प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Freepik
ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना हर उस शख्स के लिए जरूरी है, जो टैक्स के दायरे में आता है। लेकिन टैक्स फाइलिंग का नाम सुनते ही कई लोगों के पसीने छूटने लगते हैं। फॉर्म, नियम, डॉक्यूमेंट्स— लोगों को सब कुछ इतना उलझा हुआ लगता है कि इसका नाम सुनकर ही वो परेशान हो जाते हैं। लेकिन अगर आप छोटे बिजनेस वाले हैं, फ्रीलांसर हैं या कोई प्रोफेशनल सर्विस देते हैं, तो ITR-4 आपके लिए टैक्स फाइलिंग को आसान बना सकता है। इसे सुगम फॉर्म के नाम से भी जाना जाता है। ये फॉर्म खास तौर पर उन लोगों के लिए है, जिनका इनकम ज्यादा जटिल नहीं है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि ITR-4 क्या है, कौन इसे भर सकता है, और असेसमेंट ईयर (AY) 2025-26 में इसमें क्या नए बदलाव आए हैं।
ITR-4, जिसे सुगम फॉर्म भी कहते हैं, एक ऐसा टैक्स रिटर्न फॉर्म है, जो छोटे और मध्यम टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है। ये उन लोगों के लिए है, जिनका सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है और वो अपने बिजनेस या प्रोफेशन से होने वाली कमाई को प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत दिखाते हैं। प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन का मतलब है कि आपको अपने बिजनेस का हिसाब-किताब रखने की जरूरत नहीं। बस सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं, जिनके आधार पर आपकी इनकम मान ली जाती है, और उसी पर टैक्स लगता है। ये स्कीम छोटे बिजनेस वालों, जैसे दुकानदारों, ट्रांसपोर्टरों, या प्रोफेशनल्स, जैसे डॉक्टर, वकील, या आर्किटेक्ट के लिए बहुत सुविधाजनक है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) ने ITR-4 को असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए नोटिफाई किया है। नोटिफिकेशन नंबर 40/2025 के तहत, ये फॉर्म 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है। इसका मतलब है कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की इनकम के लिए आप इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये फॉर्म उन लोगों के लिए है, जो अपने टैक्स फाइलिंग को आसान और तेज करना चाहते हैं।
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ITR-4 हर किसी के लिए नहीं है। इसे भरने के लिए कुछ खास शर्तें पूरी करनी होती हैं। ये फॉर्म उन लोगों के लिए है, जो भारत के निवासी (रेसिडेंट) हैं। यानी अगर आप नॉन-रेसिडेंट इंडियन (NRI) हैं, तो ये फॉर्म आपके लिए नहीं है। इसके अलावा, ये फॉर्म निम्नलिखित लोगों के लिए है:
इसके अलावा, ITR-4 उन लोगों के लिए भी है, जिनकी इनकम में सैलरी, एक घर की प्रॉपर्टी से किराया, ब्याज (जैसे बैंक FD से) या फैमिली पेंशन शामिल है। लेकिन याद रखें, आपकी कुल इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर आप कंपनी के डायरेक्टर हैं, अनलिस्टेड शेयर रखते हैं, विदेश में प्रॉपर्टी या इनकम है, या 5000 रुपये से ज्यादा की खेती की कमाई है, तो आप ITR-4 नहीं भर सकते।
हर साल CBDT टैक्स फॉर्म्स में कुछ न कुछ बदलाव करता है, ताकि फाइलिंग को और आसान बनाया जा सके। असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए ITR-4 में कुछ जरूरी अपडेट्स किए गए हैं, जो छोटे टैक्सपेयर्स के लिए अच्छी खबर हैं। आइए, इन बदलावों को एक-एक करके देखते हैं।
सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब अगर आपकी लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) 1.25 लाख रुपये तक हैं, तो भी आप ITR-4 भर सकते हैं। पहले, अगर आपके पास थोड़ा-सा भी कैपिटल गेन था, तो आपको ITR-2 जैसे जटिल फॉर्म का सहारा लेना पड़ता था। लेकिन अब, अगर आपने लिस्टेड शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचकर 1.25 लाख तक का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन कमाया है, तो आप उसे ITR-4 में ही दिखा सकते हैं। ये गेन सेक्शन 112A के तहत आता है, और इसे अब ITR-4 में एक अलग सेक्शन में रिपोर्ट किया जा सकता है। इसका मतलब है कि छोटे निवेशकों, खासकर उन सैलरीड लोगों के लिए, जो शेयर मार्केट में थोड़ा-बहुत निवेश करते हैं, उनके लिए टैक्स फाइलिंग अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गई है।
