मौजूदा अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए भी सरकार ने पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड / Public Provident Fund) पर ब्याज दर को 7.1 फीसदी पर बरकरार रखा है। अप्रैल 2020 के बाद से पीपीएफ पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। फिर भी आम निवेशकों के बीच यह स्कीम बेहद लोकप्रिय है। सरकार पीपीएफ सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं पर हर तिमाही ब्याज दरों का निर्धारण करती है। इस स्कीम में निवेश करने पर इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 80C के तहत डिडक्शन का फायदा तो मिलता ही है। लेकिन यह फायदा आपको सिर्फ ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) में मिलेगा। इस स्कीम में एक वित्त वर्ष में निवेश की अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है।
बहुत सारे निवेशक जरूरत पड़ने पर पीपीएफ (PPF) में निवेश पर लोन भी लेते हैं। क्योंकि इससे लोन लेना पर्सनल लोन (personal loan) के मुकाबले सस्ता है। साथ ही इसके लिए कोई चीज गिरवी रखने की जरूरत भी नहीं पड़ती।
नियमों के अनुसार पीपीएफ से लिए गए लोन की राशि पर एक फीसदी ब्याज चुकाना पड़ता है। मतलब जो ब्याज PPF स्कीम के तहत आपको मिल रहा है उससे एक फीसदी ज्यादा ब्याज आप चुकाएंगे। क्योंकि लोन ली गई राशि पर आपको ब्याज नहीं मिलता है। फिलहाल पीपीएफ में निवेश पर 7.1 फीसदी का ब्याज है। इसलिए इस समय लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज की दर 8.1 फीसदी होगी।
अगर आपने तय समय सीमा के अंदर लोन राशि (प्रिंसिपल अमाउंट) का भुगतान कर दिया लेकिन उस पर ब्याज का भुगतान तय समय सीमा में नहीं किया तो ब्याज की राशि आपके PPF खाते से काट ली जाएगी। वहीं, अगर आप 36 महीने के अंदर लोन राशि (पूरी या आंशिक तौर पर) नहीं चुकाते हैं तो बकाये लोन की राशि पर 6 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा। मतलब जो ब्याज PPF स्कीम के तहत आपको मिल रहा है उससे 6 फीसदी ज्यादा ब्याज (यानी मौजूदा 7.1 फीसदी + 6 फीसदी = 13.1 फीसदी) आप चुकाएंगे। क्योंकि लोन ली गई राशि पर आपको ब्याज नहीं मिलता है। इस स्थिति में भी ब्याज की राशि प्रत्येक वित्त वर्ष के अंत में आपके PPF खाते से काट ली जाएगी।
लेकिन जानकार फिर भी मानते हैं कि PPF से लोन लेना निवेश के दृष्टिकोण से सही नहीं है। इसकी पहली वजह यह है कि इस स्कीम में निवेश पर आपको जो ब्याज मिलता है वह टैक्स-फ्री है, दूसरे इसमें ब्याज की कंपाउंडिंग होती है और तीसरे आप ज्यादा अमाउंट का लोन पीपीएफ पर नहीं ले सकते। रिपेमेंट (repayment) की समय सीमा भी पीपीएफ लोन के मामले में मायने रखती है।
आइए अब विस्तार से इसे समझते हैं:
टैक्स-फ्री ब्याज
पीपीएफ में निवेश पर ट्रिपल टैक्स बेनिफिट मिलता है यानी जमा, ब्याज और निकासी (principal investment, interest, and maturity) तीनों पर टैक्स में छूट है। अगर आप टैक्स के दायरे में नहीं आते, तब तो कोई बात नहीं लेकिन अगर आते हैं तो लोन के मामले में ब्याज का टैक्स-फ्री होना मायने रखता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप 20 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में हैं तो आपको एक तरह से PPF पर 7.1 फीसदी के बजाय 8.52 फीसदी ब्याज मिल रहा है। वहीं अगर 30 फीसदी टैक्स ब्रैकेट में आते हैं तो समझिए आपको 7.1 फीसदी के बजाय 9.23 फीसदी का ब्याज मिल रहा है।
