NPS vs UPS: केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) से जुड़े कर्मचारियों को एक नया विकल्प दिया है। ऐसे सभी केंद्रीय कर्मचारी जो 1 अप्रैल 2025 तक सेवा में हैं और NPS के तहत कवर हैं, वे 30 जून 2025 तक यह तय कर सकते हैं कि वे यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) अपनाना चाहते हैं या नहीं। UPS एक नई पेंशन योजना है जो रिटायरमेंट के बाद तय मासिक पेंशन की गारंटी देती है, जो NPS में नहीं मिलती।
वे सभी केंद्रीय कर्मचारी जो 1 अप्रैल 2025 तक सेवा में हैं और अभी NPS के तहत आते हैं, इस विकल्प को चुन सकते हैं।
यह योजना 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगी। कर्मचारियों को 30 जून तक UPS को चुनने या न चुनने का फैसला करना होगा। यह कदम उन कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है जो रिटायरमेंट के बाद की आय सुरक्षा चाहते हैं।
अगर आप एनपीएस (नेशनल पेंशन सिस्टम) से यूपीएस (यूनिफाइड पेंशन स्कीम) में शिफ्ट करना चाहते हैं, तो अब यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी की जा सकती है। पात्र कर्मचारी खुद ही यह बदलाव e-NPS पोर्टल के ज़रिए कर सकते हैं। जानिए स्टेप-बाय-स्टेप तरीका:
अगर आप ऑफलाइन प्रक्रिया अपनाना चाहते हैं, तो https://www.npscra.nsdl.co.in/ups.php से Form A2 डाउनलोड करें, उसे भरें और अपने नोडल ऑफिस में जमा करें।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और पुरानी पेंशन योजना (UPS) दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं।
NPS के तहत, कर्मचारी की सैलरी का हिस्सा शेयर बाजार और अन्य बाजार आधारित निवेशों में लगाया जाता है। निवेश से मिलने वाला रिटर्न ही भविष्य में पेंशन के रूप में मिलता है। इसमें कोई निश्चित पेंशन राशि तय नहीं होती।
UPS के तहत, रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक वेतन का 50% हर महीने पेंशन के रूप में मिलता है। यह एक निश्चित पेंशन होती है और इसमें न्यूनतम पेंशन की भी गारंटी होती है।
अगर किसी कर्मचारी को शेयर बाजार की समझ है और उसकी रिटायरमेंट में 10 से 20 साल का समय बाकी है, तो वह NPS के ज़रिए बेहतर एन्युटी रिटर्न प्राप्त कर सकता है। ऐसे में NPS उसके लिए अधिक लाभकारी साबित हो सकता है।
केंद्र सरकार के कर्मचारी दोनों योजनाओं का लाभ एक साथ नहीं ले सकते। वे या तो NPS में बने रह सकते हैं या फिर 1 अप्रैल 2025 से UPS में शिफ्ट हो सकते हैं।
एक बार अगर किसी कर्मचारी ने UPS को चुन लिया, तो वह दोबारा NPS में वापस नहीं जा सकता। यानी UPS को चुनना अंतिम निर्णय होगा।