साल 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में कुल संस्थागत निवेश (Institutional Investment) $1.76 बिलियन तक पहुंचा। यह पिछले तिमाही की तुलना में 2% कम जरूर है, लेकिन सालाना आधार पर इसमें 83% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। हालांकि, निवेश का पैटर्न अब पूरी तरह बदलता दिखाई दे रहा है। विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी घटकर सिर्फ 8% रह गई है- जो पिछले चार सालों में सबसे कम है, जबकि घरेलू निवेशकों का योगदान बढ़कर आधे से ज्यादा हो गया है।
विदेशी निवेश में इस तिमाही में तेज गिरावट आई है। विदेशी निवेश Q3 2025 में घटकर केवल $140.69 मिलियन रह गया, जबकि Q2 2025 में यह $1.19 बिलियन था। यानी इसमें 88% की तिमाही गिरावट और 68% की सालाना गिरावट दर्ज की गई। पिछली तिमाही में विदेशी निवेश का हिस्सा 66% था, जो अब घटकर मात्र 8% रह गया है। इसका कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और विदेशी पूंजी का सतर्क रुख माना जा रहा है।
इसके उलट, भारतीय निवेशकों का भरोसा रियल एस्टेट सेक्टर पर लगातार बढ़ रहा है। घरेलू निवेशकों ने Q3 2025 में $892.22 मिलियन का निवेश किया – जो तिमाही आधार पर 166% और सालाना आधार पर 115% की बढ़ोतरी है।
अब कुल संस्थागत निवेश में घरेलू निवेशकों की हिस्सेदारी 51% हो गई है, जो अब तक की सबसे ऊंची है। वेस्चियन (Vestian) के सीईओ श्रीनिवास राव ने कहा, “अब भारतीय निवेशक ही रियल एस्टेट में सबसे ज्यादा पैसा लगा रहे हैं। इससे पता चलता है कि यह सेक्टर अब मजबूत हो रहा है और अपने दम पर आगे बढ़ रहा है।”
अब विदेशी निवेशक पहले की तरह अकेले निवेश नहीं कर रहे हैं। वे अब भारतीय कंपनियों या डेवलपर्स के साथ मिलकर पैसा लगा रहे हैं, जिसे को-इन्वेस्टमेंट मॉडल कहा जाता है। साल 2025 की तीसरी तिमाही में इस तरह के निवेश की रकम $726.58 मिलियन रही, जो पिछली तिमाही से 173% ज्यादा और पिछले साल की तुलना में 562% बढ़ी है। अब इस मॉडल का हिस्सा कुल निवेश का 41% हो गया है, जबकि पिछली तिमाही में यह सिर्फ 15% था।
श्रीनिवास राव ने कहा, “विदेशी निवेशक भारत को छोड़ नहीं रहे हैं। वे अब भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर पैसा लगा रहे हैं। यह तरीका दोनों के लिए भरोसेमंद और स्थिर है।”
इस तिमाही में सबसे ज्यादा निवेश कमर्शियल सेक्टर (Commercial Real Estate) में हुआ। इसका हिस्सा 79% रहा, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। इस सेक्टर में निवेश बढ़कर $1.4 बिलियन तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 104% ज्यादा है। रिहायशी सेक्टर (Residential) में निवेश घटकर $191.7 मिलियन रह गया, जो कुल निवेश का 11% हिस्सा है। इसमें पिछली तिमाही के मुकाबले 49% की गिरावट, लेकिन पिछले साल की तुलना में 6% की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इंडस्ट्रियल और वेयरहाउसिंग सेक्टर का हिस्सा लगभग 5% रहा। हालांकि यह हिस्सा छोटा है, लेकिन इसमें निवेश 168% बढ़ा, क्योंकि देश में लॉजिस्टिक पार्क्स और गोदामों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
भारतीय रियल एस्टेट में अब घरेलू निवेशक सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं। विदेशी निवेशक फिलहाल थोड़ा सतर्क रवैया अपना रहे हैं, लेकिन वे पूरी तरह पीछे नहीं हटे हैं। वे अब भारतीय फंड्स और डेवलपर्स के साथ मिलकर निवेश कर रहे हैं, जिससे सेक्टर में स्थिरता और भरोसा दोनों बढ़ा है।
कमर्शियल प्रॉपर्टी (Commercial Property) अब भी निवेशकों की पहली पसंद बनी हुई है। कुल मिलाकर, इस साल निवेश में 83% की सालाना बढ़ोतरी हुई है, जो बताती है कि भारत का रियल एस्टेट सेक्टर वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूत बना हुआ है।
श्रीनिवास राव का कहना है, “भले ही विदेशी निवेशक सतर्क हैं, लेकिन घरेलू निवेशकों का भरोसा और साथ ही को-इन्वेस्टमेंट मॉडल की बढ़ती लोकप्रियता भारत की विकास यात्रा को और मजबूत बना रही है।”