प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस हफ्ते बैंकों और व्हाइट लेबल ATM (WLA) ऑपरेटरों को निर्देश दिया है कि 30 सितंबर तक 75% ATM में कम से कम एक कैसेट 100 रुपये या 200 रुपये के नोटों से भरा जाए और अगले साल 31 मार्च तक 90% ATM में यह व्यवस्था हो।
व्हाइट लेबल ATM (WLA) वे ATM हैं, जिन्हें गैर-बैंकिंग कंपनियां चलाती हैं। RBI ने अपने नियमों इसकी जानकारी दी है। SKV लॉ ऑफिसेस के सीनियर एसोसिएट विनीत कुमार कहते हैं, “100 और 200 रुपये के नोट नियमित रूप से देने का आदेश देकर RBI छोटे नोटों की कमी (छुट्टे की समस्या) को दूर करना चाहता है, लेकिन इससे सुविधा और डिजिटल भुगतान को अपनाने को लेकर नए सवाल भी उठते हैं।”
विनीत कहते हैं, “छोटी खरीदारी का मतलब हर किसी के लिए अलग हो सकता है।” उन्होंने बताया, “15,000 रुपये के खर्च के लिए 150-200 नोटों का ढेर ले जाना मुश्किल है, जबकि 30-40 नोटों का 500 रुपये का बंडल संभालना आसान है।”
विनीत ने नीचे दिए बिंदुओं पर जोर दिया:
निकासी की बार-बार जरूरत: छोटे नोट लेने के लिए आपको बार-बार ATM जाना पड़ सकता है, जिससे मेट्रो शहरों में 3 और गैर-मेट्रो में 5 मुफ्त निकासी की सीमा पार हो सकती है।
नोटों का ढेर: छोटे नोटों का बंडल उतना ही असुविधाजनक हो सकता है, जितना बड़े नोटों का, जिससे लोग डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ सकते हैं।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2.6 लाख से ज्यादा ATM हैं। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हजारों मशीनों में कैसेट को फिर से सेट करना होगा। इसके अलावा छोटे नोटों की रोजाना आपूर्ति के लिए तेज लॉजिस्टिक्स की जरूरत होगी।
विनीत कहते हैं, “अभी ATM में नकदी खत्म होने की समस्या आम है। अगर बैंक और ऑपरेटरों ने अच्छा तालमेल नहीं रखा, तो अस्थायी रूप से ‘खाली ATM’ की समस्या बढ़ सकती है।”
आपका फैसला इन बातों पर निर्भर करेगा: लेनदेन की फीस, सुविधा बनाम नोटों का ढेर, और आपकी निजी पसंद।