इस साल नवंबर में देश में रोजगार में कमी आई है। यह लगातार दूसरा महीना है जब रोजगारशुदा लोगों की तादाद में कमी दर्ज की गई है। अक्टूबर में रोजगार करने वालों की संख्या में 0.1 फीसदी की कमी देखने को मिली थी। नवंबर में यह गिरावट बढ़कर 0.9 फीसदी हो गई। अक्टूबर में रोजगार गंवाने वालों की तादाद 6 लाख थी जो नवंबर में बढ़कर 35 लाख तक जा पहुंची।
देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान आई भारी गिरावट के बाद रोजगार में सुधार शुरुआती दौर में अपेक्षाकृत बेहतर रहा लेकिन बाद में इसमें धीमापन आ गया। हकीकत तो यह है कि रोजगार में सुधार की प्रक्रिया जुलाई, अगस्त और सितंबर में लगातार धीमी होती गई। अक्टूबर और नवंबर में हालात बदले और अब ऐसा लग रहा है कि सुधार का दौर समाप्त हो चुका है और पराभव की शुरुआत हो चुकी है। हमें यह बेरोजगारी के आंकड़ों में भी नजर आता है और यह समग्र अर्थव्यवस्था का प्रतिबिंब भी हो सकता है। एक बात यह भी है कि अब तक उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों में से अधिकांश पूरी तरह संगठित क्षेत्र पर आधारित हैं जबकि सीएमआईई के उपभोक्ता पिरामिड पारिवारिक सर्वेक्षण में जुटाए गए रोजगार के आंकड़े कहीं अधिक व्यापक हैं क्योंकि इनमें संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इस सर्वेक्षण में हर प्रकार के आवास को शामिल किया गया है।
नवंबर 2020 में 39.36 करोड़ रोजगार थे जो नवंबर 2019 की तुलना में 2.4 फीसदी कम थे। तेज सुधार के बावजूद मार्च 2020 के बाद से हर महीने रोजगार वर्ष 2019 के समान महीनों की तुलना में काफी कम रहे। रोजगार किसी भी मानक से एक वर्ष पहले के स्तर पर नहीं पहुंचे।
दिलचस्प है कि खुद को बेरोजगार बताने वाले और अपने लिए रोजगार की तलाश करने वाले लोगों की तादाद में भी कमी आई है। नवंबर 2020 में इनकी तादाद 2.74 करोड़ है। यह पिछले महीने यानी अक्टूबर 2020 के 2.98 करोड़ ऐसे ही बेरोजगारों से 24 लाख कम थी। यह तादाद 2019-20 के औसत बेरोजगारों से काफी कम है जो 3.33 करोड़ थे।
अप्रैल और मई 2020 में अचानक बेरोजगारों की तादाद बढ़कर 8.7 करोड़ हो गई। अगस्त 2020 तक रोजगार में सुधार नजर आने लगा था और इसी के अनुरूप बेरोजगारी का आंकड़ा घटकर 3.57 करोड़ रह गया। इसके बाद रोजगार में स्थिरता आने लगी और फिर गिरावट का दौर शुरू हो गया लेकिन बेरोजगारों की तादाद में इजाफा नहीं हुआ। इसके विपरीत सितंबर में यह घटकर 2.84 करोड़ और नवंबर 2020 में घटकर 2.74 करोड़ रह गया। यह बात बहुत अजीब है कि रोजगार में भी इजाफा नहीं हो रहा है और बेरोजगारों की तादाद लगातार घट रही है।
कुल मिलाकर श्रमिक रोजगार की पेशकश में कमी से हतोत्साहित हो रहे हैं और उन सक्रिय श्रम बाजारों से दूरी बना रहे हैं जहां बेरोजगार काम की तलाश करते हैं। रोजगार का निरंतर नुकसान और लगातार घटते मेहनताने या आय में कमी ने भी कामगारों को श्रम बाजार में बने रहने के प्रति हतोत्साहित किया है।
