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Editorial: जीएसटी आंकड़ों का व्यापक उपयोग, नीतियों और बाजार के लिए छिपे खजाने का खुलासा

जीएसटीएन इन आंकड़ों को अन्य स्थानों पर इस्तेमाल करने का अनिच्छुक रहा है और इस बात को समझा जा सकता है क्योंकि इसे लेकर निजता और सुरक्षा संबंधी जोखिम हैं।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- September 15, 2024 | 9:25 PM IST

सात वर्ष पहले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की शुरुआत के बाद से अब तक जीएसटी नेटवर्क यानी जीएसटीएन ने बहुत बड़ी तादाद में लेनदेन दर्ज किए हैं। सवाल यह है कि क्या इन आंकड़ों को अन्य स्थानों पर इस्तेमाल किया जा सकता है। जीएसटीएन इन आंकड़ों को अन्य स्थानों पर इस्तेमाल करने का अनिच्छुक रहा है और इस बात को समझा जा सकता है क्योंकि इसे लेकर निजता और सुरक्षा संबंधी जोखिम हैं।

परंतु समुचित गोपनीयता के साथ इस आंकड़े का इस्तेमाल न केवल नीति निर्माताओं के काम आ सकता है बल्कि व्यापक जनता और बाजार भी इससे उपयोगी काम कर सकते हैं। जीएसटी परिषद को जीएसटीएन को यह निर्देश देना चाहिए ताकि वह जनता और नीति निर्माताओं को समुचित ढंग से सूचित कर सके।

जीएसटी के आंकड़ों का एक संभावित इस्तेमाल केंद्र सरकार के सांख्यिकीविदों (जो केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को रिपोर्ट करते हैं ) ने सुझाया है। खबरों के मुताबिक देश का आधिकारिक उत्पादन अनुमान जल्दी ही जीएसटी आंकड़ों पर आधारित हो सकता है। सकल घरेलू उत्पाद यानी जीएसटी के आकलन के आधार वर्ष में बदलाव की समुचित व्यवस्था बन जाने के बाद ऐसा किया जा सकता है।

आर्थिक गतिविधियों के आकलन के मौजूदा तरीकों को लेकर कई किस्म की आलोचनाएं देखने को मिल चुकी हैं। एक प्रमुख चिंता रही है केंद्रीय कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत कंपनियों की बैलेंस शीट का इस्तेमाल किया जाना। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के आंकड़ों में निजी क्षेत्र के मूल्यवर्धन को कारोबारी आय में शामिल करने से यह जोखिम रहता है कि अनुमान बड़े और संगठित उपक्रमों की ओर झुक जाएंगे।

खासतौर पर यह देखते हुए कि फिलहाल बड़े और छोटे उपक्रमों के बीच नीतियों के अलग और असमान प्रभाव को लेकर कई तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं। आधिकारिक आंकड़ों में ऐसा पूर्वग्रह एक गंभीर समस्या है।

जीएसटी परिभाषा के अनुरूप ही संगठित क्षेत्र द्वारा किए जाने वाले भुगतान पर आधारित है। इसके बावजूद इसकी पहुंच कहीं अधिक विस्तृत है और इसमें इतने विविध लेनदेन शामिल हैं कि इससे बेहतर अनुमान निकाले जा सकते हैं। इसके अलावा जीएसटी के आंकड़े कंपनियों की रिपोर्ट की तुलना में अधिक नियमित और ठोस भी होते हैं। कंपनियों की रिपोर्ट तिमाही आती हैं जबकि जीएसटी के आंकड़े मासिक स्तर पर दर्ज किए जाते हैं।

निश्चित रूप से अलग-अलग और समेकित जीएसटी डेटा का इस्तेमाल करने के और भी कई तरीके हैं। उदाहरण के लिए व्यक्तिगत कर दाता स्तर पर यह देखा जाना चाहिए कि क्या इसका इस्तेमाल उस यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस के लिए किया जा सकता है जो रिजर्व बैंक के इनोवेशन हब द्वारा तैयार किया जा रहा है। समुचित सुरक्षा और निजता के बचाव के उपायों के साथ यह कर्जदाताओं को संभावित कर्जदारों के बारे में उपलब्ध सूचनाओं की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकता है।

समेकित आंकड़ों को समुचित ढंग से गोपनीय बनाया जाना चाहिए और उसके बाद सार्वजनिक रूप से उन्हें जारी किया जाना चाहिए। किन वस्तुओं और स्लैब के आंकड़े कितने राजस्व वाले हैं, यह बात इस चर्चा में अहम भूमिका निभा सकती है कि जीएसटी में कैसे सुधार किए जाएं कि अधिक राजस्व आ सके और इस दौरान प्रक्रिया भी सहज हो सके।

ऐसे आंकड़े देश की अर्थव्यवस्था के कामकाज के बारे में काफी कुछ बताएंगे और कारोबारी मॉडल में उपयुक्त बदलावों की राह आसान करेंगे। ऐसे में जीएसटी में स्लैब कम करने की ओर बढ़ना होगा। कई कारोबारी और छोटे उद्यमी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं।

परंतु इस दलील को सरकार के लिए प्रभावी बनाने के लिए प्रति स्लैब उचित इजाफा राशि की जानकारी होनी चाहिए ताकि आकलन करके राजस्व बढ़ाने वाली या राजस्व निरपेक्ष दर तय की जा सके। जीएसटीएन की निजता और सुरक्षा की चिंता महत्त्वपूर्ण है और उसका सम्मान करना चाहिए लेकिन इन चिंताओं को दूर किया जा सकता है।

First Published : September 15, 2024 | 9:25 PM IST