रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि मई 2024 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक निर्देश के तहत नकद लेनदेन को 20,000 रुपये तक सीमित किए जाने के बावजूद गोल्ड लोन की लोकप्रियता कम नहीं हुई है। जून में गोल्ड लोन वितरण में 12 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इस क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी मुथूट फाइनैंस की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) में वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 28 फीसदी की वृद्धि हुई। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गोल्ड लोन में लोगों की दिलचस्पी की मुख्य वजह क्या है?
मुथूट फिनकॉर्प के मुख्य कार्याधिकारी शाजी वर्गीज ने कहा, ‘लोगों को अन्य प्रकार के ऋण के मुकाबले यह अधिक सुविधाजनक लगता है।’
कम ब्याज दर, कम से कम दस्तावेजों की जरूरत और तत्काल प्रॉसेसिंग के कारण लोग गोल्ड लोन को प्राथमिकता देते हैं। सोने या आभूषण को गिरवी रखकर दिया जाने वाला यह ऋण खास तौर पर आपातकालीन स्थितियों के दौरान तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोगी होता है। गोल्ड लोन की ब्याज दरें 8.8 फीसदी से 19 फीसदी के दायरे में होती हैं, जबकि बिना रेहन वाले पर्सनल लोन की ब्याज दरें 9 फीसदी से 45 फीसदी तक हो सकती हैं।
गोल्ड लोन के लिए केवल पता और पहचान के प्रमाण की जरूरत होती है। इसके लिए आय का प्रमाण देने की जरूरत नहीं होती। ऋणदाता भी आरबीआई के दिशानिर्देशों का पालन करते हैं और उधारकर्ताओं के केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) विवरण को सत्यापित करते हैं।
गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया में भी समय कम है। इसमें गिरवी के तौर पर रखे जाने वाले सोने की मात्रा और शुद्धता के भौतिक सत्यापन में कुछ समय लगता है। सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुछ ही घंटों में ऋण का आवंटन हो जाता है।
रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार, ऋण से मूल्य (एलटीवी) अनुपात 75 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि अगर सोने का मूल्य 100 रुपये है तो ऋण की ऊपरी सीमा 75 रुपये होगी। वर्गीज ने कहा, ‘ऋणदाताओं के पोर्टफोलियो स्तर पर एलटीवी काफी कम यानी 63 से 65 फीसदी होता है।’
अधिकतर एनबीएफसी ऋण की रकम का 0.25 से 2 फीसदी तक प्रॉसेसिंग शुल्क लेते हैं। कुछ ऋणदाता इसके लिए एक निश्चित रकम लेते हैं जबकि कुछ इसे माफ भी कर देते हैं। गोल्ड लोन की अवधि 3 महीने से 5 साल के बीच होती है। कुछ ऋणदाता समय से पहले ऋण की पूरी या आंशिक अदायगी पर कोई जुर्माना नहीं लगाते हैं। पैसाबाजार के मुख्य कारोबार अधिकारी (रेहन वाले ऋण) साहिल अरोड़ा ने कहा, ‘कुछ ऋणदाता ऋण अवधि के अंत में मूलधन और ब्याज दोनों की अदायगी की अनुमति देते हैं, जबकि कुछ अन्य ऋणदाता ओवरड्राफ्ट सुविधा के रूप में ऋण प्रदान करते हैं। इसलिए यह महज कुछ ही समय के लिए रकम की जरूरत महसूस करने वालों के लिए एक अच्छा विकल्प दिखता है।’
गोल्ड लोन लेने से पहले ऋणदाता की साख की पड़ताल करना आवश्यक है। खास तौर पर यह देखना जरूरी होता है कि गोल्ड लोन में उसकी विशेषज्ञता कैसी है। वर्गीज का मानना है कि अगर गोल्ड लोन ऋणदाता के मुख्य कारोबार का हिस्सा है तो वह उधारकर्ता के लिहाज से विकल्पों को उपयुक्त बनाएगा और उसी सेवाएं भी बेहतर होंगी। गोल्ड लोन लेते समय विभिन्न ऋणदाताओं की ब्याज दरों और ऋण की अवधि की तुलना कर लें। साथ ही यह भी पता लगाएं कि गिरवी रखे गए सोने की बीमा के लिए ऋणदाता की नीति क्या है। यह भी पता लगाना जरूरी है कि ऋणदाता गिरवी रखे गए सोने को किस तरह से सुरक्षित रखता है।
उतना ही कर्ज लें जिसकी अदायगी आप आसानी से कर सकते हैं। कुल ईएमआई आपके वेतन की 40 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। मनीफ्रंट के सह-संस्थापक एवं सीईओ मोहित गंग ने कहा, ‘बारीकी से आकलन करें कि क्या आपकी देनदारियों को पूरा करने के लिए सोना बेचने के मुकाबले ऋण लेना बेहतर रहेगा। आभूषण को बेचना एक भावनात्मक निर्णय हो सकता है, मगर ऋण के अधिक ब्याज और अदायगी संबंधी शर्तों के मद्देनजर कभी-कभी बेचना भी समझदारी भरा निर्णय हो सकता है।’
इस साल जुलाई में पेश पूर्ण बजट 2024 में सोने के आयात पर सीमा शुल्क कम करने की घोषणा की गई थी। उसके बाद सोने की कीमतों में गिरावट आई, हालांकि अब कीमतें दोबारा संभल चुकी हैं। अरोड़ा ने कहा, ‘अगर घरेलू सोने की कीमतों में भारी गिरावट के कारण मौजूदा गोल्ड लोन का एलटीवी अनुपात 75 फीसदी से अधिक हो जाता है, तो ऋणदाता इस अनुपात को निर्धारित सीमा के दायरे में लाने के लिए आपसे अधिक सोना गिरवी रखने या नकद जमा करने के लिए कह सकते हैं। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो ऋणदाता आपका गिरवी वाला सोना बेच सकता है।’