Retirement Planning
Retirement Planning: रिटायरमेंट जैसे बड़े लक्ष्यों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग करते समय सही अनुमान लगाना बेहद अहम है। अधिकतर लोग कंपाउंडिंग के असर को समझते हैं, लेकिन महंगाई (Inflation) के असर को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
मान लीजिए, आपने ₹5 लाख की एकमुश्त राशि 8% सालाना रिटर्न पर लगाई। 30 साल बाद यह रकम बढ़कर करीब ₹50.32 लाख हो जाएगी। यानी मूलधन से 10 गुना से भी ज्यादा। लेकिन 30 साल बाद ₹50.32 लाख की असली कीमत उतनी नहीं रहेगी, जितनी आज है। महंगाई की वजह से इस रकम की खरीदने की ताकत काफी कम हो जाएगी।
इसी तरह अगर कोई व्यक्ति ₹10,000 हर महीने SIP में 8% सालाना रिटर्न पर 20 साल तक निवेश करता है, तो उसके पास लगभग ₹56.89 लाख का कॉर्पस बनेगा। लेकिन 20 साल बाद यह रकम आज की तुलना में कहीं कम चीजें खरीद पाएगी।
निवेश एक गति से बढ़ता है और महंगाई दूसरी गति से। जब इन दोनों को एडजस्ट किया जाता है, तभी असली (real) रिटर्न का अंदाज़ा लगता है। यही होता है महंगाई एडजस्टेड रिटर्न, जो बताता है कि निवेश से बनने वाला कॉर्पस असल खरीदारी क्षमता के हिसाब से कितना है।
महंगाई एडजस्टेड रिटर्न निकालने का फॉर्मूला है:
(1+Investment Return %)/(1+Inflation Rate %) – 1 × 100
जैसे, अगर सालाना रिटर्न 8% है और महंगाई 5% है, तो महंगाई एडजस्टेड रिटर्न सिर्फ 2.86% ही रहेगा।
बिना महंगाई: अगर ₹10,000 महीने का SIP 25 साल तक 8% रिटर्न पर लगाया जाए तो कुल निवेश ₹60 लाख होगा और अनुमानित कॉर्पस ₹91.48 लाख बनेगा।
महंगाई जोड़ने पर: यही ₹91.48 लाख का कॉर्पस 5% महंगाई पर आज की कीमत में सिर्फ ₹43.60 लाख के बराबर बचेगा। अगर महंगाई 6% हो तो यह घटकर ₹38.27 लाख रह जाएगा।