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New Income Tax Bill: नए आयकर कानून में 536 धाराएं, 23 अध्याय और 622 पेज, ‘कर वर्ष’ से होगी टैक्स कैलकुलेशन

नए प्रस्तावित कानून में आयकर अधिनियम, 1961 में इस्तेमाल किए गए ‘पिछला वर्ष’ शब्द को बदलकर ‘कर वर्ष’ (Tax Year) कर दिया गया है।

Last Updated- February 12, 2025 | 3:05 PM IST
Income Tax
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New Income Tax Bill: नया इनकम टैक्स बिल 13 फरवरी, गुरुवार को संसद में पेश किया जाएगा। यह बिल 622 पन्नों का होगा और 1961 के इनकम टैक्स एक्ट को बदलने के लिए लाया जा रहा है। इस नए कानून को इनकम टैक्स एक्ट 2025 नाम दिया जाएगा और इसके अप्रैल 2026 से लागू होने की उम्मीद है।

नए प्रस्तावित कानून में आयकर अधिनियम, 1961 में इस्तेमाल किए गए ‘पिछला वर्ष’ शब्द को बदलकर ‘कर वर्ष’ (Tax Year) कर दिया गया है। साथ ही, असेसमेंट ईयर (आकलन वर्ष) की अवधारणा को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।

इनकम टैक्स बिल में 536 धाराएं शामिल की गई हैं, जो पुराने आयकर अधिनियम, 1961 की 298 धाराओं से ज्यादा हैं। इसके अलावा, मौजूदा 14 अनुसूचियों को बढ़ाकर 16 कर दिया गया है। इसमें 23 अध्याय होंगे, लेकिन पृष्ठों की संख्या घटकर 622 रह गई है, जो मौजूदा आयकर अधिनियम का लगभग आधा है। वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 में समय-समय पर किए गए संशोधनों के बाद इसकी पृष्ठ संख्या काफी बढ़ गई थी। जब यह पहली बार लाया गया था, तब इसमें 880 पृष्ठ थे।

कर मामलों के जानकार रजत मोहन का कहना है कि नए कानून में आधुनिक अनुपालन तंत्र, डिजिटल शासन और व्यवसायों एवं व्यक्तियों के लिए सुव्यवस्थित प्रावधान शामिल हैं। इसमें 16 अनुसूचियां और 23 अध्याय होंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि आयकर विभाग को अब प्रक्रियाओं, कर योजनाओं और अनुपालन से जुड़े मामलों के लिए संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। इसके बजाय, सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) को सीधे योजनाएं पेश करने और कर प्रशासन को अधिक गतिशील बनाने का अधिकार दिया गया है। इससे नौकरशाही में देरी कम होगी और कर व्यवस्था को सरल बनाया जा सकेगा।

कर विशेषज्ञ मिहिर तन्ना, एसोसिएट डायरेक्टर, एस के पटोदिया एंड एसोसिएट्स के मुताबिक, नए बिल में टैक्स रिटर्न फाइलिंग के नियमों में बदलाव किया गया है, जिससे रिटर्न भरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

उन्होंने बताया कि इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 139 में प्रावधान था कि अगर किसी व्यक्ति ने पूंजीगत लाभ (Capital Gains) से नई संपत्ति खरीदी और टैक्स छूट मिली, तो भी उसे टैक्स रिटर्न भरना पड़ता था, यदि उसकी पूंजीगत आय न्यूनतम कर छूट सीमा से अधिक हो।

लेकिन नए बिल में सेक्शन 263 के तहत अब यह नियम बदल दिया गया है। इसके तहत, अगर किसी संपत्ति की बिक्री से मिलने वाली कुल राशि न्यूनतम कर छूट सीमा से अधिक होगी, तो व्यक्ति को इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा, भले ही लागत या कटौती के बाद टैक्स न बनता हो। इस बदलाव से उन लोगों पर असर पड़ेगा जो संपत्तियों की बिक्री से पूंजीगत लाभ कमाते हैं और छूट का लाभ लेते थे।

FM सीतारमण ने नए इनकम टैक्स बिल का किया था ऐलान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में घोषणा की थी कि नया कर विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा। इस विधेयक में कर प्रशासन को आसान बनाने, डिजिटल कर निगरानी प्रणाली लागू करने और कर विवादों के जल्द निपटारे के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं। प्रस्तावित कानून के तहत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को कर प्रशासन नियमों को लागू करने, नए अनुपालन उपाय पेश करने और डिजिटल निगरानी प्रणाली लागू करने की शक्ति मिलेगी। यह सब बिना बार-बार कानूनी संशोधन किए संभव होगा।

आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा के लिए वित्त मंत्रालय ने एक आंतरिक समिति बनाई थी, जिसका मकसद कर कानून को सरल, स्पष्ट और समझने में आसान बनाना था। इसके अलावा, कर विवादों और मुकदमों को कम करने और करदाताओं के लिए अधिक स्पष्टता लाने पर भी ध्यान दिया गया। इस समीक्षा के लिए 22 विशेष उप-समितियों का गठन किया गया, जिन्होंने आयकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं की जांच की। सरकार ने जनता और संबंधित पक्षों से सुझाव भी मांगे, जिन्हें चार श्रेणियों में बांटा गया – भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन को आसान बनाना और अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधानों को हटाना।

इस प्रक्रिया के दौरान आयकर विभाग को 6,500 सुझाव मिले हैं। अब जब यह विधेयक संसद में पेश होगा, तो इसे विस्तृत चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जा सकता है। सरकार इस नए कर विधेयक के जरिए कर प्रशासन को अधिक पारदर्शी और करदाताओं के लिए सरल बनाने की दिशा में काम कर रही है।

First Published - February 12, 2025 | 3:05 PM IST

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