सरकार ने सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (Senior Citizen’s Savings Scheme या SCSS) से संबंधित नियमों में बदलाव किया है। ये बदलाव 9 नवंबर 2023 से लागू भी हो गए हैं। जिसके बाद यह स्कीम वरिष्ठ नागरिकों यानी सीनियर सिटीजन के लिए और बेहतर हो गई है। इससे पहले 1 अप्रैल 2023 से इस स्कीम में निवेश की सीमा को 15 लाख रुपये से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दिया गया था।
सरकार की जितनी भी छोटी बचत योजनाएं (small savings schemes) हैं, उनमें सबसे ज्यादा ब्याज फिलहाल SCSS पर ही है। मौजूदा अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए इस स्कीम पर ब्याज 8.2 फीसदी है। अप्रैल-जून 2023 तिमाही के बाद से इस स्कीम पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
अक्टूबर-दिसंबर 2022 तिमाही के लिए ब्याज दर को 7.4 फीसदी से बढ़ाकर 7.6 फीसदी किया गया। जिसे अगली तिमाही यानी जनवरी- मार्च 2023 के लिए बढ़ाकर 8 फीसदी और फिर अप्रैल-जून 2023 तिमाही के लिए बढ़ाकर 8.2 फीसदी कर दिया गया।
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अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2022 तक इस स्कीम पर ब्याज 7.4 फीसदी पर स्थिर था जबकि इससे पहले अप्रैल 2019 से लेकर मार्च 2020 तक इस स्कीम पर सरकार 8.6 फीसदी ब्याज दे रही थी।
सरकार SCSS सहित अन्य छोटी बचत योजनाओं पर हर तिमाही ब्याज का निर्धारण करती है।
जोखिम रहित निवेश, उच्च ब्याज दर और ब्याज के हर तिमाही भुगतान की सुविधा की वजह से सीनियर सिटीजन इस स्कीम में निवेश को लेकर बेहद उत्सुक होते हैं। अब बात करते हैं नए बदलावों की:
यह स्कीम सिर्फ वरिष्ठ नागरिकों के लिए है। इस स्कीम में 60 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र का कोई व्यक्ति व्यक्तिगत (individual) या संयुक्त (joint) अकाउंट खोल सकता है। Joint अकाउंट में joint होल्डर की उम्र को लेकर कोई बंधन नहीं है।
साथ ही 55 से 60 वर्ष के बीच सेवानिवृत्ति योजना (voluntary retirement scheme या VRS) या रिटायरमेंट लेने वाले और 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र के रिटायर्ड डिफेंस पर्सनेल भी इसमें निवेश कर सकते हैं। लेकिन नए नियमों से पहले इन लोगों को रिटायरमेंट बेनेफिट मिलने के एक महीने के अंदर इस स्कीम में निवेश करना जरूरी होता था।
नए नियमों के मुताबिक ऐसे लोग अब रिटायरमेंट बेनेफिट मिलने के तीन महीने के अंदर इस स्कीम में निवेश कर सकते हैं।
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यदि नौकरी के दौरान सरकारी कर्मचारी की मौत हो जाती है
पति/पत्नी खुलवा सकते हैं अकाउंट : एक अन्य बदलाव के तहत अगर 50 साल या इससे ज्यादा उम्र के सरकारी कर्मचारी (केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी जो रिटायरमेंट बेनिफिट या डेथ कंपेंसेशन के हकदार हैं) की मौत सेवा अवधि के दौरान हो जाती है तो उनके जीवनसाथी (पति या पत्नी) इस अकाउंट को खुलवा सकते हैं।
इस स्कीम का मैच्योरिटी पीरियड 5 वर्ष है। नए नियमों के मुताबिक आप इसे तीन-तीन साल की अवधि के लिए आगे बढ़ा सकते हैं। मतलब अब आप तीन साल की अवधि के लिए इस अकाउंट को एक से ज्यादा बार बढ़ा सकते हैं। जबकि पहले सिर्फ एक बार तीन साल की अवधि के लिए इस अकाउंट को बढ़ाने की इजाजत थी।