दूसरा बदलाव ये है कि ITR-4 में अब उन लोगों के लिए भी जगह बनाई गई है, जो न्यू टैक्स रिजीम से बाहर निकलना चाहते हैं। अगर आपने पिछले साल न्यू टैक्स रिजीम चुनी थी, लेकिन अब ओल्ड टैक्स रिजीम में जाना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म 10-IEA भरना होगा। ITR-4 में अब इसके लिए एक अलग सेक्शन है, जहां आपको फॉर्म 10-IEA का डिटेल देना होगा। ये उन लोगों के लिए जरूरी है, जो डिडक्शन (जैसे 80C, 80D) का फायदा लेना चाहते हैं।
तीसरा, ITR-4 में अब कुछ नए डिडक्शन के लिए भी जगह दी गई है, जैसे सेक्शन 80CCH। ये नया डिडक्शन न्यू टैक्स रिजीम के तहत लागू है और इसे फॉर्म में शामिल किया गया है। इससे उन लोगों को फायदा होगा, जो न्यू टैक्स रिजीम में रहते हुए भी कुछ खास डिडक्शन्स का लाभ लेना चाहते हैं।
ITR-4 का सबसे बड़ा फायदा ये है कि ये टैक्स फाइलिंग को बहुत आसान बनाता है। आपको लंबा-चौड़ा हिसाब-किताब रखने की जरूरत नहीं। अगर आप प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम में हैं, तो बस अपनी इनकम का एक फिक्स्ड परसेंटेज दिखाना है, और हो गया। इससे छोटे बिजनेस वालों का वक्त और मेहनत दोनों बचते हैं।
दूसरा फायदा ये है कि अब लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स को शामिल करने की छूट मिलने से उन लोगों को भी राहत मिलेगी, जो शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। पहले ऐसे लोग ITR-2 भरने के चक्कर में फंस जाते थे, जो काफी जटिल है। लेकिन अब ITR-4 के जरिए वो आसानी से अपनी इनकम और गेन्स को एक साथ दिखा सकते हैं।
तीसरा, फॉर्म में नए डिडक्शन और टैक्स रिजीम से जुड़े अपडेट्स की वजह से टैक्सपेयर्स को ज्यादा लचीलापन मिलेगा। आप अपनी जरूरत के हिसाब से न्यू या ओल्ड टैक्स रिजीम चुन सकते हैं, और ITR-4 दोनों को सपोर्ट करता है।
ITR-4 भरना आसान है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, ये चेक करें कि आपकी इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा तो नहीं है। अगर है, तो आपको दूसरा फॉर्म चुनना होगा। दूसरा, अगर आपके पास शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स हैं, या कैपिटल लॉस को कैरी फॉरवर्ड करना है, तो ITR-4 आपके लिए नहीं है। तीसरा, अगर आप न्यू टैक्स रिजीम से बाहर निकल रहे हैं, तो फॉर्म 10-IEA भरना न भूलें, और इसका डिटेल ITR-4 में सही से भरें।
इसके अलावा, ITR-4 भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 है, अगर आपका बिजनेस ऑडिट के दायरे में नहीं आता। अगर ऑडिट जरूरी है, तो डेडलाइन 31 अक्टूबर 2025 है। देर होने पर पेनल्टी लग सकती है, तो समय पर फाइलिंग करें।
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ITR-4 फॉर्म इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ऑफिशियल पोर्टल पर उपलब्ध है। आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं या ऑनलाइन फाइलिंग के लिए इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं। फॉर्म में पर्सनल डिटेल्स, इनकम सोर्स, और डिडक्शन्स के लिए अलग-अलग सेक्शन हैं। अगर आपको टैक्स फाइलिंग में दिक्कत हो रही है, तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद ले सकते हैं।
CBDT ने ITR-4 में जो बदलाव किए हैं, वो छोटे टैक्सपेयर्स की जिंदगी आसान करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। खासकर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स को शामिल करने का नया नियम उन लोगों के लिए बड़ी राहत है, जो शेयर मार्केट में छोटा-मोटा निवेश करते हैं। साथ ही, न्यू और ओल्ड टैक्स रिजीम के बीच स्विच करने की सुविधा ने भी टैक्सपेयर्स को ज्यादा आजादी दी है।