प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: ShutterStock
TDS यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स, एक ऐसा टैक्स है जो आपकी कमाई पर स्रोत पर ही काट लिया जाता है। चाहे आपकी सैलरी हो, फिक्स्ड डिपॉजिट का ब्याज हो, किराए की आय हो या प्रोफेशनल फीस, इन सब पर TDS कट सकता है। लेकिन कई बार गलत कैलकुलेशन या नियमों की जानकारी न होने की वजह से जरूरत से ज्यादा TDS कट जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है, तो घबराने की जरूरत नहीं। आप न सिर्फ ये चेक कर सकते हैं कि कितना TDS कटा, बल्कि ज्यादा कटे हुए टैक्स का रिफंड भी क्लेम कर सकते हैं।
सबसे पहले समझते हैं कि TDS है क्या। मान लीजिए आप किसी कंपनी में काम करते हैं और आपकी सैलरी 50,000 रुपये महीना है। कंपनी आपको पूरी सैलरी देने से पहले उसमें से कुछ टैक्स काट लेती है और उसे सरकार के पास जमा कर देती है। यही TDS है। ये टैक्स आपकी कमाई के हिसाब से और सरकार के टैक्स स्लैब के आधार पर कटता है। सैलरी के अलावा, बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट के ब्याज पर, किराए की आय पर, या फ्रीलांस काम की फीस पर भी TDS कट सकता है।
लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि आपकी कुल आय टैक्सेबल लिमिट से कम होती है, फिर भी TDS कट जाता है। या फिर गलत टैक्स स्लैब के हिसाब से ज्यादा टैक्स काट लिया जाता है। ऐसे में आप ज्यादा कटे हुए टैक्स को रिफंड के तौर पर वापस पा सकते हैं। इसके लिए आपको पहले चेक करना होगा कि कितना TDS कटा और क्या वो सही था।
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टैक्स और इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन बताते हैं, “अगर आपको लगता है कि आपका TDS जरूरत से ज्यादा कट गया है, तो सबसे पहले आपको अपनी टैक्स डिटेल्स चेक करनी होंगी। इसके लिए फॉर्म 26AS आपको मदद कर सकता है।”
आइए, स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं कि ये कैसे चेक करें:
सबसे पहले फॉर्म 26AS डाउनलोड करें। फॉर्म 26AS एक तरह का टैक्स स्टेटमेंट है, जिसमें आपके पूरे साल के TDS की पूरी जानकारी होती है। ये इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर मिलता है। इसे चेक करने के लिए इनकम टैक्स की ऑफिशियल वेबसाइट www.incometax.gov.in पर जाएं। अगर आपने पहले रजिस्टर नहीं किया है, तो ‘Register Yourself’ पर क्लिक करके अपना पैन नंबर, नाम, जन्मतिथि और दूसरी डिटेल्स डालकर रजिस्टर करें। रजिस्ट्रेशन के बाद, अपने पैन नंबर (जो यूजर आईडी होता है) और पासवर्ड से लॉगिन करें।
लॉगिन करने के बाद ‘View Tax Credit Statement (Form 26AS)’ का ऑप्शन चुनें। आपको एक नई वेबसाइट TRACES (TDS Reconciliation Analysis and Correction Enabling System) पर ले जाया जाएगा। यहां से आप फॉर्म 26AS डाउनलोड कर सकते हैं। इस फॉर्म में आपको सारी डिटेल्स मिलेंगी, जैसे कितना TDS कटा है, किसने काटा (जैसे आपका एम्प्लॉयर या बैंक), और वो टैक्स सरकार के पास जमा हुआ या नहीं।
अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो आपका एम्प्लॉयर आपको फॉर्म 16 देता है। ये एक ऐसा डॉक्यूमेंट है, जिसमें आपकी सैलरी और उस पर कटे TDS की पूरी जानकारी होती है। अगर आपने फ्रीलांसिंग की है या किराए की आय है, तो आपको TDS सर्टिफिकेट मिलता है। इन डॉक्यूमेंट्स में दी गई TDS की रकम को फॉर्म 26AS से मिलाएं। अगर कोई गड़बड़ी दिखे, जैसे फॉर्म 26AS में ज्यादा TDS दिख रहा हो, तो ये ज्यादा कटने का सबूत है।
अब आपको अपनी कुल आय और टैक्स स्लैब का हिसाब लगाना होगा। मान लीजिए आपकी सालाना आय 7 लाख रुपये से कम है, तो न्यू टैक्स रिजीम में आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। लेकिन अगर आपका TDS कट गया है, तो वो पूरा रकम रिफंड के लिए क्लेम की जा सकती है। इसके लिए आप अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद ले सकते हैं या ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां बताते चलें कि इस साल के बजट में न्यू टैक्स रिजीम में सालाना आय की लिमिट 12 लाख रुपए सालाना कर दी गई है।