पहली बार अकाउंट के एक्सटेंशन के लिए अकाउंट होल्डर को पहले की तरह मैच्योरिटी के एक वर्ष के भीतर फॉर्म-4 भरकर जमा करना होगा। हालांकि अकाउंट एक्सटेंड उस दिन से नहीं जिस दिन आपने अप्लाई किया है बल्कि मैच्योरिटी की तारीख से होगा।
वहीं यदि आप फिर से अकाउंट को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो नए प्रावधान के मुताबिक आपको 3 साल के एक्सटेंडेड पीरियड की समाप्ति के एक वर्ष के भीतर फॉर्म-4 भरकर जमा करना होगा। जबकि अकाउंट 3 साल की विस्तारित अवधि की अंतिम तारीख से एक्सटेंड होगा।
नए बदलाव के तहत यदि अवधि विस्तार की शुरुआत के एक वर्ष के अंदर अकाउंट को बंद करते हैं तो आपकी जमा राशि में से 1 फीसदी बतौर पेनाल्टी काटकर आपको बाकी राशि लौटाई जाएगी।
यदि आप इस अकाउंट को 5 साल की मैच्योरिटी के बाद पहली बार एक्सटेंड करते हैं तो आपको विस्तारित अवधि (extended period) के दौरान वही ब्याज मिलेगा जो मैच्योरिटी के दिन होगा। यह नियम तो पहले की तरह है।
लेकिन क्योंकि अब तीन साल के ब्लॉक में इस स्कीम को एक से अधिक बार एक्सटेंड करने का प्रावधान किया गया है इसलिए यदि आप इस अकाउंट को एक से अधिक बार एक्सटेंड करते हैं तो आपको बाद के एक्सटेंडेड पीरियड में वही ब्याज मिलेगा जो उसके ठीक पहले के एक्सटेंडेड मैच्योरिटी के दिन था।
अकाउंट होल्डर की मौत के बाद भी रख सकते हैं जारी
ज्वाइंट अकाउंट या यदि जीवनसाथी एकमात्र नॉमिनी है – इस मामले में यदि अकाउंट होल्डर की मौत हो जाती है तो नए प्रावधानों के मुताबिक जीवनसाथी (पति/पत्नी) को अकाउंट को पहले की शर्तों पर ही आगे जारी रखने की इजाजत होगी। बशर्ते वह इस स्कीम के लिए एलिजिबल हो। इससे पहले ऐसे मामलों में जीवनसाथी को इस बात की इजाजत नहीं थी।
अब इस स्कीम से संबंधित अन्य नियमों को जानते हैं :
इस अकाउंट में वन-टाइम निवेश ही किया जा सकता है। इसका मतलब है कि जिस समय आप इस स्कीम में invest करते हैं, उस समय सरकार ने उस पर जो ब्याज तय किया है आपको मैच्योरिटी पीरियड (maturity period) तक उसी दर पर ब्याज मिलेगा। सरकार आगे ब्याज दर बढ़ाए या घटाए, आपके ब्याज पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
इस स्कीम में अधिकतम 30 लाख रुपये और न्यूनतम 1,000 रुपये निवेश किया जा सकता है। यह अकाउंट पोस्ट ऑफिस (Post Office), पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSB) और चुनिंदा निजी क्षेत्र के बैंकों में खुलवाया जा सकता है। लेकिन उस ब्रांच में आपका सेविंग अकाउंट (Saving Account) भी होना जरूरी है। आपके इसी सेविंग अकाउंट से SCSS अकाउंट को जोड़ा जाता है।
यह मानते हुए कि सीनियर सिटीजन को पैसों की नियमित जरूरत पड़ती है, इसमें रिटर्न (ब्याज) भी नियमित मिलता है जो हर तीन महीने में इस अकाउंट से जुड़े सेविंग अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है। ब्याज का भुगतान हर अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर और जनवरी की पहली तारीख को सेविंग अकाउंट में कर दिया जाता है।
मान लीजिए आपने एकमुश्त 30 लाख रुपए जमा किए हैं तो मौजूदा ब्याज दर (8.2 फीसदी) के हिसाब से एक वित्त वर्ष में 2,46,000 रुपये यानी हर तिमाही 61,500 रुपये ब्याज मिलेंगे जो आपके सेविंग अकाउंट में क्रेडिट हो जाएंगे।
