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जोहरान ममदानी की अप्रत्याशित जीत और NYC के लिए इसके मायने

ममदानी का अभियान न्यूयॉर्क को रहने के लिए एक सुलभ और किफायती स्थान बनाने पर केंद्रित था। उनका समाजवादी एजेंडा असल में शहर में तेज आर्थिक वृद्धि को उकसा सकता है। बता रहे हैं

Last Updated- July 02, 2025 | 10:52 PM IST
Zohran Mamdani

न्यूयॉर्क शहर के मेयर के लिए हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले हैं। इस चुनाव में मिश्रित नस्ल के शिया मुस्लिम एवं लोकतांत्रिक समाजवादी विचारधारा से प्रभावित 33 वर्षीय जोहरान ममदानी जीते हैं। ममदानी अब नवंबर में न्यूयॉर्क के मेयर पद के लिए होने वाले चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी पेश करेंगे। मेयर चुनाव में भी ममदानी के जीतने की प्रबल संभावना दिख रही है।

डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव में मतदान प्रत्याशियों के वरीयता क्रम (रैंकिंग) के आधार पर हुआ था। 1 जुलाई को परिणाम की आधिकारिक पुष्टि हो गई जिसमें ममदानी को विजेता घोषित किया गया। न्यूयॉर्क में डेमोक्रेटिक पार्टी के 33 लाख से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं जबकि रिपब्लिकन पार्टी के ऐसे मतदाताओं की संख्या महज 5.58 लाख है। प्राइमरी जीतने के बाद ममदानी का अमेरिका के सबसे बड़े शहर का मेयर बनना लगभग तय है।

ममदानी की जीत से भारी उलटफेर हुआ है। इस उलटफेर से ममदानी की अपनी पार्टी भी चिंतित है। एक स्थापित मगर आरोपों से घिरे न्यूयॉर्क के पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो पर ममदानी की जीत एक नजीर बन सकती है। डेमोक्रेटिक पार्टी में प्रगतिशील विचार रखने वाले लोग डेमोक्रेटिक प्राइमरी के इस अप्रत्याशित नतीजे को दोहरा सकते हैं। वह अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के वर्चस्व वाली सीटों की पहचान कर प्राइमरी में पुराने, अधिक रूढ़िवादी डेमोक्रेटिक पार्टी के मौजूदा उम्मीदवारों को तगड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। इससे पूरी पार्टी की विचारधारा वामपंथ की तरफ खिसक सकती है।

ममदानी का प्रचार अभियान न्यूयॉर्क को एक किफायती एवं सस्ता शहर बनाने पर केंद्रित था। ‘द बिग ऐपल’ नाम से मशहूर न्यूयॉर्क अमेरिका का सबसे महंगा शहर है। इसके 80 लाख से अधिक निवासी अमेरिका के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 29.2 लाख करोड़ डॉलर में से  1.3 लाख करोड़ डॉलर का योगदान देते हैं। पूरे न्यूयॉर्क राज्य का अमेरिका का जीडीपी में योगदान 2.3 लाख करोड़ डॉलर है और इस मामले में यह केवल टेक्सस और कैलिफोर्निया से ही पीछे है। उनके प्रस्तावों में किराया-नियंत्रित अपार्टमेंट में किराया बढ़ोतरी रोकना, 10 लाख डॉलर से अधिक कमाने वाले न्यूयॉर्क शहर के लोगों पर आयकर 2 फीसदी बढ़ाना (अमेरिका में संघ सरकार के अलावा राज्य भी आयकर लगाते हैं), निःशुल्क सार्वजनिक बसों का परिचालन, भूमिगत रेल (ट्यूब ट्रेन) के किराये में बढ़ोतरी पर रोक, सस्ते आवास में निवेश, पांच साल से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए सार्वभौम स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था, राज्य के कॉलेजों में निःशुल्क शिक्षा और सरकार द्वारा संचालित किराना दुकानें स्थापित करना शामिल हैं।

ममदानी अमीर लोगों पर कर लगाकर अधिक राजस्व जुटाकर न्यूयॉर्क के औसत लोगों पर वित्तीय दबाव कम करना चाहते हैं। इसके साथ ही वह रोजाना के आवागमन सस्ता करने और लोगों के लिए सस्ते आवास की व्यवस्था भी सुनिश्चित करना चाहते हैं। वह बच्चों की देखभाल से जुड़ी सेवाएं, कॉलेज शिक्षा और खुदरा सामान की मुद्रास्फीति पर भी अंकुश लगाने के पक्षधर हैं।

ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी के लोग उन्हें कम्युनिस्ट कह रहे हैं तो इसमें आश्चर्य की बात नहीं है। कुछ लोग तो उनके खिलाफ अभद्र टीका-टिप्पणी भी कर रहे हैं। ये प्रस्ताव वास्तव में समाजवादी सोच का हिस्सा ही कहलाएंगे। यहां तक कि पश्चिमी यूरोप जैसे देशों (जो अमेरिका की तुलना में कहीं अधिक वामपंथी सोच रखते हैं) में भी ममदानी के प्रस्ताव को इसी नजरिये से देखा जाएगा।

ममदानी के प्रचार अभियान में किए गए वादे कुछ हद तक मतदाताओं का समर्थन पाने की मंशा से प्रेरित हो सकते हैं। उन्होंने उन कई पंजीकृत डेमोक्रेटिक पार्टी के मतदाताओं से बात की जिन्होंने 2024 में डॉनल्ड ट्रंप को वोट दिया था। 2024 में न्यूयॉर्क का झुकाव रिपब्लिकन की तरफ तेजी से बढ़ा मगर तब भी यह डेमोक्रेटिक पार्टी के पाले में ही रहा। ट्रंप को वोट देने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के मतदाताओं ने लगातार आर्थिक दबाव से तंग आकर पाला बदला था। उनकी यह सोच बचकाना हो सकती है कि ट्रंप उनके जीवन में आर्थिक खुशहाली ला देंगे मगर मुद्रास्फीति को लेकर उनकी चिंता वाजिब थी।

हालांकि, ममदानी के राजनीतिक करियर में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह संकेत दे रहा हो कि अपने नीतिगत रुख को लेकर उनके मन में कोई शंका है या वह उनके प्रति ईमानदार नहीं हैं। ममदानी ने हमेशा कहा है कि वह कम से कम निम्न से मध्यम आय वाले न्यूयॉर्क वासियों का जीवन अधिक सहूलियत भरा बनाना चाहते हैं।

दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखने वाला और राजकोषीय रूप से रूढ़िवादी कोई भी विचारक विचारधारा से ऊपर उठकर इन नीतियों को उचित ठहरा सकता है। अगर सामाजिक कल्याण में निवेश वास्तव में लंबे समय में न्यूयॉर्क के लिए ऊंची वृद्धि दर और अधिक जीडीपी सुनिश्चित करने में सफल रहते हैं तो उस सूरत में क्या होगा?

न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहर एवं उप-नगरीय क्षेत्र गतिविधि के केंद्र होते हैं। वहां विभिन्न योग्यताएं एवं हुनर रखने वाले लोग एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। एक दूसरे के संपर्क में आने से नए एवं दिलचस्प विचारों का आदान-प्रदान होता है। ये नए विचार नए अवसरों और राजस्व के नए स्रोतों का माध्यम बन जाते हैं। न्यूयॉर्क की 80 लाख आबादी (और शहर में काम से रोजाना आने वाले लोग) अगर 8,000 गांवों में बिखरी हुई रहती तो उनकी उत्पादकता काफी कम हो जाती। शहरों में कचरा निस्तारण, बसों के परिचालन, पानी की आपूर्ति करने और सड़कों की मरम्मत जैसी सेवाओं के लिए निम्न आय वाले श्रमिकों की आवश्यकता होती है। यदि ये लोग शहरों में रहने का खर्च नहीं उठा सकते तो फिर इन सेवाओं की गुणवत्ता खराब हो जाएगी। यदि सेवाओं की गुणवत्ता खराब होगी तो राजस्व सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रतिभाशाली और शिक्षित लोग पलायन करने पर विवश हो जाएंगे।

अगर सेवाएं उच्च-गुणवत्ता की और सस्ती हैं तो शहर नई प्रतिभाओं को आकर्षित कर सकता है। युवा, प्रतिभाशाली लोग कम किराये, निःशुल्क  परिवहन सुविधा, बच्चों की निःशुल्क देखभाल और निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने वाले शहरों में रहना पसंद कर सकते हैं।

लिहाजा, निम्न से मध्यम आय वर्ग के लोगों का जीवन बेहतर बनाने पर विशेष ध्यान उपयोगितावादी आधार पर उचित ठहराया जा सकता है बशर्ते सामाजिक कल्याण पर होने वाला व्यय अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास में योगदान दे। मुझे नहीं पता कि ममदानी की प्रस्तावित कितनी नीतियां क्रियान्वित हो पाएंगी (या वास्तव में वह मेयर बन पाएंगे या नहीं) और इनमें से कुछ व्यावहारिक स्तर पर कितनी कारगर होंगी। लेकिन यह हो सकता है कि यह समाजवादी एजेंडा वास्तव में न्यूयॉर्क की जीडीपी में बढ़ोतरी का माध्यम साबित हो जाए।

First Published - July 2, 2025 | 10:37 PM IST

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