निवेश की दुनिया में अक्सर यह सवाल उठता है कि SIP चुनना बेहतर है या लंप सम निवेश। कई निवेशक इस दुविधा में रहते हैं कि कौन-सा तरीका ज़्यादा रिटर्न देगा और किसमें जोखिम कम होगा। इस लेख में हम इन दोनों तरीकों की विस्तार से तुलना करेंगे और जानेंगे कि आपके लिए कौन-सा विकल्प ज़्यादा फायदेमंद हो सकता है।
SIP एक ऐसा तरीका है जिसमें निवेशक हर महीने, तिमाही या सालाना आधार पर एक तय राशि म्यूचुअल फंड या शेयरों में निवेश करते हैं। यह नियमित और अनुशासित निवेश की आदत को बढ़ावा देता है। SIP की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें बाज़ार की टाइमिंग पर ज़ोर नहीं होता, क्योंकि यह ‘रुपया लागत औसत’ (Rupee Cost Averaging) के सिद्धांत पर काम करता है। जब बाज़ार गिरता है तो आपको ज़्यादा यूनिट्स मिलती हैं, और जब चढ़ता है तो कम यूनिट्स, जिससे औसत लागत संतुलित होती है।
SIP निवेश में असली कमाल कंपाउंडिंग का होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप हर महीने ₹5,000 की SIP करते हैं और 12% सालाना रिटर्न मिलता है, तो 5 साल में ₹1.12 लाख, 10 साल में ₹5.61 लाख, 15 साल में ₹16.22 लाख और 20 साल में ₹37.95 लाख का रिटर्न मिल सकता है। यानी 20 साल में ₹12 लाख का निवेश ₹50 लाख तक बढ़ सकता है।
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SIP की शुरुआत करना आसान है, आप ₹100 जैसे छोटे अमाउंट से शुरू कर सकते हैं। ये तरीका खासकर नए निवेशकों के लिए बहुत उपयोगी है। SIP से बचत की आदत बनती है क्योंकि निवेश हर महीने अपने आप कटता है। ये लचीला तरीका है जिसमें आप अमाउंट बढ़ा या घटा सकते हैं। साथ ही, SIP निवेशकों को मार्केट की टाइमिंग की चिंता नहीं होती और यह बाज़ार के उतार-चढ़ाव को भी लंबे समय में संतुलित कर देता है। इसके अलावा, मल्टी-SIP के ज़रिए आप एक साथ कई तरह के फंड्स में निवेश कर सकते हैं।
लंप सम निवेश का मतलब होता है, एक बार में बड़ी रकम निवेश करना। इसमें निवेशक को बार-बार निवेश करने की ज़रूरत नहीं होती। उदाहरण के लिए, ₹12 लाख की एकमुश्त राशि अगर 20 साल के लिए 12% सालाना रिटर्न पर लगाई जाए, तो यह ₹1.03 करोड़ से ज़्यादा हो सकती है। यह तरीका उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके पास बोनस, सेविंग्स या विरासत में मिली रकम जैसी बड़ी राशि पहले से मौजूद हो।
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लंप सम निवेश में बार-बार पैसे लगाने की ज़रूरत नहीं होती। एक बार में पैसे लगाएं और निवेश अपने आप बढ़ता है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त होता है जिनके पास ज़्यादा पैसा एक साथ निवेश करने के लिए तैयार होता है। साथ ही, इसमें निवेश तुरंत रिटर्न कमाना शुरू कर देता है, जिससे ‘इनवेस्टमेंट गैप’ नहीं आता।
SIP में निवेश धीरे-धीरे होता है, जिससे जोखिम कम होता है और यह लंबी अवधि के लिए उपयुक्त होता है। वहीं, लंप सम में पूरी रकम एक बार में निवेश होने से रिटर्न तेज़ी से बन सकते हैं, लेकिन जोखिम भी ज़्यादा होता है। SIP लचीला होता है, जबकि लंप सम में फ्लेक्सिबिलिटी कम होती है। SIP खासकर उन लोगों के लिए अच्छा है जो नियमित आय (जैसे सैलरी) पर निर्भर हैं, जबकि लंप सम उन लोगों के लिए है जिनके पास बड़ी रकम पहले से मौजूद है।
