भारत में एंजेल इन्वेस्टिंग यानी स्टार्टअप्स को शुरुआती सपोर्ट देने वाली फंडिंग अभी ठीक से पंख फैला भी नहीं पाई थी… कि उस पर संकट के बादल छा गए हैं। सोचिए, जहां पहले ₹10,000 करोड़ से ज़्यादा का इन्वेस्टमेंट हो चुका है, वहां अब पूरा सिस्टम खतरे में है! ज़िम्मेदार कौन है? कड़े रेगुलेशन, पेचीदा नियम, या फिर कुछ और? अगर आपने कभी सोचा है कि भारत में अगला यूनिकॉर्न कब बनेगा