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बच्चे को उच्च शिक्षा दिलानी है तो शेयरों में करें निवेश

Published by
कार्तिक जेरोम
Last Updated- December 09, 2022 | 4:01 PM IST

हाल ही में अपना एक फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के एक अहम निर्णय को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में आंध्र सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें मेडिकल कॉलेज का शिक्षण शुल्क बढ़ाकर 24 लाख रुपये सालाना कर दिया गया था। यह पहले तय शुल्क का 7 गुना था।

यह फैसला अपने बच्चों को पढ़ा रहे माता-पिता और अभिभावकों को बहुत सुखद लगेगा मगर इससे यह भी पता चलता है कि उच्च शिक्षा कितनी महंगी होती जा रही है। किसी निजी मेडिकल कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल करने में आज 50 लाख रुपये से भी ज्यादा खर्च करने पड़ सकते हैं।

बेहतरीन संस्थान से प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिग्री करने में 20 से 35 लाख रुपये का खर्च आ सकता है। यह तो छोड़िए, अगर किसी बढ़िया निजी संस्थान से विधि या कला विषयों में स्नातक डिग्री करने चलें तो भी अच्छा खासा खर्च हो जाता है। अब खर्च इतना ज्यादा है तो माता-पिता को भी बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए समझदारी के साथ बचाना और निवेश करना होगा।

तय करें लक्ष्य

जब बच्चा छोटा होता है तो यह अनुमान लगाना या तय करना बहुत मुश्किल होता है कि उसकी पढ़ाई लिखाई में कितना खर्च आएगा। अलग-अलग पाठ्यक्रम (व्यावसायिक या गैर व्यावसायिक), कॉलेजों (सरकारी या निजी) और देश (भारत या विदेश) के हिसाब से खर्च में भी बहुत ज्यादा अंतर होता है।

सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और पर्सनलफाइनैंसप्लान के संस्थापक दीपेश राघव समझाते हैं, ‘जब बच्चा बहुत छोटा होता है तभी माता-पिता को यह अंदाजा लगा लेना चाहिए कि उस समय कुछ खास और प्रमुख पाठ्यक्रमों पर कितना खर्च आता है और उसी हिसाब से भविष्य के लिए एक मोटा लक्ष्य तय कर लेना चाहिए। जब बच्चा बड़ा होता है और तस्वीर ज्यादा साफ हो जाती है तब खर्च के अनुमान और लक्ष्य को दुरुस्त किया जा सकता है।’

किसी भी कोर्स का जो शुल्क इस समय चल रहा है उसमें भविष्य की महंगाई जोड़ते रहिए। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार और फिन स्कॉलर्ज वेल्थ मैनेजर्स की सह संस्थापक तथा प्रिंसिपल एडवाइजर रेणु माहेश्वरी की सलाह है, ‘शिक्षा में महंगाई रोजमर्रा की महंगाई से ज्यादा होती है। इसीलिए शिक्षा के खर्च को हर साल 10 फीसदी बढ़ता मान लेना चाहिए।’ अनुमान लगाने में कोताही मत बरतिए। अगर जरूरत से ज्यादा रकम इकट्ठी हो गई तो कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन रकम कम पड़ गई तो परेशानी खड़ी हो जाएगी।

जल्द करें शुरुआत

निवेश योजनाकार यही सलाह देते हैं कि माता-पिता को इस लक्ष्य के लिए बहुत जल्दी शुरुआत कर लेनी चाहिए। अगर संतान के जन्म के साथ ही निवेश शुरू कर दिया जाए तो उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। माईवेल्थग्रोथ डॉट कॉम के सह संस्थापक हर्षद चेतनवाला कहते हैं, ‘अगर आप तब तक इंतजार करते रहे जब तक आपके बच्चे का शिक्षा का लक्ष्य साफ नहीं हो जाता तो पर्याप्त रकम जमा करने के लिहाज से काफी देर हो जाएगी।’

शुरुआत जल्दी हो तो सफर में दिक्कत और तनाव नहीं होता। माहेश्वरी यही समझाते हुए कहती हैं, ‘कंपाउंडिंग यानी समय के साथ बढ़ते रहने की ताकत आपके बहुत काम आती है। निवेश पोर्टफोलियो में ज्यादा जोखिम लिए बगैर भी आप अपने लक्ष्य के हिसाब से रकम इकट्ठी कर सकते हैं।’

जब बच्चा छोटा होता है तब अक्सर मां-बाप के कंधों पर होम लोन की मासिक किस्त का भी बोझ होता है। उसके बावजूद बचत और निवेश किया जा सकता है। चेतनवाला समझाते हैं, ‘जो भी छोटी मोटी रकम हो उसके साथ बच्चे की पढ़ाई के लिए निवेश शुरू कर देना चाहिए। उसके बाद साल दर साल जैसे-जैसे आय बढ़े वैसे-वैसे ही निवेश की रकम में भी 10-15 फीसदी इजाफा करने की कोशिश कीजिए।’

शेयरों पर खेलें दांव

लंबी अवधि के इस लक्ष्य के लिए आपका पोर्टफोलियो भी आक्रमक होना चाहिए। राघव कहते हैं, ‘आप कितना जोखिम उठा सकते हैं, इसके हिसाब से इक्विटी और डेट में 80 तथा 20 या 70 तथा 30 का अनुपात लेकर पोर्टफोलियो की शुरुआत करें। शुरुआती वर्षों में आवंटन इसी अनुपात में करते रहें। जैसे-जैसे आप अपने लक्ष्य के करीब पहुंचें यानी बच्चा उच्च शिक्षा के करीब आए तो हर साल इक्विटी में आवंटन 5 से 7 फीसदी घटाते जाएं।’

चेतन वाला कम से कम जोखिम के साथ इक्विटी में निवेश की युक्ति बताते हैं। वह कहते हैं कि अपने पोर्टफोलियो का ज्यादातर हिस्सा सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये इक्विटी म्युचुअल फंड में लगाया जाना चाहिए।

लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) भी एक तरीका है, जिसमें 7.1 फीसदी का करमुक्त प्रतिफल हासिल होता है। बच्चे के नाम पर इसमें खाता खुलवा कर तय और बड़ी रकम जमा की जा सकती है। जिनके बेटी है, वे सुकन्या समृद्धि योजना मैं खाता खुलवा सकते हैं। इसमें 7.6 फीसदी का करमुक्त प्रतिफल मिलता है।

राघव कहते हैं, ‘स्थिर आय की बात करें तो ऐसी योजनाएं देखें, जिनमें आपकी रकम को कंपाउंडिंग का फायदा मिलता हो। मिसाल के तौर पर अगर आप सावधि जमा यानी एफडी में निवेश करते हैं तो क्युमुलेटिव विकल्प ही चुनिए।’ जो 30 फीसदी या उससे भी ज्यादा के कर दायरे में आते हैं और जिनका लक्ष्य 3 साल से ज्यादा दूर है, उन्हें कराधान पर इंडेक्सेशन का फायदा हासिल करने के लिए एफडी के बजाय डेट म्युचुअल फंड चुनना चाहिए।

अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ना चाहता है तो रकम का एक हिस्सा अंतरराष्ट्रीय फंडों और सोने में लगाइए ताकि अमेरिकी डॉलर जैसी मुद्राओं के मुकाबले रुपये में अक्सर आने वाली कमजोरी से आपका नुकसान न हो।

First Published : December 9, 2022 | 2:30 PM IST