facebookmetapixel
चेन्नई में अगली पीढ़ी का इंजन बनाएगी फोर्ड, 2029 से शुरू होगा उत्पादनBFSI Insight Summit 2025: जिम्मेदार टेक्नोलॉजी, मजबूत बाजार और निवेश में संतुलन पर जोरगुणवत्ता से भरी वृद्धि के दौर में आ रहा ब्रोकिंग: शीर्ष अधिकारीनिचले स्तर पर भारतीय बाजार, बनाए रखें निवेश: मार्केट एक्सपर्ट्सइक्विटी सबसे दीर्घावधि ऐसेट क्लास, इसे दीर्घकालिक दृष्टिकोण की जरूरत : देसाईबाजार अब संतुलित दौर में, निवेशकों को जल्दबाजी से बचना चाहिए; BFSI समिट में बोले शीर्ष फंड मैनेजरडिजिटल लेनदेन से अगले दौर की वृद्धि, उद्योग के दिग्गजनिवेशकों की जागरूकता जरूरी: अनंत नारायणजिम्मेदारी संग तकनीक के इस्तेमाल पर बाजार नियामक का जोर: सेबी चीफअचानक बंद नहीं हो सकते डेरिवेटिव: सेबी चेयरमैन पांडेय

Editorial: वृद्धि की निरंतर गति अहम

विकसित अर्थव्यवस्थाएं अब भी उच्च मुद्रास्फीति की चुनौतियों से जूझ रही हैं जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक वित्तीय स्थितियों में सख्ती के रुझान देखे गए हैं।

Last Updated- February 29, 2024 | 10:24 PM IST
GDP Growth Rate

महामारी के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार उम्मीद से कहीं ज्यादा मजबूत रहा है। वर्ष 2021-22 में 9.7 प्रतिशत और वर्ष 2022-23 में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज करने के बाद राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में वर्ष 2023-24 में 7.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि की उम्मीद है। एनएसओ ने अपने पहले अग्रिम अनुमान में चालू वर्ष के लिए 7.3 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया था।

इसका मतलब यह है कि अर्थव्यवस्था लगातार तीसरे साल 7 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से बढ़ेगी, जिसे एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि माना जाना चाहिए क्योंकि वैश्विक आर्थिक माहौल बिल्कुल अनुकूल नहीं रहा है। उदाहरण के तौर पर विकसित अर्थव्यवस्थाएं अब भी उच्च मुद्रास्फीति की चुनौतियों से जूझ रही हैं जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक वित्तीय स्थितियों में सख्ती के रुझान देखे गए हैं।

दूसरी तरफ वृद्धि के महत्त्वपूर्ण कारकों, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र में क्रमशः 8.5 प्रतिशत और 10.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि की उम्मीद है। कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में वृद्धि पिछले वर्ष के 4.7 प्रतिशत की तुलना में बेहद कम करीब 0.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। चालू वर्ष के दूसरे अग्रिम अनुमानों के साथ, एनएसओ ने पिछले वर्षों के लिए संशोधित आंकड़े और चालू वर्ष की तीसरी तिमाही के अनुमान भी जारी किए। वर्ष 2022-23 के लिए वृद्धि अनुमान घटाकर संशोधित किया गया है जिससे कुछ हद तक चालू वर्ष की वृद्धि में मदद मिली है।

इस बीच, अर्थव्यवस्था में अक्टूबर-दिसंबर की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई और इस वजह से विनिर्माण क्षेत्र में भी दो अंकों की वृद्धि देखी गई। संशोधनों के बाद, चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में वृद्धि 8.2 प्रतिशत रही जो यह दर्शाता है कि चालू तिमाही में इसकी गति कमजोर होने की उम्मीद है।

लगातार तीन वर्षों से भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत गति से बढ़ने के अनुमान से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का आत्मविश्वास बढ़ेगा जो आम चुनाव के लिए तैयार है। लेकिन मुद्दा यह है कि क्या यह गति निरंतर बनी रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उम्मीद है कि वर्ष 2024-25 में अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। निष्पक्ष रूप से कहा जाए तो कई चीजें नई सरकार के स्वरूप और उसकी प्राथमिकताओं पर निर्भर होंगी।

लेकिन राष्ट्रीय खाते एक बड़ी अंतर्निहित खामियों का संकेत देते हैं। वर्ष के पहले नौ महीनों में निजी उपभोग व्यय, स्थिर कीमतों के आधार पर लगभग 3.7 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है जो आर्थिक वृद्धि दर के आंकड़े से काफी कम है। हालांकि पूंजी निर्माण में 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, लेकिन निजी क्षेत्र वास्तव में निजी खपत कमजोर रहने पर अपनी क्षमता बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं लेंगे।

हाल के वर्षों में सरकार ने वृद्धि में सुधार के लिए पूंजीगत व्यय पर ध्यान देना शुरू किया था लेकिन वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि निजी क्षेत्र के निवेश चक्र को स्थायी रूप से उभारा जाए। यह काफी हद तक खपत की वृद्धि पर निर्भर करेगा। हालांकि, कर संग्रह में अधिक वृद्धि, सरकार को निवेश बनाए रखने की गुंजाइश देगी। उदाहरण के लिए, निगम और आयकर संग्रह में वर्ष के पहले 10 महीनों में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई।

वैश्विक मोर्चे पर भू-राजनीतिक जोखिमों को छोड़ दें तो हाल के वर्षों की तुलना में व्यापक स्तर पर आर्थिक परिस्थितियों में कम अस्थिरता की उम्मीद है। मौद्रिक नीति के संदर्भ में, मजबूत आर्थिक वृद्धि दर और अगले वित्त वर्ष के लिए इसके अपने अनुमान ही मौद्रिक नीति समिति को वृद्धि की ज्यादा चिंता किए बिना मुद्रास्फीति प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की गुंजाइश देंगे।

First Published - February 29, 2024 | 10:24 PM IST

संबंधित पोस्ट