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संपादकीय: एक बार फिर मुश्किल में अदाणी समूह

अमेरिकी बाजार नियामक सिक्युरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन ने भी एक समांतर मामला दर्ज किया है। अदाणी समूह ने आरोपों से इनकार किया है।

Last Updated- November 24, 2024 | 9:21 PM IST
Adani Total Gas

अदाणी समूह (Adani Group) एक बार फिर मुश्किल में है। इस बार एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर समूह हिंडनबर्ग रिसर्च की तुलना में कहीं अधिक विश्वसनीय स्रोत की ओर से समूह के खिलाफ आरोप लगाया गया है। गत वर्ष हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के कारण बाजार में भूचाल आ गया था। वह रिपोर्ट अदाणी समूह की वित्तीय स्थिति से संबंधित थी।

इस बार ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क के फेडरल प्रॉसिक्यूटर ने समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी, उनके भतीजे तथा कुछ अन्य अधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने अनुबंध हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत दी।

फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन द्वारा की जा रही जांच में अगर आरोप साबित होते हैं तो यह अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन होगा क्योंकि अन्य देशों में रिश्वत देने को भी अमेरिकी निवेशकों के साथ धोखाधड़ी माना जाता है। आरोपों में यह बात भी शामिल है कि जांच एजेंसियों को भ्रमित किया गया और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणों को मिटाया गया। अमेरिकी बाजार नियामक सिक्युरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन ने भी एक समांतर मामला दर्ज किया है। अदाणी समूह ने आरोपों से इनकार किया है।

बहरहाल, यह खबर आते ही समूह की कंपनियों को दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, हालांकि अगले दिन उन्होंने कुछ हद तक वापसी कर ली।

संभव है कि समूह को अदालतों में जीत भी हासिल हो जाए। यकीनन यह एक खुला प्रश्न है कि क्या जनवरी में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभाल लेने तथा न्याय विभाग में कई पदों पर नियुक्तियां बदलने के बाद भी इस मामले में अभियोजन जारी रहेगा। इसके बावजूद जब तक यह प्रक्रिया चलेगी अदाणी समूह तथा उसकी कंपनियों को इसकी कीमत चुकानी होगी। समूह को पहले ही 60 करोड़ डॉलर की बॉन्ड बिक्री को निरस्त करना पड़ा है। समूह के कई उपक्रम शायद अब नजर ही नहीं आएं।

नैरोबी के जोमो केन्याटा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्‌डे को नए सिरे से विकसित करने और उसे तीन दशक तक चलाने की 1.85 अरब डॉलर की उसकी योजना केन्या में काफी समय से विरोध प्रदर्शन का विषय रही है। अब अमेरिका से यह मामला सामने आने के बाद इस सौदे को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया गया है।

केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने राष्ट्र प्रमुख के रूप में केन्या की संसद को संबोधित करते हुए यह घोषणा की, ‘हमारी जांच एजेंसियों और साझेदार देशों से हासिल नई सूचनाओं’ के कारण हम इस साझेदारी को समाप्त कर रहे हैं। रुटो ने बिजली की लाइनों के उन्नयन के 73.6 करोड़ डॉलर के सौदे को भी समाप्त कर दिया, हालांकि इस सौदे को एक स्थानीय अदालत पहले ही निलंबित कर चुकी थी। समूह के व्यापक हितों को देखते हुए आने वाले दिनों में ऐसी और घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।

एक ऐसे समूह के लिए जो ऐसे क्षेत्रों में काम करता है जहां पैसे जुटाने और राजनीतिक जोखिम कम करने की क्षमता अहम है, ऐसी खबर को आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है। समूह को अपने नाम को पाक-साफ करने और मौजूदा तथा मुनाफे में चल रहे उपक्रमों को इसके नकारात्मक असर से बचाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। उसे अदालती प्रक्रियाओं के साथ भी पारदर्शी ढंग से सहयोग करना होगा। यह भारत के राष्ट्रीय हित का भी मामला है।

प्रतिष्ठा को पहुंची यह क्षति किसी एक समूह तक सीमित नहीं है। वेदांत रिसोर्स ने भी बाजार में अस्थिरता को देखते हुए डॉलर बॉन्ड बिक्री की योजना को फिलहाल स्थगित कर दिया है। भारतीय अधिकारियों को यह समझने की जरूरत है कि उनका अमेरिकी समकक्षों के साथ सूचनाओं को समय से साझा करना जरूरी है। ऐसा करके ही भारतीय व्यवस्था में विश्वास बहाल किया जा सकेगा और कंपनियों की दुनिया भर में धन जुटाने की क्षमता बरकरार रहेगी।

इस संदर्भ में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड और भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समूह की कंपनियों के प्रकटीकरण में कोई अंतराल नहीं हो। केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों की जांच एजेंसियों को भी मामले की जांच करनी चाहिए क्योंकि कथित रूप से रिश्वत देने की घटना भारत में हुई है।

जांचों के नतीजों से इतर, यह घटना राष्ट्रीय स्तर के अग्रणी समूहों को बढ़ावा देने के जोखिम को भी रेखांकित करती है। एक समूह की समस्या भारत की समृद्धि की व्यापक कहानी को प्रभावित कर सकती है।

First Published - November 24, 2024 | 9:21 PM IST

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