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विदेश व्यापार नीति जारी, कार्य प्रगति पर

Last Updated- April 02, 2023 | 11:29 PM IST
India Trade data

केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय ने अपनी नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी 23) जारी कर दी है। इससे पिछली विदेश व्यापार नीति 2015 में जारी की गई थी और माना जा रहा था कि वह 2020 तक काम आएगी।

इसके बाद कोई नीति जारी नहीं की गई और दलील दी गई कि महामारी के कारण वैश्विक कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ और इसी वजह से अगले पांच वर्षों की नीति का डिजाइन तैयार करने और उसे जारी करने में भी देरी हुई। अब जबकि एफटीपी23 जारी हो चुकी है, यह दलील उतनी ठोस नहीं रह गई है।

नीति में उन बदलावों को लेकर कोई समझ नहीं नजर आती है जो महामारी तथा विभिन्न अन्य कारकों ने वैश्विक व्यापार प्रणाली में पैदा किए हैं। इसमें अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी तनाव, चीन से इतर कई आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्संतुलन, आर्थिक प्रतिबंधों का इस्तेमाल, विकसित देशों में औद्योगिक नीति तथा गैर शुल्कीय गतिरोधों का इस्तेमाल, सब्सिडी में इजाफा तथा अन्य तमाम बदलाव शामिल हैं।

एफटीपी23 के लिए कोई अंतिम तिथि घोषित नहीं की गई है बल्कि यह घोषणा की गई है कि समय आने पर इसमें बदलाव किया जाएगा। यह बात समझदारी भरी प्रतीत होती है क्योंकि वैश्विक हालात को देखते हुए समयबद्ध प्रतिक्रिया देने में कठिनाई हो रही थी।

बहरहाल, एफटीपी23 के कुछ पहलू ऐसे भी हैं जो भारतीय निर्यातकों को आने वाले हालात से बेहतर ढंग से निपटने में मदद कर सकते हैं।

डिजिटलीकरण और प्रक्रियाओं के सामान्यीकरण को इस नीति में प्रमुखता से पेश किया गया है और यह जाहिर तौर पर अच्छी खबर है। सूक्ष्म, छोटे और मझोले उपक्रमों तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रमुख निर्यात केंद्रों से दूर स्थित उपक्रमों को सभी विदेश व्यापार नीतियों में प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए। इस नीति में भी ऐसा ही किया गया है।

यह जोर दिया जाना अधिक उत्साह बढ़ाने वाली बात है कि सरकार अब निर्यातकों को सब्सिडी से दूरी बनाएगी। ऐसा आंशिक तौर पर शायद इसलिए किया जा रहा है कि हाल के दिनों में कुछ क्षेत्रों को लेकर किए गए उपायों ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन किया था और वह दोहराया न जाए। कुछ मानकों को शिथिल किया गया है।

उदाहरण के लिए कूरियर व्यवस्था के जरिये किसी निर्यातक को दी जा सकने वाली राशि को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया है। ऐसे में अभी भी उच्च फैशन या प्रीमियम आभूषण तैयार करने वालों के लिए सीमा तय करना अनावश्यक ही है।

इससे आगे नजर डालें तो सरकार के लिए यह आवश्यक होने जा रहा है कि वह भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का सदस्य बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए। भारत इस मामले में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका है और हाल के वर्षों में उसका प्रदर्शन दबाव में रहा है। आंशिक तौर पर ऐसा इसलिए हुआ कि शुल्क तथा अन्य प्रकार के प्रतिबंधों में इजाफा हुआ है।

यह बुनियादी सोच गलत है कि भारत आयात को पूरी तरह रोक दे और निर्यात को बढ़ावा दे। यह विचार अपनी मियाद गंवा चुका है क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला के मौजूदा ढांचे में यह कारगर नहीं है। आपूर्ति श्रृंखला का वर्तमान ढांचा कई देशों में विस्तारित है और उनमें से हर देश उसका मूल्यवर्द्धन करता है।

विदेश व्यापार नीति ऐसी होनी चाहिए जो न केवल इन हकीकतों को ध्यान में रखे बल्कि एक किस्म की स्थिरता और निरंतरता भी मुहैया कराए जो भविष्य के प्रक्रियागत बदलावों को रेखांकित कर सके। इन मानकों के आधार पर आकलन करें तो एफटीपी 23 को अभी लंबा सफर तय करना है। अच्छी बात यह है कि यह नीति अपने आपको इस रूप में प्रस्तुत करने में सफल रही है कि इस नीति का निर्माण कार्य अभी जारी है।

First Published - April 2, 2023 | 11:29 PM IST

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