BPN Fincap के डायरेक्टर अमित कुमार निगम का कहना है कि SIP और लंपसम, दोनों ही निवेश के अच्छे तरीके हैं, लेकिन कौन-सा विकल्प बेहतर रहेगा, यह पूरी तरह से निवेशक की आर्थिक स्थिति, टारगेट और रिस्क उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है। उनके अनुसार, SIP यानी सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान उन लोगों के लिए सही है जिनकी आमदनी नियमित है और जो हर महीने थोड़ा-थोड़ा करके निवेश करना चाहते हैं। यह तरीका न सिर्फ निवेश की आदत डालता है, बल्कि बाजार की उतार-चढ़ाव से भी सुरक्षा देता है, क्योंकि हर महीने अलग-अलग दाम पर यूनिट्स खरीदी जाती हैं। इससे औसतन कम कीमत पर निवेश होता है जिसे ‘रुपी कॉस्ट एवरेजिंग’ कहा जाता है और इससे लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिल सकते हैं।
वहीं, लंपसम निवेश उनके लिए फायदेमंद हो सकता है जिनके पास एक साथ बड़ी रकम होती है और जो बाजार की चाल को समझते हैं। अगर बाजार में गिरावट के समय लंपसम निवेश किया जाए तो ज्यादा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक होता है क्योंकि पूरा पैसा एक साथ निवेश होता है। अमित कुमार निगम कहते हैं कि लंपसम में एक गलत समय पर किया गया निवेश भारी नुकसान भी दे सकता है।
उनका मानना है कि SIP निवेश को एक अच्छी आदत बनाता है और इससे वित्तीय अनुशासन आता है, जबकि लंपसम एक बार का निवेश होता है जिससे अक्सर लोग आगे निवेश करना छोड़ देते हैं। इसीलिए, किसी भी निवेशक को यह समझना जरूरी है कि उसकी आमदनी कैसी है, जोखिम उठाने की क्षमता कितनी है और उसका लक्ष्य क्या है। अमित कुमार निगम की राय में, सोच-समझकर किया गया फैसला ही सही निवेश की कुंजी है।
PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के चीफ बिज़नेस ऑफिसर अभिषेक तिवारी के अनुसार, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक सरल और अनुशासित तरीका है। यदि आपकी इनकम नियमित है, तो SIP सबसे बेहतर विकल्प है क्योंकि यह हर महीने एक तय रकम निवेश करने की सुविधा देता है। वहीं, अगर किसी को एकमुश्त बड़ी राशि मिलती है, तो लमसम निवेश भी सही हो सकता है।
अभिषेक तिवारी बताते हैं कि SIP निवेश को नियमित बनाता है और बाजार के उतार-चढ़ाव से डरने की बजाय, उसका फायदा उठाने में मदद करता है। अगर आप 10 साल या ज्यादा के लिए इक्विटी फंड्स में SIP करते हैं, तो लॉन्ग टर्म में निगेटिव रिटर्न की संभावना बहुत कम होती है।
तिवारी यह भी सुझाव देते हैं कि अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को मजबूत बनाने के लिए हर अलग लक्ष्य (जैसे घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई या रिटायरमेंट) के लिए अलग-अलग SIP शुरू करनी चाहिए। इससे आपको हमेशा यह पता रहेगा कि कौन-सी SIP किस उद्देश्य के लिए है और कब उससे पैसे निकालने हैं।
अगर आप हर साल अपनी निवेश राशि बढ़ाना चाहते हैं, तो मौजूदा फंड में ही SIP टॉप-अप की सुविधा लेकर आप साल दर साल अपने निवेश को बड़ा बना सकते हैं। इससे आपकी सेविंग और फ्यूचर रिटर्न, दोनों बढ़ते हैं।