ऐसा नहीं है कि लोग काम नहीं करना चाहते। कम से कम बेरोजगारी में कमी को अभिरुचि में कमी का प्रतिबिंब नहीं माना जा सकता है। ऐसा भी नहीं है कि श्रमिक पूरी तरह श्रम बाजार से बाहर हो रहे हैं। ऐसे लोग भी काफी तादाद में हैं जो काम करना चाहते हैं लेकिन सक्रियता से काम की तलाश नहीं कर रहे हैं। नवंबर में ऐसे लोगों की तादाद 2.25 करोड़ थी। ये वे लोग हैं जो बेरोजगार हैं और काम करना चाहते हैं लेकिन ये उन 2.74 करोड़ लोगों जैसे नहीं हैं जिन्हें हमने पहले गिना और जो सक्रियता से काम की तलाश में हैं। यह माना जा सकता है कि यदि बेहतर वेतन भत्तों पर काम उपलब्ध हो तो ये लोग काम करेंगे। आगे यह भी माना जा सकता है कि यदि वे काम करना चाहते हैं लेकिन वे काम की तलाश नहीं कर रहे हैं तो ऐसा केवल इसलिए है क्योंकि या तो काम उपलब्ध नहीं है या फिर उन्हें मनमाफिक काम नहीं मिल रहा है। ये लोग न तो काम के प्रति अरुचि रखते हैं और न ही वे पूरी तरह श्रम बाजार से बाहर हैं। इन निष्क्रिय बेरोजगारों की तादाद नवंबर 2020 में 2.25 करोड़ थी जो सन 2019-20 में इसी प्रकार बेरोजगार औसतन 1.16 करोड़ लोगों से दोगुनी है। इससे पहले के दो वर्ष में भी आंकड़ा करीब इतना ही था।
इससे यही संकेत मिलता है कि ऐतिहासिक मानकों से तुलना की जाए तो ऐसे लोगों की तादाद अस्वाभाविक रूप से अधिक है जो बेरोजगार हैं लेकिन सक्रिय रूप से काम की तलाश भी नहीं कर रहे हैं। ऐसे बेरोजगार श्रमिक जो काम करना चाहते हैं वे बड़ी तादाद में श्रम बाजार से बाहर हैं।
श्रम शक्ति में वे सभी लोग शामिल होते हैं जो रोजगारशुदा हों या सक्रियता से रोजगार की तलाश मेंं हों। इन सभी की तादाद में 1.6 करोड़ की कमी आई है लेकिन व्यापक श्रम शक्ति में कमी नहीं आई है। व्यापक श्रम शक्ति में वे लोग भी शामिल हैं जो काम करना चाहते हैं लेकिन सक्रियता से उसकी तलाश नहीं कर रहे। नवंबर 2020 में अनुमानित श्रम शक्ति 42.1 करोड़ थी जबकि 2019-20 में इनकी तादाद 43.7 करोड़ थी। इनमें 1.6 करोड़ की यह गिरावट 3.6 फीसदी की कमी दर्शाती है। नवंबर 2020 में व्यापक श्रम शक्ति 44.35 करोड़ थी जबकि 2019-20 में यह 44.84 करोड़ थी। 49 लाख के साथ यह बमुश्किल 1.1 फीसदी था।
व्यापक श्रम शक्ति में गिरावट दर्शाती है कि करीब 50 लाख संभावित कर्मचारी श्रम शक्ति से पूरी तरह दूरी बना चुके हैं। यह चिंताजनक है। बीते कुछ सप्ताह में आशा भरे संकेत मिले हैं। श्रम शक्ति भागीदारी की दर और रोजगार की दर में नवंबर के आखिरी और दिसंबर के पहले सप्ताह में लगातार दो सप्ताह सुधार देखने को मिला है। ऐसे में बेरोजगारी की दर में समांतर उछाल को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।
(लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं)
