उद्योग व्यापार की आत्मा और खुशहाली की चाबी है। यह पंक्ति चार्ल्स डिकेंस की है। हाल के वर्षों में पंजाब में भले ही उद्योगों में कमी आई है लेकिन कई नई परियोजनाओं के आने से यहां के उद्योग का तेजी से विकास होने जा रहा है।
इस विकास में भटिंडा स्थित गुरु गोविंद सिंह रिफाइनरी परियोजना, मोहाली में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को विकसित करने के लिए भारत सरकार के साथ हुए समझौते व एम्मार का राज्य में 5000 करोड़ रुपये के निवेश का मुख्य योगदान रहेगा। इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा स्वराज ट्रैक्टर को अधिग्रहित करने से भी उद्योग की विकास दर मजबूत होगी।
भटिंडा स्थित गुरु गोविंद सिंह रिफाइनरी परियोजना को फिर से शुरू करने की योजना से काफी संख्या में लोगों को रोजगार मिलने के साथ उद्योग जगत को भी बड़ा फायदा होने की संभावना है। इस परियोजना पर 18,900 करोड़ रुपये की लागत आने की उम्मीद है। 2011 के जनवरी महीने से एलएन मित्तल की इस परियोजना के आरंभ होने की उम्मीद जताई जा रही है।
9 एमएमटीपीए की इस बड़ी रिफाइनरी परियोजना के आरंभ होने से यहां प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों रूप से काफी अधिक संख्या में रोजगार का सृजन होगा। साथ ही रिफाइनरी से प्लास्टिक व केमिकल की मांग निकलने के कारण इस इलाके में बड़ी संख्या में प्लास्टिक व केमिकल उद्योग के आरंभ होने की संभावना जताई जा रही है। इसके अलावा राज्य सर कार मोहाली में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण के लिए 300 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करने जा रही है।
इसके अलावा राज्य में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उद्योग व वाणिज्य विभाग ने कई सारी योजनाओं को तैयार किया है। सरकार के प्रयास के कारण इंडस्ट्रीयल पार्क, मल्टीप्लेक्स व होटलों के निर्माण के लिए चालू वित्त वर्ष के 31 दिसंबर तक 60, 065.12 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है। इसके अलावा वर्ष 2006-07 के दौरान 1401 करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य वाले 9 बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
राज्यों में अधिक से अधिक उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए सरकार इन उद्योग नीति को भी अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इसके लिए सरकार संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संस्था (यूएनआईडीओ) से भी सलाह कर रही है। जहां तक विशेष आर्थिक क्षेत्र का सवाल है तो पंजाब में सेजों की संख्या अबतक 12 तक पहुंच गई है। 12 में दो के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है तो पांच को औपचारिक मंजूरी दे दी गई है।
क्वार्क सिटी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित होने वाले आईटी सेज पार्क व फार्मा उद्योग के लिए विकसित होने वाले सेज की अधिसूचना जारी कर दी गई है।दोनों ही सेज को मोहाली इलाके में विकसित किया जा रहा है। इस आईटी सेज का विकास फ्रेड इब्राहिमी और मैरी विल्की इब्राहिमी द्वारा 500 रुपये के निवेश से किया जा रहा है। जबकि फार्मा सेज का विकास रैनबैक्सी द्वारा किया जा रहा है।
इस सेज पर 265 करोड़ रुपये का अनुमानित लक्ष्य है। अगर इन सभी निवेश परियोजनाओं को अंजाम दे दिया जाता है तो इसमें कोई शक नहीं है कि राज्य के औद्योगिक विकास की दर काफी तेज गति से आगे चली जाएगी। लेकिन अगर फिलहाल के हालात को देखने पर यहां की स्थिति ठीक नजर नहीं आती।
हालांकि राज्य में रैनेबेक्सी, सोनालिका ट्रैक्टर्स, डीसीएम, ओसवाल वूलेन मिल्स स्वराज ट्रैक्टर्स, स्वराज माजदा, क्वार्क, गुजरात अंबुजा जैसी कंपनियां पहले से हैं फिर भी राज्य के कुल घरेलू उत्पाद में उद्योग का योगदान मात्र 14.49 फीसदी है। जबकि कुल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 20.65 फीसदी है। लेकिन जब से पड़ोसी राज्यों हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड में उद्योगों को विकसित करने के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया है तब से राज्य सरकार ने निवेशकों को रिझाने का काम शुरू कर दिया है।
वित्त मंत्री मनप्रीत बादल भी राज्य में उद्योगों से मिलने वाले उत्पाद कर की मात्रा में कमी की बात को स्वीकारते हैं। वर्ष 2003-04 में उत्पाद कर के रूप में कुल 2686 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई थी वही वर्ष 2006-07 में यह घटकर 867 करोड़ रुपये हो गया। दूसरे क्षेत्रों की भी विकास दर खास कर निर्माण क्षेत्र की विकास दर संतोषजनक नहीं है। पड़ोसी राज्य निर्माण के क्षेत्र में पंजाब के मुकाबले आगे निकल चुके हैं।
निर्माण के क्षेत्र में पंजाब की विकास दर काफी धीमी देखी जा रही है। दसवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पंजाब में यह विकास दर मात्र 5.08 पर रही जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह विकास दर 7.77 फीसदी थी। इसके सेकेंडरी क्षेत्र में 8.40 फीसदी की दर से विकास हुआ जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इस विकास की दर 9.46 रही। यहां तक कि हैंड टूल्स, साइकिल उद्योग व सिलाई मशीन के उद्योगों का रुख अब दक्षिण की ओर देखा जा रहा है।
वर्ष 2005 में अप्रैल से सितंबर के दौरान हैंडटूल्स का 80.97 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया जबकि वर्ष 2006-07 इस क्षेत्र के निर्यात में मामूली गिरावट देखी गई और यह 80.59 मिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। साइकिल के पाटर्स के निर्यात में भी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2005-06 के दौरान जहां यह निर्यात 185 मिलियन डॉलर का रहा वही वर्ष 2006 के अप्रैल से सितंबर महीने के बीच मात्र 87 मिलियन डॉलर का निर्यात किया गया।
ईईपीसी के क्षेत्रीय चेयरमैन एस.सी रल्हन कहते हैं कि पंजाब के निर्यात में गिरावट आने के कई कारण है। इनमें से सबसे प्रमुख कारण पड़ोसी राज्यों में टैक्स से मिलने वाली छूट है। इस कारण से पंजाब में उत्पादन की लागत अधिक होती है जबकि पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश में टैक्स की छूट के कारण यह लागत कम होती है। इसके अलावा पंजाब की भौगोलिक स्थिति के कारण भी यहां के निर्यातकों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
समुद्र तट पास नहीं होने के कारण यहां के निर्यातकों को अधिक लागत आती है।एक तरफ पंजाब में कोई नया निवेश नहीं हो रहा है तो दूसरी ओर पहले से चल रहे उद्योगों को विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर ना पड़ रहा है। हाल फिलहाल में सभी क्षेत्रों के उद्योगों में गिरावट देखी गई है। कई अन्य इकाइयां बंदी के कगार पर हैं।