SIP vs NPS vs EPF: अगर आप निवेश की योजना बना रहे हैं और यह तय नहीं कर पा रहे कि SIP, NPS या EPF में से किस विकल्प को चुना जाए, तो यह रिपोर्ट आपके लिए मददगार हो सकती है। इन तीनों निवेश योजनाओं का उद्देश्य अलग-अलग है और इनका फायदा भी आपकी जरूरतों के हिसाब से अलग हो सकता है। आइए जानते हैं तीनों विकल्पों की खासियत और आपके लिए कौन-सा बेहतर साबित हो सकता है।
SIP के जरिए आप म्यूचुअल फंड्स में हर महीने एक तय रकम निवेश करते हैं। खासतौर पर यह इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश का एक लोकप्रिय तरीका है।
किसके लिए बेहतर है?
मिड से लॉन्ग टर्म गोल्स जैसे घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई या रिटायरमेंट से पहले अच्छा फंड तैयार करना।
रिटर्न:
10% से 15% तक का सालाना रिटर्न मिल सकता है, लेकिन यह बाजार से जुड़ा होता है, यानी गारंटी नहीं है।
लिक्विडिटी:
उच्च – कभी भी पैसा निकाला जा सकता है (ELSS फंड्स को छोड़कर, जिनमें 3 साल की लॉक-इन होती है)।
टैक्स फायदा:
सिर्फ ELSS में निवेश पर सेक्शन 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट।
क्या है NPS?
सरकार द्वारा समर्थित यह योजना रिटायरमेंट के लिए तैयार की गई है, जिसमें इक्विटी और डेट दोनों का मिश्रण होता है।
किसके लिए बेहतर है?
लॉन्ग टर्म रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए उपयुक्त, खासतौर पर उन लोगों के लिए जो पेंशन जैसी स्थिर आय चाहते हैं।
रिटर्न:
औसतन 8% से 10% तक, बाजार से जुड़ा होता है।
लिक्विडिटी:
कम – आंशिक निकासी सिर्फ कुछ विशेष शर्तों पर संभव। 60 वर्ष की उम्र में आंशिक निकासी और बाकी राशि से पेंशन लेनी होती है।
टैक्स फायदा:
₹1.5 लाख तक की छूट सेक्शन 80C के तहत और अतिरिक्त ₹50,000 की छूट सेक्शन 80CCD(1B) के तहत।
क्या है EPF?
संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अनिवार्य रिटायरमेंट सेविंग स्कीम, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान देते हैं।
किसके लिए बेहतर है?
कंजरवेटिव निवेशकों के लिए जो कम जोखिम में सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं।
रिटर्न:
वर्तमान में 8.25% सालाना (सरकार द्वारा तय); ब्याज और मैच्योरिटी दोनों टैक्स-फ्री।
लिक्विडिटी:
कम – पैसा सिर्फ विशेष परिस्थितियों (जैसे शादी, इलाज, घर खरीदना) में आंशिक रूप से निकाला जा सकता है।
टैक्स फायदा:
₹1.5 लाख तक की छूट सेक्शन 80C के तहत।
मापदंड | SIP | NPS | EPF |
जोखिम | मध्यम से उच्च | मध्यम | बहुत कम |
रिटर्न | 10-15% (मार्केट लिंक्ड) | 8-10% | 8.25% (गारंटीड) |
लिक्विडिटी | बहुत अच्छी | सीमित | सीमित |
टैक्स बेनिफिट | ELSS पर 80C | 80C + 80CCD(1B) | 80C के तहत |
उद्देश्य | वेल्थ क्रिएशन | रिटायरमेंट | रिटायरमेंट |
लॉक-इन | नहीं (ELSS को छोड़कर) | 60 वर्ष तक | नौकरी तक |
निवेशकों के सामने अक्सर यह सवाल आता है कि SIP (Systematic Investment Plan), EPF (Employees’ Provident Fund) और NPS (National Pension System) में से किसे चुनना सही रहेगा। इस पर अलग-अलग विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है।
Scripbox के मैनेजिंग पार्टनर सचिन जैन के अनुसार, SIP कोई निवेश प्रोडक्ट नहीं बल्कि निवेश करने का एक तरीका है। इसमें निवेशक हर महीने तय रकम म्यूचुअल फंड्स में डालते हैं। इससे इक्विटी, डेट, गोल्ड या सिल्वर जैसे अलग-अलग विकल्पों में निवेश किया जा सकता है।
वहीं, Wealth Redefine के को-फाउंडर सौम्य सरकार का कहना है कि SIP लंबी अवधि (10+ साल) में EPF और NPS से ज्यादा रिटर्न दे सकता है, लेकिन यह पूरी तरह मार्केट-लिंक्ड है, यानी इसमें उतार-चढ़ाव का रिस्क रहता है। यह उन निवेशकों के लिए सही है जो वेल्थ क्रिएशन चाहते हैं और जोखिम झेल सकते हैं।
सचिन जैन बताते हैं कि EPF एक सरकार समर्थित रिटायरमेंट स्कीम है जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों योगदान करते हैं। यह केवल नौकरीपेशा लोगों के लिए है और योगदान नौकरी के साथ ही चलता है। इसमें टैक्स छूट (धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक) भी मिलती है।
सौम्य सरकार कहते हैं कि EPF पूरी तरह सुरक्षित है और फिलहाल इस पर लगभग 8.25% ब्याज मिलता है। हालांकि, इसमें पैसे निकालने की पाबंदियां हैं और यह केवल रिटायरमेंट बचत के लिए बेहतर है।
सचिन जैन के अनुसार, NPS एक स्वैच्छिक रिटायरमेंट स्कीम है जिसमें निवेशक खुद तय कर सकते हैं कि इक्विटी और डेट में कितना निवेश करना है। इसमें Tier I और Tier II अकाउंट्स होते हैं, जिनमें अलग-अलग लिक्विडिटी और टैक्स बेनिफिट्स मिलते हैं।
सौम्य सरकार बताते हैं कि NPS में लागत बहुत कम है और यह लंबे समय के लिए स्थिर रिटर्न देता है। हालांकि, रिटायरमेंट पर 40% राशि से एन्युटी खरीदना अनिवार्य है। इसमें टैक्स छूट और बेहतर रिटायरमेंट प्लानिंग का फायदा मिलता है।
नोट- अगर आप एक संतुलित निवेश पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं तो इन तीनों विकल्पों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करना समझदारी होगी। इससे न सिर्फ टैक्स बचत होगी, बल्कि आपका रिटायरमेंट भी सुरक्षित रहेगा और आप अपने अन्य वित्तीय लक्ष्यों को भी समय पर पूरा कर सकेंगे।