जैन कहते हैं, “अगर आपको पक्का पता चल गया है कि आपका TDS ज्यादा कट गया है, तो अब बात आती है रिफंड क्लेम करने की। इसके लिए आपको इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना होगा।” आइए, इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं:
सही समय पर ITR फाइल करें
जितनी जल्दी आप ITR फाइल करेंगे, उतनी जल्दी आपका रिफंड प्रोसेस शुरू होगा। आमतौर पर ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई होती है, लेकिन अगर आप ये डेडलाइन मिस कर देते हैं, तो भी आप लेट फीस के साथ रिटर्न फाइल कर सकते हैं। ITR फाइल करते समय सही ITR फॉर्म चुनें। अगर आप सैलरीड हैं, तो ITR-1 या ITR-2 काम करेगा। अगर बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम है, तो ITR-3 या ITR-4 चुनें। फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 की डिटेल्स के आधार पर अपनी आय और TDS की जानकारी सही-सही भरें। अगर आपने टैक्स बचाने के लिए कोई इन्वेस्टमेंट किया है (जैसे PPF, ELSS, या इंश्योरेंस), तो उसकी डिटेल्स भी डालें।
रिफंड की डिटेल्स सही भरें
ITR फॉर्म में एक सेक्शन होता है, जहां आपको अपने बैंक अकाउंट की डिटेल्स देनी होती हैं, जैसे अकाउंट नंबर और IFSC कोड। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि आपका रिफंड सीधे आपके बैंक अकाउंट में आएगा। सुनिश्चित करें कि ये डिटेल्स बिल्कुल सही हों, वरना रिफंड में देरी हो सकती है।
ITR को वेरीफाई करें
ITR फाइल करने के बाद उसे वेरीफाई करना जरूरी है। आप इसे ऑनलाइन आधार OTP के जरिए, डिजिटल सिग्नेचर से, या ITR-V फॉर्म को प्रिंट करके इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेजकर वेरीफाई कर सकते हैं। वेरिफिकेशन के बिना आपका रिफंड प्रोसेस शुरू नहीं होगा।
ITR फाइल करने के बाद आप अपने रिफंड का स्टेटस चेक कर सकते हैं। इसके लिए इनकम टैक्स की वेबसाइट पर लॉगिन करें। ‘View Returns/Forms’ ऑप्शन पर क्लिक करें। अपने फाइनेंशियल ईयर और ITR फॉर्म का स्टेटस चुनें।
यहां आपको पता चलेगा कि आपका रिफंड प्रोसेस हो रहा है, अप्रूव हो गया है, या किसी वजह से रिजेक्ट हुआ है। अगर रिफंड में देरी हो रही है, तो आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सकते हैं या ऑनलाइन फाइल कर सकते हैं।
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जैन कहते हैं, “कई बार रिफंड प्रोसेस में 6 महीने तक का समय लग सकता है। अगर आपको लगता है कि देरी हो रही है, तो सबसे पहले चेक करें कि आपका ITR सही तरीके से फाइल और वेरीफाई हुआ है या नहीं। अगर कोई गलती हुई है, तो आप रिवाइज्ड ITR फाइल कर सकते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से संपर्क करें और अपनी पैन डिटेल्स देकर रिफंड स्टेटस के बारे में पूछें। अगर डिपार्टमेंट की तरफ से देरी होती है, तो आपको 6% सालाना की दर से ब्याज भी मिल सकता है।”
बलवंत जैन कहते हैं, “अगर आपकी आय टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो आप TDS कटने से बच सकते हैं। इसके लिए फॉर्म 15G (अगर आप 60 साल से कम उम्र के हैं) या फॉर्म 15H (60 साल से ज्यादा उम्र के लिए) अपने बैंक या एम्प्लॉयर को जमा करें। ये फॉर्म बताते हैं कि आपकी आय टैक्सेबल नहीं है, इसलिए TDS नहीं काटा जाए। अपने एम्प्लॉयर को अपनी इन्वेस्टमेंट डिटेल्स (जैसे PPF, इंश्योरेंस) समय पर दें, ताकि वो सही टैक्स कैलकुलेट करें।”
वे आगे कहते हैं, “इन स्टेप्स को फॉलो करके आप न सिर्फ ज्यादा TDS कटने की समस्या को पकड़ सकते हैं, बल्कि रिफंड भी आसानी से क्लेम कर सकते हैं। बस जरूरी है कि आप सही जानकारी के साथ समय पर कदम उठाएं।”