भारत की जानी-मानी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी Dewan Housing Finance Corporation (DHFL) पर 34,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बड़े घोटाले का आरोप है। ये घोटाला लोन देने में धोखाधड़ी, काले धन को सफेद करने और फर्जी कंपनियों और फर्जी लोगों के नाम पर लोन दिलाने से जुड़ा हुआ है।
DHFL: ये भारत की एक जानी मानी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) है जो घर खरीदने के लिए लोन देती है। खासकर मध्यम और निम्न आय वाले लोगों को। ये भारत की सबसे पुरानी होम लोन देने वाली कंपनियों में से एक मानी जाती है।
वधावन बंधु: कपिल और धीरज वधावन, ये DHFL के शुरुआती संस्थापक और प्रमोटर थे। कंपनी चलाने में इनकी अहम भूमिका थी। कपिल चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर थे, जबकि धीरज नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे।
कई बैंक: 17 भारतीय बैंकों का एक समूह (consortium) जिसने DHFL को लोन दिया था।
2019 में मीडिया में खबरें आईं कि लोन देने में गड़बड़ी हो रही है। इसके बाद 2016-2019 के लिए केपीएमजी (KPMG) नाम की एक बड़ी कंपनी से DHFL का ऑडिट कराया गया। ऑडिट में पता चला कि बहुत बड़ा घोटाला हुआ है।
2022 में, DHFL को लोन देने वाले बैंकों में से एक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई। आरोप था कि DHFL ने साजिश करके बैंक को धोखा दिया और फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स में हेराफेरी की। बैंक का दावा था कि DHFL ने 42,000 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जिसमें से 34,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान अभी भी बाकी है।
फर्जी कर्जदार, असली धोखाधड़ी: जांच में पता चला कि DHFL ने कंपनी चलाने वाले वाधवन भाइयों से जुड़ी 66 कंपनियों को नियमों को तोड़कर 29,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दे दिया। इन लोन को देने से पहले किसी भी तरह की जांच नहीं की गई और ना ही लोन चुकाने की कोई गारंटी ली गई। सीधे तौर पर वाधवन भाइयों के कब्जे वाली कंपनियों को इतना बड़ा लोन देना भाई-भतीजावाद और खुद को फायदा पहुंचाने जैसा है।
कागजों की कठपुतली कंपनियां (Shell Companies): जांच में पता चला कि वाधवन बंधुओं ने 87 फर्जी कंपनियां बनाई थीं। ये कंपनियां सिर्फ कागजों पर ही चलती थीं, असल में कोई काम नहीं करती थीं। इनका मकसद सिर्फ धोखाधड़ी से मिले पैसों को हथियाना था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इन कंपनियों में 11,000 करोड़ रुपये से ज्यादा ट्रांसफर किए गए, जिन्हें वाधवन भाइयों ने अपने शौक पूरे करने और दूसरी कंपनियों में लगाने में खर्च कर दिए।
नकली ब्रांच, असली चोरी: जांच में पता चला कि DHFL के कंप्यूटर सिस्टम में एक फर्जी “बांद्रा ब्रांच” बनाई गई थी। इस ब्रांच का इस्तेमाल ही इन फर्जी कंपनियों को पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया गया था। कंपनी के अपने सिस्टम में ही नकली ब्रांच बनाना इस बात का सबूत है कि ये पहले से सोची-समझी धोखाधड़ी थी।
फर्जी कर्जदार और सरकारी योजना का दुरुपयोग: सीबीआई का आरोप है कि असली ग्राहकों के डाटा का इस्तेमाल करके लाखों फर्जी कर्जदार बनाए गए। इन फर्जी खातों से न सिर्फ 14,000 करोड़ रुपये का लोन लिया गया बल्कि गरीबों के लिए सरकारी आवास योजना (प्रधानमंत्री आवास योजना) का भी फायदा उठाया गया। फर्जी कर्जदारों के जरिए DHFL पर सरकार से 1,880 करोड़ रुपये की ब्याज सब्सिडी हासिल करने का भी शक है।
काले धन को सफेद बनाना (Money Laundering): आशंका है कि चोरी किए गए पैसों को रियल एस्टेट और दूसरी संपत्तियों में निवेश करने के लिए इस्तेमाल किया गया होगा.
