ऐसा अक्सर नहीं होता जब कोई सूदुर इलाके का पिछड़ा हुआ गांव सरकार की टूरिज्म ब्रॉशरों में शामिल हो जाए। इस बार यह करिश्मा करके दिखाया है
आपको यहां आने के लिए कोहिमा से बस के जरिए दो घंटे की थकान भरी यात्रा करनी होगी। खोनोमा प्राकृतिक संरक्षण और ट्रैगोपान अभयारण्य अपने आप में एक अनोखी जगह है जो बेशक स्थानीय लोगों की जागरुकता का बेहतरीन नमूना है। लोगों ने खत्म होती तीतर की प्रजाति क ो बचाने का बीड़ा उठाया है। यह जगह कोहिमा से 20 किमी. दूर दक्षिण–पश्चिम में है। लगभग चार किमी. का सफर आप नेशनल हाईवे पर तय करेंगे लेकिन उसके बाद का सफर पहाड़ियों के टेढ़े–मेढ़े रास्तों से होकर गुजरता है। आपके वाहन को इस फिसलन भरे रास्ते पर सफर करने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ेगा। इसके लिए बेहतर होगा की पुराने वाहन का ही इस्तेमाल किया जाए।
जब आप खोनोमा पहुचेंगे तब वहां खोनोमा पर्यटन विकास बोर्ड आपको विभ्न्नि तरह के पैकेज भी मुहैया कराएंगे। इस बोर्ड को वही के निवासी चलाते हैं। यह अभ्यारण्य ट्रेकिंग और शोध के लिए भी बेहतर जगह है। यहां कई तरह के पारिस्थितिक तंत्र से रूबरू होने का मौका भी है मसलन यहां सदाबहार वन से लेकर सवाना के घास क्षेत्र का नजारा भी देखा जा सकता है। यहां पर कैंप करने के लिए भी जगह है।
जब खोनोमा में अहमदाबाद की ‘सेंटर फॉर इनवायरमेंटल एजुकेशन‘ (सीईई) ने 1994 में काम करना शुरु किया तब यहां बहुत कम जगह थी।ठीक एक साल बाद खोनोमा के निवासी पूरे मन से वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़ गए। सीईई जैसे गैरसरकारी संगठन के प्रयास से लोगों में ऐसी जागरुकता आई। हालांकि ग्राम परिषद ने भी इसे प्रोत्साहन दिया और कुछ व्यावहारिक कानून भी संरक्षण में मददगार हुए। ग्राम परिषद ने
1998 में खोनोमा के 70 वर्ग किमी. तक शिकार को प्रतिबंधित कर दिया। इसके साथ ही जंगली मांस की बिक्री भी रोक दी गई। इसका उल्लंघन करने वालों पर 3 हजार का जुर्माना भी लगाया गया। 2000 में शिकार पर पूरी तरह रोक लगा दिया गया। खोनोमा में वर्ष 2003 में पर्यटन विकास बोर्ड को बनाया गया।