असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिए लाई गई अटल पेंशन योजना (एपीवाई) में शामिल होने वालों की संख्या 2022 में सबसे ज्यादा 36 प्रतिशत बढ़ी है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि एक कैलेंडर साल में पहली बार यह संख्या 1 करोड़ को पार कर गई है।
2022 में पंजीकरण कराने वालों की संख्या 1.25 करोड़ बढ़ी है, जो 2021 में 92 लाख बढ़ी थी। 2022 में पंजीकरण महामारी के पहले के साल 2019 की तुलना में 81 प्रतिशत बढ़ा है। उस साल 69 लाख उपभोक्ता पंजीकृत हुए थे। इससे महामारी के बाद बढ़ी हुई मांग का पता चलता है।
पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के अधिकारियों ने कहा कि पंजीकरण ज्यादा होने की वजह एपीवाई के सबस्क्राइबरों के लिए किया गया ऑटोमेशन है। उन्होंने कहा, ‘आधार से पंजीकरण, कागज रहित ऑनबोर्डिंग और अन्य हिस्सेदारों के साथ मिलकर काम करने की वजह से पीएफआरडीए को यह लक्ष्य हासिल करने में सफलता मिली है।
पीएफआरडीए नियामक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, वित्तीय सेवा विभाग, राज्य स्तर के बैंकरों की समिति और प्रमुख जिला प्रबंधकों के साथ परामर्श करता है और देश भर में एपीवाई लागू किए जाने में सुधार को लेकर इनके साथ समीक्षा करता है।’
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कुल मिलाकर ज्यादातर सबस्क्राइबरों (82 प्रतिशत) ने 1,000 रुपये पेंशन का विकल्प चुना है, उसके बाद 11 प्रतिशत ने सबसे ज्यादा पेंशन राशि 5,000 रुपये का विकल्प चुना है। अधिकारियों ने कहा कि 30 साल की अवधि के हिसाब से देखें तो यह राशि बहुत कम होगी और इससे उनकी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में मुश्किल आएगी। उन्होंने कहा, ‘इस योजना के लाभार्थियों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने की जरूरत होगी, इसलिए उन्हें इस योजना में ज्यादा अंशदान करने की जरूरत है।’