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EMI आपकी आय का 35% पार कर जाए तो खतरा! एक्सपर्ट बता रहे हैं क्यों

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि EMI आपकी आय के 35 प्रतिशत से ऊपर पहुंचते ही वित्तीय खतरा शुरू हो जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए सही प्लानिंग और मजबूत इमरजेंसी फंड जरूरी है

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देवव्रत वाजपेयी   
Last Updated- December 01, 2025 | 3:22 PM IST

नोएडा के एक आईटी इंजीनियर की कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल रही है। इंस्टाग्राम पर ‘Nomadic Teju’ नाम के यूजर ने अपने दोस्त की हालत बताते हुए एक वीडियो शेयर किया, जिसने नौकरीपेशा लोगों के दिल में डर और असली हालात की तस्वीर एक साथ पेश कर दी। यह कहानी एक सपने, एक फ्लैट, एक भारी EMI और टूटते भरोसे की है। तेजू बताते हैं कि उनका दोस्त कुछ समय पहले तक ग्रेटर नोएडा की महंगी और शानदार गौर सिटी सोसाइटी में रहता था। लेकिन बेहतर मौके की उम्मीद में उसने दो महीने पहले अपनी नौकरी छोड़ दी। हालात ऐसे बने कि नई नौकरी नहीं मिली, EMI रुक नहीं सकती थी और घर का खर्च भी लगातार बढ़ रहा था। इसलिए मजबूरी में अब वही इंजीनियर पार्ट-टाइम Rapido चलाता है, फ्रीलांसिंग करता है और जो भी काम मिल जाए, कर लेता है।

फ्लैट किराए पर, परिवार गांव भेजा, EMI न रुके इसलिए लाइफस्टाइल बदलनी पड़ी

वीडियो में तेजू करोड़ों के फ्लैट्स दिखाते हुए बताते हैं कि इनमें से एक फ्लैट में उनका दोस्त रहता था। उसका फ्लैट लगभग 1 से 1.5 करोड़ रुपये के बीच का है और उसकी EMI इतनी ज्यादा थी कि नौकरी जाने के बाद उसे संभालना मुश्किल हो गया। आखिर में उसने फ्लैट किराए पर दे दिया, खुद 30,000 रुपये महीने के किराए वाले छोटे घर में शिफ्ट हो गया और खर्च कम करने के लिए अपने परिवार को गांव भेज दिया। यह वह शख्स है जो कुछ समय पहले ऑफिस में काम करता था, लेकिन अब बाइक पर यात्रियों को छोड़ने-लाने का काम करता है, केवल इसीलिए कि EMI हर महीने समय पर जाती रहे।

बेंगलुरु में भी वही कहानी: 78,000 रुपये EMI और एक जॉब लॉस ने बदल दी जिंदगी

बेंगलुरु से भी ऐसी ही एक कहानी पिछले दिनों सामने आई थी। Wealth Whisperer नाम की यूजर ने X पर बताया था कि उनके कजिन के पति ने कुछ साल पहले 1.3 करोड़ रुपये का फ्लैट लिया था। 50 लाख रुपये की भारी डाउन पेमेंट करने के बाद वे 78,000 रुपये की मासिक EMI किसी तरह संभाल रहे थे। लेकिन MNC से नौकरी चली गई और EMI ने पूरी जिंदगी उलट-पुलट कर दी।

इन दोनों घटनाओं से एक बात साफ होती है कि भारी EMI किसी भी समय जिंदगी को अनियंत्रित बना सकती है। इसी वजह से हमने फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स से बात की और समझने की कोशिश की कि ऐसी स्थिति से कैसे बचा जा सकता है।

EMI का तनाव धीरे धीरे आता है अचानक नहीं

फाइनेंशियल प्लानर तारेश भाटिया कहते हैं कि EMI का दबाव एक दिन में नहीं बढ़ता। यह धीरे धीरे बढ़ता है। पहले कुछ छोटे संकेत दिखने लगते हैं। जैसे आप क्रेडिट कार्ड की पूरी रकम नहीं भर पा रहे और सिर्फ न्यूनतम पैसा भर रहे हों। आपका इमरजेंसी वाला बचत खाता खाली होने लगे। आपकी SIP और बीमा की किश्त रुक जाए। आपकी कमाई कम हो जाए लेकिन खर्च पहले जैसा ही चलता रहे। ये सभी बातें बताती हैं कि आगे चलकर EMI संभालना मुश्किल हो सकता है। वह कहते हैं कि अगर ऐसी दो तीन चीजें एक साथ होने लगें तो तुरंत अपने पैसे और खर्चों को फिर से देखना चाहिए और प्लानिंग बदलनी चाहिए।

घर लेने से पहले क्षमता का सही आकलन जरूरी

तारेश भाटिया के अनुसार EMI आपकी मासिक आय के तीस से 35 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। घर खरीदने के बाद भी 20 से 25 प्रतिशत बचत बनी रहनी चाहिए। अगर बचत बहुत कम हो जाए तो इसका मतलब है कि लोन आपकी आय के मुकाबले ज्यादा बड़ा है। वह बताते हैं कि कम से कम 12 महीने का इमरजेंसी फंड बनाना जरूरी है खासकर उन लोगों के लिए जिनकी नौकरी या आय स्थिर नहीं रहती।

