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टारगेट मैच्योरिटी फंड: परिपक्वता तक बने रहें ताकि ऊंची यील्ड का फायदा मिले

टारगेट मैच्योरिटी फंड की श्रेणी में सरकारी बॉन्ड भी शामिल होते हैं। यह निश्चित अवधि के बाद परिपक्व होने वाला डेट म्युचुअल फंड होता है।

Last Updated- December 18, 2023 | 8:19 AM IST
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आदित्य बिड़ला सन लाइफ ने आदित्य बिड़ला सन लाइफ क्रिसिल आईबीएक्स गिल्ट ऐप्रिल 2033 इंडेक्स फंड पेश किया है। यह ओपन एंडेड टारगेट मैच्योरिटी फंड 15 दिसंबर से खुल गया है और 21 दिसंबर को बंद हो जाएगा।

आदित्य बिड़ला सन लाइफ असेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) ए बालसुब्रमण्यन बताते हैं, ‘यह फंड 10 साल में परिपक्व होगा। लंबी अवधि की वजह से यह निवशकों को ज्यादा लाभ जमा करने और पूंजीगत लाभ कमाने का मौका देता है।’ टारगेट मैच्योरिटी फंड की श्रेणी में सरकारी बॉन्ड भी शामिल होते हैं। यह निश्चित अवधि के बाद परिपक्व होने वाला डेट म्युचुअल फंड होता है। इनक्रेड मनी के सीईओ विजय कप्पा समझाते हैं, ‘यह फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान की तरह होता है मगर इसमें अपने निवेश को निवेशक किसी भी समय भुना सकते हैं।’

टारगेट मैच्योरिटी फंड सरकारी बॉन्ड से बने इंडेक्स में निवेश करते हैं तो इनमें क्रेडिट का जोखिम बिल्कुल नहीं होता। इनमें तरलता भी होती है यानी इन्हें भुनाकर रकम हासिल करना आसान होता है। बियॉन्ड लर्निंग फाइनैंस की संस्थापक और प्रमाणित वित्तीय योजनाकार जीनल मेहता बताती हैं कि ओपन एंडेड होने और इंट्री या एक्जिट लोड नहीं होने की वजह से टारगेट मैच्योरिटी फंड में किसी भी समय निवेश किया जा सकता है और किसी भी समय उनसे निकला जा सकता है। इनमें एक्सपेंस रेश्यो भी काफी कम (10 से 50 आधार अंक) रहता है।

यह चूंकि पोर्टफोलियो इंडेक्स की तर्ज पर चलता है, इसलिए रकम लगाते समय ही निवेशकों को पता रहता है कि कौन से बॉन्ड या प्रतिभूति पोर्टफोलियो में शामिल होंगे। इन पर मिलने वाला कूपन यानी ब्याज दोबारा निवेश कर दिया जाता है, इसलिए निवेशकों को चक्रवृद्धि का फायदा भी मिल जाता है। मगर शुद्ध यील्ड टु मैच्योरिटी के बराबर रिटर्न हासिल करने के लिए आपको फंड परिपक्व होने तक निवेश बनाए रखना होगा। कप्पा का कहना है, ‘फंड की अवधि के हिसाब से शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) भी ऊपर-नीचे हो सकता है। यदि निवेशक फंड परिपक्व होने से पहले निकल गया तो हो सकता है कि उसे अच्छा रिटर्न हासिल नहीं हो।’

टारगेट मैच्योरिटी फंड चुनते समय सबसे पहला ध्यान अवधि पर होना चाहिए। कप्पा की सलाह है, ‘पहले से अनुमानित रिटर्न की उम्मीद वाले निवेशक को फंड की अवधि के बराबर अवधि के लिए ही निवेश करना चाहिए। पूंजीगत लाभ तलाश रहा चतुर निवेशक इस समय लंबी अवधि वाले फंड में रकम लगा देगा, क्योंकि लगभग तय है कि ब्याज दरें अब नहीं बढ़ेंगी।’

आपने अवधि तय नहीं की है तो उतने समय के लिए रकम लगाएं, जितने समय में शुद्ध यील्ड टु मैच्योरिटी आकर्षक हो। एसोसिएशन ऑफ रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के बोर्ड सदस्य दिलशाद बिलिमोरिया के हिसाब से मौजूदा यील्ड चार साल तक बनी रह सकती है। ज्यादातर मौकों पर राज्य सरकारों के बॉन्ड और एएए बॉन्ड में निवेश करने वाले टारगेट मैच्योरिटी फंड की यील्ड केंद्र सरकार के बॉन्ड में निवेश करने वाले फंड से अधिक रहती है।

इन फंडों से होने वाले पूंजीगत लाभ पर उसी दर से कर लगता है, जिस दर वाले कर स्लैब में निवेशक आता है। मेहता बताती हैं, ‘इनकम डिस्ट्रिब्यूशन कम कैपिटल विदड्रॉअल में हुई आय को भी कुल कर योग्य आय में जोड़कर स्लैब दर के हिसाब से कर वसूला जाता है।’ विशेषज्ञों का कहना है कि इंडेक्सेशन लाभ हटाने पर भी ब्याज दर अवधि का जोखिम लेने के लिए म्युचुअल फंड ही सर्वश्रेष्ठ हैं।

लंबे समय तक सुरक्षित निवेश चाहने वाले निवेशक इन फंड पर दांव खेल सकते हैं। हम फौजी इनीशिएटिव्स के सीईओ कर्नल (रिटायर्ड) संजीव गोविला का कहना है कि लंबी अवधि के बॉन्ड पर अधिक ब्याज दर से बढ़िया रकम जमा हो जाती है। वह कहते हैं कि ब्याज दरों और बॉन्ड मूल्य के बीच छत्तीस का आंकड़ा भी चतुर निवेशकों को पूंजीगत लाभ करा देता है। उनके मुताबिक ओपन एंडेड फंड होने के कारण निवेशक ब्याज दर घटने पर नुकसान होता देखकर टारगेट मैच्योरिटी फंड से निकल भी सकते हैं।

कई विशेषज्ञ डेट फंड को फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) से बेहतर बताते हैं। बिलिमोरिया का कहना है, ‘तरलता और पूंजी में इजाफे की संभावना के कारण ये फंड अब भी एफडी से बेहतर हैं। इन पर टीडीएस भी नहीं कटता और बिक्री के समय ही कर वसूला जाता है।’ एफएमपी में तरलता नहीं होती। कप्पा का कहना है, ‘एफएमपी अवधि के जोखिम के बजाय क्रेडिट जोखिम लेते हैं। अधिक समय के लिए निवेश करना है तो टारगेट मैच्योरिटी फंड एफएमपी और एफडी पर भारी पड़ जाते हैं।’

First Published - December 18, 2023 | 8:19 AM IST

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