अकाउंट खोलने के एक साल के भीतर अगर आप जमा रकम निकालते हैं तो आपको इस जमा रकम पर कुछ भी ब्याज नहीं मिलेगा। यदि ब्याज मिला है तो उसे काटकर आपको बाकी रकम लौटाई जाएगी। एक साल के बाद लेकिन दो साल के भीतर अकाउंट को बंद कर जमा रकम निकालने के एवज में जमा रकम पर 1.5 फीसदी की पेनाल्टी देनी होगी।
दो साल की अवधि पूरी होने के बाद लेकिन 5 साल से पहले जमा रकम निकालने के एवज में जमा रकम पर एक फीसदी पेनाल्टी देनी होगी। अगर 5 वर्ष के बाद अकाउंट 3 वर्ष की विस्तारित अवधि (extended period) में है तो ऐसी स्थिति में एक साल बाद यानी 6 वर्ष पूरे होने पर ही अकाउंट को बंद कर जमा रकम निकाली जा सकती है। तब कोई पेनाल्टी नहीं देनी होगी।
इस स्कीम में निवेश की राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स में छूट का प्रावधान है, लेकिन प्रीमैच्योर विड्रॉल की स्थिति में यह छूट नहीं मिलेगी।
यह स्कीम उन लोगों के लिए ज्यादा बेहतर है जिनके पास नियमित आमदनी का जरिया यानी पेंशन नहीं है। या है भी तो यह सुनिश्चित कर लें कि इस स्कीम से मिलने वाले ब्याज को जोड़ने के बाद भी सालाना इनकम पर टैक्स देनदारी (सेक्शन 80TTB का फायदा लेने के बाद भी) नहीं बनती हो। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTB के तहत 60 या 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति यानी सीनियर सिटीजन को बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी, पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट व टर्म डिपॉजिट पर एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये तक मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री है।
लेकिन कोई सीनियर सिटीजन इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं तो उनके लिए यह स्कीम अच्छी नहीं है। इसकी वजह यह है कि इस स्कीम में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में छूट नहीं है। मतलब ब्याज सालाना आय में जुड़ जाता है। परिणामस्वरूप टैक्स स्लैब के हिसाब से ब्याज पर टैक्स देना पड़ेगा और रिटर्न कम हो जाएगा। जो लोग ऊपर के टैक्स स्लैब यानी 20 और 30 फीसदी के दायरे में हैं उनके लिए तो यह स्कीम बेहतर नहीं है।
इस बात की संभावना है कि आगे भी एक दो तिमाही के लिए SCSS सहित अन्य small savings schemes पर ब्याज दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए फिलहाल एक साथ निवेश करने के बजाय थोड़ा-थोड़ा निवेश करें। अगर आपके पास 30 लाख रुपए की रकम है तो इसे 2-3 बार में अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक निवेश करें। इसका फायदा यह होगा कि आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत फायदा इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के लिए भी मिल जाएगा (एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की रकम पर फायदा मिलेगा)।
सुकन्या समृद्धि योजना और पीपीएफ की तरह इस स्कीम में ब्याज में कंपाउंडिंग का फायदा नहीं मिलता। अगर आप ब्याज की रकम को सेविंग अकाउंट में छोड़ देते हैं तो उस पर सेविंग अकाउंट पर जो ब्याज मिलता है वह मिलेगा। इसलिए सलाह है कि जैसे ही ब्याज आपके सेविंग अकाउंट में आए, उसे कम से कम रेकरिंग डिपॉजिट अकाउंट (आरडी) में ट्रांसफर कर दें।