भारतीय समाज में घर लेना एक परंपरा माना जाता है, लेकिन कई बार यही आदत युवाओं पर भारी पड़ जाती है। कई लोग सिर्फ दिखावे के लिए कम उम्र में बड़ा लोन ले लेते हैं। इससे उनकी बचत खत्म हो जाती है, भविष्य के सपने पूरे नहीं हो पाते और कभी कभी माता पिता की रिटायरमेंट पर भी बोझ पड़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि घर तभी खरीदें जब आपकी आय, खर्च और भविष्य की योजना उसे संभाल पा रही हो।

अनियमित आय वालों के लिए बजट सबसे कम आय पर आधारित होना चाहिए

ग्रेट लेक्स इंस्टिट्यूट की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ रंजीथा अजय कहती हैं कि जिन लोगों की कमाई हर महीने अलग अलग होती है, उन्हें अपना बजट हमेशा सबसे कम मिलने वाली कमाई के हिसाब से बनाना चाहिए। खर्च करते समय पैसे को दो हिस्सों में बांटना चाहिए। पहला हिस्सा जरूरी खर्चों का होता है, जैसे किराया, राशन, बिजली और पानी। दूसरा हिस्सा उन चीजों का होता है, जिन पर जरूरत न हो तो खर्च कम किया जा सकता है, जैसे बाहर खाना, घूमना या मनोरंजन। वह कहती हैं कि कमाई का कम से कम 15 प्रतिशत हर महीने बचत में रखना चाहिए और बाकी खर्च उसी हिसाब से करना चाहिए।

जिनकी आय अनियमित होती है, उनके लिए छह से नौ महीने का इमरजेंसी फंड बेहद जरूरी है। इसे एक अलग बैंक खाते या लिक्विड म्युचुअल फंड में रखना सुरक्षित माना जाता है। जब कभी कमाई कम हो जाए या नौकरी चली जाए, तब यही फंड आपकी मदद करता है और आपको किसी से उधार भी नहीं लेना पड़ता।

लिक्विडिटी और लंबे निवेश के बीच संतुलन जरूरी है

StockGro के संस्थापक अजय लखोटिया कहते हैं कि जिन लोगों की नौकरी जाने का खतरा ज्यादा रहता है, उन्हें अपने पैसों को दो तरह से बांटना चाहिए। एक हिस्सा ऐसा होना चाहिए, जिसे जरूरत पड़ते ही तुरंत इस्तेमाल किया जा सके और दूसरा हिस्सा लंबे समय के निवेश में लगाया जाना चाहिए। इसके लिए लिक्विड फंड, शॉर्ट टर्म डेट फंड और स्वीप इन एफडी बहुत काम आते हैं, क्योंकि इनमें पैसा जल्दी मिल जाता है। वहीं फ्लेक्सी कैप फंड, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड और गोल्ड ईटीएफ जैसे निवेश लंबे समय में अच्छा फायदा देते हैं। वह कहते हैं कि अगर किसी महीने आपकी कमाई ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले अपना इमरजेंसी फंड बढ़ाएं, फिर क्रेडिट कार्ड या महंगे कर्ज चुका दें और जो पैसा बचे उसे निवेश में लगा दें।

निवेश शुरू करने के लिए स्थिर आय का इंतजार न करें

विशेषज्ञों का मानना है कि निवेश जितना जल्दी शुरू किया जाए, उतना अच्छा होता है। छोटी से छोटी रकम भी अगर लंबे समय तक सही जगह लगाई जाए, तो बड़ा रिटर्न दे सकती है। जिन लोगों की आय अनिश्चित रहती है, उनके लिए वित्तीय सुरक्षा तीन चीजों पर निर्भर करती है। पहली है लिक्विडिटी यानी तुरंत काम आने वाला पैसा। दूसरी है स्थिरता यानी ऐसे निवेश जिसमें पैसा सुरक्षित रहता है। तीसरी है लंबी अवधि की वृद्धि यानी ऐसे निवेश जो कई सालों में आपकी संपत्ति बढ़ाते हैं। अगर इन तीनों के बीच सही संतुलन बना लिया जाए, तो आय चाहे कभी ज्यादा हो या कम, आपका आर्थिक भविष्य सुरक्षित रह सकता है।

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सबसे बड़ा सबक घर लेने से पहले वित्तीय सुरक्षा बनाएं

नोएडा और बेंगलुरु की कहानियां बताती हैं कि घर खरीदना एक भावनात्मक फैसला नहीं होना चाहिए। यह पूरी तरह वित्तीय फैसला है। EMI नौकरी और आर्थिक सुरक्षा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए घर खरीदने से पहले जरूरी है कि इमरजेंसी फंड मजबूत हो बजट व्यवस्थित हो और लंबी अवधि की वित्तीय योजना तैयार हो। अन्यथा भारी EMI अचानक आपकी जिंदगी को वैसा ही बदल सकती है जैसा इन लोगों के जीवन में हुआ।

First Published : December 1, 2025 | 3:22 PM IST