भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा 70 लाख निवेशकों पर किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि इक्विटी सेग्मेंट में इंट्राडे ट्रेडिंग करने वाले 71 फीसदी निवेशकों की रकम डूब गई। उनका औसत घाटा 5,371 रुपये रहा।
बाजार धारणा को मापना मुश्किलः इंट्राडे में शेयरों की कीमत में घट-बढ़ धारणा बदलने से होती है। इंट्राडे में ट्रेडिंग करने वाले अधिकतर निवेशक अनुमान के आधार पर दांव लगाते हैं कि कोई धारणा किसी शेयर किस दिशा में ले जाएगी। प्लूटस कैपिटल के निवेश प्रमुख अंकुर कपूर का कहना है, ‘आप कई बार भाग्यशाली हो सकते हैं मगर रोजाना किसी शेयर की गति का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल होता है।’
बाजार में तेजी के दौरान जब अधिकतर शेयर लंबे समय तक के लिए चढ़े रहते हैं तो उस वक्त कारोबारी मुनाफा कमा सकते हैं। तब वे अपनी सफलता का श्रेय बाजार की दिशा को न देते हुए अपने कौशल को देते हैं। जब बाजार गिरता है तो अधिकतर निवेशकों को भारी नुकसान हो जाता है।
लीवरेज: अपने रिटर्न को बढ़ाने के लिए डे ट्रेडर्स लीवरेज का लाभ लेते हैं। कपूर कहते हैं, ‘जिस तरह लीवरेज का फायदा मिलने से रिटर्न बढ़ता है उसी तरह इससे नुकसान भी ज्यादा होता है।’
रोजाना एक जैसी स्थिति नहींः इंट्रा डे ट्रेडिंग करने वाले लोगों को लगता है कि उनके पास पैसा कमाने का मौका 50:50 है। एक दशक से अधिक समय से क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बेंगलूरु में वेल्थ मैनेजमेंट पढ़ाने वाले और निवेशक एसजी राजा शेखरन का कहना है, ‘ये तब ही सही हो सकता है जब सभी निवेशकों के पास समान जानकारी, अनुभव और समान निवेश साधन हों। निवेशकों के मैदान में खुदरा निवेशक सबसे कमजोर होते हैं। उनका मुकाबले बड़ी रकम वाले अनुभवी निवेशकों से होता हैं, जिनके पास अधिक जानकारी और डेटा होता है साथ ही वह तेज कंप्यूटर के साथ भी काम करते हैं। इससे खुदरा निवेशकों के पास बड़ी रकम कमाने का अवसर कम हो जाता है।’
आदत लगना: इंट्राडे ट्रेडिंग एक तरह से जुए जैसा होता है। इसकी आदत भी लग सकती है। राजा शेखरन का कहना है, ‘भले ही इंट्राडे ट्रेडर की रकम डूब जाए, मगर उन्हें यह उम्मीद रहती है कि एक न एक दिन उनकी स्थिति बदल सकती है। इसके अलावा, इसमें कुछ हजार रुपये ही लगाए जाते हैं, लेकिन अंततः धीरे-धीरे यही छोटी रकम बड़ी होती जाती है और उन्हें गंभीर आर्थिक नुकसान लगता है।’
फुल टाइम नौकरी या कोई अन्य काम करने वालों को इंट्राडे ट्रेडिंग से बचना चाहिए क्योंकि वे अपना पूरा ध्यान नहीं दे पाते हैं हैं जिससे प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ता है और उन्हें नुकसान हो सकता है।
एसएएस ऑनलाइन के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी श्रेय जैन का कहना है, ‘अगर आप ऐसा करते हैं तो उचित जीत हार अनुपात वाली ट्रेडिंग रणनीतियों को सीखने में समय लगाएं। इसके साथ ही पोजीशन के आकार और जोखिम प्रबंधन को भी सीखना होगा। इसके बाद अपनी चुनी हुई रणनीति पर कायम रहें। छोटी रकम के साथ शुरुआत करें और अपनी ट्रेडिंग का लेखा-जोखा रखें। इससे आपको आपके ट्रेडिंग व्यवहार के बारे में पता चलेगा।’
राजा शेखरन की सलाह है कि इंट्राडे ट्रेडिंग को अपनी नेटवर्थ के करीब 5 फीसदी तक सीमित रखना चाहिए और वह रकम डूब जाए तो उसे छोड़ देना चाहिए।
कपूर के मुताबिक, इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी शेयर के घट-बढ़ के अनुमान के लिए चार्ट से मदद नहीं मिलेगी।