दीवाली के कुछ दिनों पहले से ही कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा शुरू कर दी थी। कुछ कंपनियों ने तो काफी शानदार बोनस देने की घोषणा की है। चेन्नई की एक फर्म ने दीवाली बोनस के तौर पर अपने कर्मचारियों को मर्सिडीज-बेंज सहित 28 कारें और 29 बाइक दी हैं।
हरियाणा की एक कंपनी ने अपने सुपरस्टार कर्मचारियों को 13 टाटा पंच और दो ग्रैंड विटारा एसयूवी देने का वादा किया है। कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को नकद बोनस भी देती हैं। अगर आपको भी नकद बोनस मिला है तो इस अप्रत्याशित लाभ को विवेकपूर्ण तरीके से खर्च करना अधिक फायदेमंद रहेगा।
फिनोवेट की सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) नेहल मोटा ने कहा, ‘बिना सोचे-समझे पूरी रकम खर्च करने से परहेज करें। इसे खर्च करने के लिए एक बजट तैयार करें।’
बजट बनाने का तरीका
बोनस की रकम को दो हिस्सों में बांट देना चाहिए। मोटा ने कहा, ‘आप 30 फीसदी रकम इलेक्ट्रॉनिक्स खरीदने अथवा मकान को बेहतर बनाने के लिए खर्च कर सकते हैं। इसी प्रकार 10 फीसदी रकम पारिवारिक छुट्टियों के लिए और 30 फीसदी रकम ऋण बोझ को कम करने के लिए निर्धारित कर सकते हैं। इसके अलावा आप 10 फीसदी रकम खुद के लिए और 5 से 10 फीसदी रकम दान या उपहार मद में खर्च कर सकते हैं।’
जिन लोगों पर अधिक ब्याज लागत वाला कर्ज नहीं है, वे अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निवेश भी कर सकते हैं। बजट आपकी प्रमुख वित्तीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए खर्च करने की इच्छा को संतुलित करता है।
कर्ज पर लगाएं लगाम
अगर आप क्रेडिट कार्ड ऋण जैसे अधिक ब्याज लागत वाले ऋण बोझ तले दबे हैं तो बोनस के एक हिस्से का इस्तेमाल उसकी अदायगी के लिए करें। 40 फीसदी ब्याज दर का भुगतान करते हुए 12 से 15 फीसदी रिटर्न के लिए निवेश करना बेकार है। कभी-कभी कम लागत वाले ऋण को बरकरार रखना बेहतर रहता है। ऐसा विशेष तौर पर कर लाभ वाले मामलों में दिखता है।
आनंद राठी वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने कहा, ‘अगर आपके शिक्षा ऋण पर ब्याज दर 8 फीसदी है और उस पर आयकर अधिनियम की धारा 80ई के तहत कर लाभ मिलता है तो उसे जारी रखने में ही समझदारी होगी, बजाय इसके कि आप कहीं निवेश कर 12 फीसदी का रिटर्न हासिल करें, इससे आपको महज 4 फीसदी का लाभ ही मिलेगा।’
आपातकालीन कोष बनाएं
अगर आपके पास कोई आपातकालीन कोष नहीं है अथवा वह खत्म हो चुका है तो उसे नए सिरे से तैयार करने के लिए भी बोनस के एक हिस्से का इस्तेमाल किया जा सकता है। एप्सिलॉन ग्रुप के मल्टी आर्क वेल्थ के सहायक उपाध्यक्ष (निवेश) सिद्धार्थ आलोक ने कहा, ‘आपातकालीन कोष में 6 से 12 महीने के मासिक खर्च जितनी रकम रखना चाहिए।’
मोटा ने सुझाव दिया कि आपातकालीन कोष को लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड जैसे विकल्पों में निवेश करना चाहिए।
परिसंपत्ति आवंटन के आधार पर करें निवेश
उचित परिसंपत्ति आवंटन के जरिये विभिन्न लक्ष्यों के लिए निवेश करें। सेवानिवृत्ति जैसे दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए 80 फीसदी इक्विटी और 20 फीसदी डेट वाले पोर्टफोलियो का लक्ष्य रखें। मध्यावधि लक्ष्यों के लिए 70:30 इक्विटी बनाम डेट का अनुपात आदर्श है। अल्पकालिक उद्देश्यों के लिए डेट म्युचुअल फंड जैसे विकल्प को प्राथमिकता देना चाहिए क्योंकि इससे पूंजी सुरक्षित रहते हुए अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
कराधान को न करें नजरअंदाज
निर्धारित सीमा से अधिक के उपहार पर कराधान का प्रावधान है। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराणा ने कहा, ‘कर योग्य उपहारों की उचित घोषणा न करने पर आपको जांच, अतिरिक्त कर, जुर्माना और भुगतान न की गई रकम पर ब्याज जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है।’
बोनस भी कराधान के दायरे में होता है क्योंकि उसे कर्मचारी के वेतन का हिस्सा माना जाता है। अगर बोनस को वेतन में जोड़ दिया जाता है तो उस पर लागू स्लैब दर के हिसाब से कर लगाया जाता है। सुराणा ने कहा, ‘नियोक्ता द्वारा टीडीएस अवश्य काटा जाना चाहिए।’
लंबी अवधि की देनदारियों से बचें
दीवाली बोनस को ऐसे उत्पादों में निवेश करने से बचना चाहिए जिनमें लंबी अवधि की देनदारी की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए, बीमा-सह-निवेश योजनाओं में आम तौर पर निवेशक को लंबी अवधि के लिए प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। समय से पहले सरेंडर करने पर लागत काफी अधिक होती है।
मोटा ने कहा, ‘अगर भविष्य के बोनस के बारे में अनिश्चितता है तो इस प्रकार की देनदारियों में बंधने से बचना चाहिए।’ अगर आप डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड में निवेश करना चाहते हैं तो आपको शेयरों के बढ़े मूल्यांकन को ध्यान में रखना चाहिए।
मोटा ने कहा कि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये निवेश करना चाहिए अथवा लिक्विड फंड में निवेश करने के बाद सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान के जरिये रकम को इक्विटी फंड में हस्तांतरित करना चाहिए।