकर 37.5 प्रतिशत रह गई। सितंबर में इसमें 38 आधार अंक का मामूली सुधार हुआ। हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि 2019-20 में औसत रोजगार दर में सुधार आने से पहले ही इसमें सुस्ती आनी शुरू हो गई थी। अक्टूबर में रोजगार के आंकड़े खस्ताहाल दिख रहे हैं। इस महीने के पहले तीन सप्ताहों में रोजगार दर सितंबर की 38 प्रतिशत की तुलना में कमजोर रही। अक्टूबर के पहले तीन सप्ताहों में यह दर क्रमश: 37.6 प्रतिशत, 37.5 प्रतिशत और 37.9 प्रतिशत रही।
रोजगार दर में आ रही गिरावट थामना किसी चुनौती से कम नहीं है। रोजगार दर स्थिर रहे केवल इसके लिए ही अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त रोजगार सृजन की दरकार होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो काम करने वाले लोगों की संख्या में इजाफे के अनुसार ही बाजार में रोजगार उपलब्ध होना चाहिए। रोजगार फिलहाल जहां है वहां से इसमें कमी नहीं आने देना चाहिए। इसकी वजह यह है कि काम करने वाले युवाओं की आबादी स्वाभाविक तौर पर बढ़ती रहती है और इसी अनुपात में रोजगार सृजन की भी आवश्यकता होती है। पिछले चार वर्षों के दौरान प्रत्येक वर्ष रोजगार दर में गिरावट आई है। इसकी वजह यह है कि रोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित नहीं हो पाए हैं।
अक्टूबर 2020 के पहले तीन सप्ताहों में रोजगार दर में गिरावट आने की मुख्य वजह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दर में आई गिरावट है। सितंबर में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दर 39.8 प्रतिशत थी। लॉकडाउन के बाद यह अपने सर्वोच्च स्तर पर थी और वर्ष 2019-20 की 40.7 प्रतिशत के मुकाबले बहुत कम नहीं थी। हालांकि ऐसा लगने लगा है कि ग्रामीण क्षेत्र 40 प्रतिशत या इससे अधिक रोजगार बरकरार रखने में सफल नहीं रहे हैं। 6 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में साप्ताहिक रोजगार दर 39.9 प्रतिशत रही थी, लेकिन इसके बाद इसमें गिरावट आई है। 4 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में रोजगार दर कम होकर 39 प्रतिशत रह गई और 11 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह और फिसलकर 38.8 प्रतिशत रह गई। यह 18 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में सुधरकर 39.5 प्रतिशत हो गई। हालांकि सितंबर की औसत दर के मुकाबले यह तब भी कम रही। अक्टूबर के पहले तीन सप्ताहों में औसत रोजगार दर 39.1 प्रतिशत रही।
अक्टूबर में रोजगार दर में कमी थोड़ी हैरान करने वाली जरूर है। इस महीने खरीफ फसलों की कटाई अपने चरम पर होती है। फसलों की बुआई चार महीनों तक चलती रहती है, लेकिन ज्यादातर फसलों की कटाई अक्टूबर में ही होती है। विभिन्न फसलों के विकास की अवधि अलग-अलग होती है, लेकिन कपास और गन्ना छोड़कर ज्यादातर फसलें अक्टूबर में काटी जाती हैं। ऐसा संभव है कि अक्टूबर में मनरेगा योजना के तहत रोजगार में कमी आई होगी। 19 अक्टूबर तक इस योजना के तहत 5.85 करोड़ व्यक्ति दिन (एक दिन में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या को रोजगार दिवसों से गुना करने के बाद प्राप्त आंकड़ा) रोजगार सृजित हुए। अक्टूबर 2019 में पूरी अवधि में 13.8 करोड़ व्यक्ति-दिन रोजगार मुहैया कराए गए थे। हालांकि इन आंकड़े में अक्सर संशोधन होते रहते हैं, इसलिए इन्हें लेकर फिलहाल किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है। वैसे अंतर काफी बड़ा है। अक्टूबर 2019 में औसत व्यक्ति-दिन रोजगार का आंकड़ा 44.7 लाख था। अक्टूबर 2020 के पहले 19 दिनों में यह मात्र 30.8 लाख रहा, यानी 31 प्रतिशत कम रहा। चूंकि, पूरे देश में रोजगार दर में ग्रामीण क्षेत्रों का योगदान अधिक होता है, इसलिए इसमें और गिरावट नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में कमी जरूर आई, लेकिन शहरी क्षेत्रों में अक्टूबर 2020 में इसमें सुधार दिखा। सितंबर में देश के शहरी क्षेत्रों में रोजगार दर 34.4 प्रतिशत थी। इससे पहले सितंबर में शहरी क्षेत्रों में रोजगार में तेज गिरावट आई थी, अक्टूबर में आंकड़े बिल्कुल अलग और उत्साह जगाने वाले रहे। शहरी क्षेत्रों में रोजगार दर 34.4 प्रतिशत थी और वर्ष 2019-20 की औसत 36.9 प्रतिशत दर के मुकाबले 254 अंक कम रही। अक्टूबर के पहली तीन सप्ताहों में शहरी क्षेत्रों में औसत रोजगार दर 34.8 प्रतिशत थी। हालांकि यह भी 2019-20 के स्तर से लगभग 200 आधार अंक कम था।
ग्रमीण भारत में रोजगार दर में गिरावट और शहरी क्षेत्रों में इसका लगातार निचले स्तर पर बना रहना देश के श्रम बाजार में सुधार में कमजोरी को दर्शाता है। 2020-21 और 2019-20 के समान महीने में मासिक रोजगार दर में अंतर अगस्त 2020 तक कम रहा। उस समय अंतर महज 182 आधार अंक रह गया था। लेकिन सितंबर में यह बढ़कर 254 अंक हो गया। अक्टूबर में यह अंतर और बढ़ सकता था।

First Published - October 21, 2020 | 11:25 PM IST

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