राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) कई मामलों में गुजरे जमाने के योजना आयोग की पंचवर्षीय योजना जैसी लगती है क्योंकि यह भी देश के लिए पांच साल की क्षेत्रवार निवेश योजना बनाती है। एनआईपी की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को राष्ट्र के नाम संबोधन में की थी। एनआईपी तैयार करने के लिए आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कार्य बल बनाया गया। वित्त वर्ष 2021 से 2025 के लिए कार्य बल की अंतिम रिपोर्ट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 29 अप्रैल, 2020 को जारी की। इसमें पांच साल के लिए बुनियादी ढांचे में 111 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रखा गया था।
एनआईपी मार्च 2025 में समाप्त हो रही है, इसलिए समय आ गया है कि अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की जाए और अगले पांच वर्षों के लिए इसे नया रूप दिया जाए। एनआईपी में शामिल हरेक परियोजना 100 करोड़ रुपये से अधिक की है। इनमें नई एवं पुरानी दोनों परियोजनाओं में होने वाले निवेश शामिल हैं। एनआईपी की समीक्षा करने पर कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां मिलती हैं और कुछ क्षेत्रों में मूल योजना से भटकाव भी नजर आता है। एनआईपी की शुरुआत में सोचे गए निवेश और आंकड़े पेश करने तथा अपडेट करने की मौजूदा विधि के बीच तालमेल मुश्किल है। एनआईपी की प्रगति पर नजर रखने वाला इंडिया इन्वेस्टमेंट ग्रिड पोर्टल तत्काल अपडेट होता है। अब 168.93 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनी है, जो शुरुआत में 111 लाख करोड़ रुपये सोचा गया था।
मगर ‘उपलब्धियों’ के आंकड़े शुरू में चौंकाते हैं। इनके मुताबिक 11 मार्च 2025 तक कुल 31.1 लाख करोड़ रुपये का निवेश हो चुका था, जो शुरू में सोचे गए 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश का केवल 28 प्रतिशत है। यह भी सच है कि 61 प्रतिशत योजनाएं अभी क्रियान्वित की जा रही हैं, जिनकी लागत 83.75 लाख करोड़ रुपये है। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विचार, डिजाइन और क्रियान्वयन में चार साल से ज्यादा लग जाते हैं, इसलिए ‘अधूरी परियोजनाओं’ को वास्तविक पूंजी निवेश में गिनना सही रहेगा। इस तरह कुल निवेश 115 लाख करोड़ रुपये बैठेगा। इस तरह मूल योजना का 103 प्रतिशत निवेश हो जाता है! 115 लाख करोड़ रुपये का यह आंकड़ा केंद्र, राज्य, बजट के अलावा संसाधनों (पीएसयू) और निजी क्षेत्र में 20 लाख करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचा निवेश के सालाना अनुमान से भी मेल खाता है।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र में होने वाले कुल निवेश में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत है, इसलिए निजी क्षेत्र से निवेश को बढ़ावा देना बेहद जरूरी लगा। इसे मद्देनजर रखते हुए ही 2021 के आरंभ में राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) शुरू की गई। एनआईपी के साथ इसकी जुगलबंदी का सीधा मकसद पहले से मौजूद सरकारी स्वामित्व वाली सभी बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों को आंशिक या पूरी तरह से निजी क्षेत्र को बेच देना था। यह काम चार साल में किया जाना है और इससे 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।
2024-25 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार एनएमपी के परिणाम काफी उत्साहजनक रहे हैं। सरकार अब तक इसके जरिये 3.86 लाख करोड़ रुपये जुटा चुकी है, जिसमें सड़क, बिजली, कोयला और खनन क्षेत्र का योगदान सबसे ज्यादा है। सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में एनएमपी के जरिये 1.91 लाख करोड़ रुपये और जुटाने का लक्ष्य रखा है। नीति आयोग बुनियादी ढांचे के मुद्रीकरण के लिए अगले पांच वर्ष की योजना तैयायर कर रहा है, जो अगस्त 2025 में जारी की जा सकती है। फरवरी में अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिए कि अगली राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन में पांच साल के दौरान 10 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां बेची जाएंगी।
एनआईपी को नया कलेवर देने के लिए नए लक्ष्य शामिल किए जाने का अनुमान है। अंडमान में गैलेथिया की खाड़ी से लेकर महाराष्ट्र में वधावन तक बड़े बंदरगाहों के विकास पर काम हो रहा है। नए और बड़े हवाई अड्डे भी तेजी से तैयार किए जा रहे हैं। 100 गीगावॉट परमाणु क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के साथ परमाणु ऊर्जा में भारी निवेश की तैयारी भी चलती रहेगी।
राजमार्ग, सौर और पवन ऊर्जा में भारी भरकम निवेश तो चलता ही रहेगा, पंप भंडारण परियोजनाओं और ट्रांसमिशन तथा वितरण नेटवर्क में भी नया निवेश तेजी से आएगा। इसके अलावा अगली एनआईपी में स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास जैसे सामाजिक ढांचे, डिजिटल ढांचे और कृषि क्षेत्र में निवेश पर ज्यादा जोर दिए जाने की संभावना है।
इस तरह भारत बुनियादी ढांचे के लिए योजना तैयार करने के अपने सफर में एक बार फिर अहम पड़ाव पर खड़ा है, जहां नए रूप में आ रहे एनआईपी और एनएमपी भविष्य की राह तय करेंगे।
(लेखक बुनियादी ढांचा विशेषज्ञ हैं। आलेख में वृंदा सिंह ने भी योगदान किया है)