ब्याज की कंपाउंडिंग
पीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की कंपाउंडिंग भी लंबे समय तक होती है। क्योंकि 15 साल (जिस वित्त वर्ष में अकाउंट खुला है उसके 15 साल बाद) तो इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड ही है। इसके बाद भी 5-5 साल के ब्लॉक में इस स्कीम को आगे बढ़ाने का विकल्प आपके पास होता है। अगर आप शुरुआत के तीसरे, चौथे, पांचवें और छठे वर्ष के दौरान लोन लेते हैं तो आपके द्वारा लोन ली गई राशि पर तब तक कंपाउंडिंग की सुविधा नहीं मिलेगी जब तक आप इसे चुका नहीं देते हैं। इस तरह से लंबी अवधि में आपको जो रिटर्न मिलेगा उस पर असर होगा।
अगर आप इस स्कीम के शुरुआती वर्षों में अधिकतम सीमा यानी प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये तक का निवेश कर लेते हो तो आपको बाद के वर्षों में कंपाउंडिंग का ज्यादा फायदा मिलेगा। वहीं आपने जिस वित्त वर्ष में पीपीएफ खाता खुलवाया है, उस वित्त वर्ष की समाप्ति के एक वित्त वर्ष बाद से लेकर पांचवें वित्त वर्ष की समाप्ति तक ही आप पीपीएफ से लोन लेने के हकदार हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपको कंपाउंडिंग का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले तब आप पीपीएफ से लोन लेने से बचें। यानी शुरुआती वर्षों में निवेश से छेड़छाड़ न करें।
लोन की राशि
जिस वित्त वर्ष में आप लोन के लिए आवेदन दे रहे हैं, उस वित्त वर्ष से ठीक पहले के दूसरे वित्त वर्ष की समाप्ति पर जो बैलेंस (प्रिंसिपल अमाउंट/मूलधन + ब्याज) होगा, उसका अधिकतम 25 फीसदी आप लोन ले सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आप मार्च 2024 में लोन लेना चाहते हैं तो 31 मार्च 2022 को आपके खाते में जो बैलेंस होगा, उसकी अधिकतम 25 फीसदी राशि आप लोन ले सकते हैं। एक वित्त वर्ष में एक बार ही लोन लिया जा सकता है। नया लोन भी तभी लिया जा सकता है जब पुराने लोन का भुगतान कर दिया गया हो।
अगर आप अपने पीपीएफ अकाउंट में प्रति वर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपये का भी निवेश किया है तो आपको मौजूदा 7.1 फीसदी ब्याज दर के हिसाब से तीसरे, चौथे, पांचवें और छठे वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम क्रमश: 40,136 रुपये, 83,177 रुपये, 1,29,245 रुपये और 1,78,583 रुपये बतौर लोन मिल सकता है। इतनी राशि तो तब मिलेगी जब आपने प्रति वर्ष अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया हो। लेकिन अगर आप इससे कम राशि निवेश करेंगे तो आपको बतौर लोन और कम धनराशि मिलेगी। मतलब साफ है अगर आपको इससे ज्यादा की रकम बतौर लोन चाहिए तो आपको अन्य विकल्प मसलन पर्सनल लोन, एफडी पर लोन, गोल्ड लोन…वगैरह तलाशने होंगे।
लोन चुकाने की समय सीमा
जिस महीने आप PPF से लोन लेते हैं उसके 36 महीने के अंदर आपको लोन की राशि (प्रिंसिपल अमाउंट) या तो एकमुश्त या किस्तों में चुकानी होती है। जबकि प्रिंसिपल अमाउंट चुकाने के बाद अधिकतम दो मासिक किस्तों में आप ब्याज चुका सकते हैं। वहीं पर्सनल लोन आप 6 साल तक चुका सकते हैं। अगर आप बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन लेते हैं तो यहां लोन चुकाने की समय सीमा एफडी का मैच्योरिटी पीरियड है। मतलब अगर आप लोन चुकाने में ज्यादा समय लेना चाहते हैं तो आपके लिए पर्सनल लोन ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है।