इस जटिल धोखाधड़ी की वजह से बैंकों को भारी नुकसान हुआ और भारतीय वित्तीय व्यवस्था में लोगों का भरोसा कम हुआ। वाधवन भाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन पर मुकदमा चल रहा है। चोरी हुए पैसों को वापस लाने की जांच और कोशिशें जारी हैं।
बैंकों का घाटा: इस घोटाले की वजह से बैंकों के एक समूह को 34,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ (लगभग 4.3 अरब अमेरिकी डॉलर)। ये वो बैंक थे जिन्होंने DHFL को लोन दिया था।
कर्जदारों पर असर: जिन लोगों ने DHFL से सही तरीके से लोन लिया था उन्हें भी कंपनी की खराब आर्थिक स्थिति की वजह से परेशानी हुई।
अभी क्या स्थिति है?: मामले के खुलासे के बाद, सीबीआई ने 2022 में वाधवन भाइयों को आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया था। फिलहाल उन पर मुकदमा चल रहा है। चोरी हुए पैसों को वापस लाने की कोशिशें की जा रही हैं, और अधिकारी वाधवन भाइयों की संपत्ति को कुर्क कर रहे हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने भी कंपनी और उसके प्रमोटरों पर जानकारी छिपाने के मामले में जुर्माना लगाया है।
मई 2024 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 34,000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में धीरज वाधवन को गिरफ्तार किया। उन पर सीबीआई पहले ही 2022 में इस घोटाले में शामिल होने के आरोप में चार्जशीट दाखिल कर चुकी थी। गौर करने वाली बात ये है कि धीरज वाधवन को पहले यस बैंक भ्रष्टाचार मामले में भी गिरफ्तार किया गया था। यह घटनाक्रम DHFL मामले में अधिकारियों की निरंतर कार्रवाई का संकेत देता है। हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि कुल मिलाकर जांच और कानूनी कार्रवाई अभी भी जारी है।
आसान लोन से सावधान रहें: अगर कोई लोन बहुत ही आसानी से मिल रहा है, कागजी कार्रवाई कम है और ब्याज दर भी बहुत कम है तो सावधान हो जाइए। ऐसी स्थिति में किसी भी बैंक से लोन लेने से पहले अच्छी तरह रिसर्च करें और ब्याज दरों की तुलना करें।
लोन एग्रीमेंट को पढ़ें: लोन लेने से पहले पूरे एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़ें और सभी शर्तों को समझ लें। अगर आपको कुछ समझ नहीं आता है तो बेझिझक सवाल पूछें।
लोन के मिलने की जांच करें: लोन की रकम आपके बताए हुए खाते में ही जमा होनी चाहिए। अगर पैसा किसी और को देने की बात कही जाए तो सावधान हो जाएं।
अपने क्रेडिट रिपोर्ट का ध्यान रखें: अपनी क्रेडिट रिपोर्ट को नियमित रूप से चेक करते रहें ताकि कोई फर्जी लोन आपके नाम पर ना ले ले। जैसा कि DHFL के फर्जी कर्जदार मामले में हुआ था।
प्रतिष्ठित संस्थानों को चुनें: किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन लेने से पहले रिसर्च करें और वही संस्थान चुनें जो बाजार में अच्छा माना जाता है और सरकारी नियमों का पालन करता है।
जानकारी की पुष्टि करें: बैंक या वित्तीय संस्थान द्वारा दी गई सभी जानकारियों को ध्यान से जांच लें। अगर आपको कोई गलती या विरोधाभास नजर आए तो सावधान हो जाएं।
संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें: अगर आपको कोई भी धोखाधड़ी का शक है तो तुरंत बैंक या वित्तीय संस्थान और संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दें।