देश को अनाज के मामले में मजबूती प्रदान करने में पंजाब ने अहम भूमिका अदा की है। देश के कुल गेहूं उत्पादन में पंजाब का योगदान 20 फीसदी है।
चावल के मामले में देश के कुल उत्पादन का 11 फीसदी पंजाब में होता है तो कपास के मामले में पंजाब देश के कुल उत्पादन में 12 फीसदी की योगदान देता है। पंजाब देश के अनाज भंडार को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। गेहूं के केंद्रीय पुल में पंजाब का योगदान 75 फीसदी है तो चावल के मामले में यह प्रतिशत 34 है।
पंजाब की अर्थव्यवस्था में कृषि का हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्ष 2006-2007 के दौरान पंजाब के कुल घरेलू उत्पादन में कृषि का योगदान 20.65 फीसदी था। वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक पंजाब की कुल जनसंख्या का 39 फीसदी भाग यहां की कृषि से रोजगार पा रहा है।
वर्ष 1970-71 के दौरान पंजाब में कुल 40.53 लाख हेक्टेयर जमीन पर खेती होती थी। वर्ष 2006-07 में यह जमीन बढ़कर 41.84 लाख हेक्टेयर हो गई है। इसमें 3.2 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। फिलहाल में खेती योग्य जमीन के 98.9 फीसदी भाग पर यहां खेती की जा रही है लिहाजा इसमें अब कोई बढ़ोतरी का अनुमान नहीं है।
पंजाब में गेहूं व चावल की खेती मुख्य रूप से की जाती है। इन्हीं दोनों अनाज की फसलों को बारी-बारी उगाया जाता है। वर्ष 1970-71 के दौरान कुल जमीन की 47 फीसदी भाग पर इन दोनों फसलों की खेती की जाती थी जो वर्ष 2006-07 में बढ़कर 77 फीसदी हो गई। हालांकि गेहूं की खेती की जमीन में थोड़ी कमी देखी गई है।
बीते कुछ दशकों में पंजाब के कुल कृषि उत्पादन में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
खास करके हरित क्रांति के बाद तो पंजाब में अनाजों के उत्पादन में जबरदस्त उछाल देखा गया। 70-71 के दौरान में पंजाब में अनाज का कुल उत्पादन 73.05 लाख मिट्रीक टन था जो 06-07 में बढ़कर 253.09 लाख मिट्रीक टन हो गया। कृषि उत्पादन की बढ़ोतरी में चावल व गेहूं का काफी अहम योगदान रहा। चावल का उत्पादन 90-91 में 65.06 लाख मिट्रीक टन था जो 06-07 में बढ़कर 101.06 लाख मिट्रीक टन हो गया।
इसके उत्पादन में 56 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उसी ढ़ंग से गेहूं के उत्पादन में भी 90-91 के मुकाबले 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 90-91 में गेहूं का उत्पादन 121.59 लाख मिट्रीक टन था जो 06-07 में बढ़कर 145.96 लाख टन हो गया।