जुलाई 2024 में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में निवेश बढ़कर 1,337.4 करोड़ रुपये हो गया, जो फरवरी 2020 के बाद सबसे अधिक है। अप्रैल में 395.7 करोड़ रुपये की निकासी के बाद मई से जुलाई के बीच गोल्ड ईटीएफ में 2,890.9 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
शेयर बाजारों में अधिक मूल्यांकन पर कारोबार के मद्देनजर कई निवेशक अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं। क्वांटम ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के मुख्य निवेश अधिकारी चिराग मेहता ने कहा, ‘सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की उपलब्धता कम होने के कारण गोल्ड ईटीएफ निवेशकों का एक आकर्षक विकल्प बन गया है।’
सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सोने की कीमत से काफी अधिक मूल्य पर कारोबार कर रहे हैं। सेबी में पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव ने कहा, ‘कई चरणों में यह मूल्य 10 से 15 फीसदी तक अधिक हो जाता है। इससे निवेशक गोल्ड ईटीएफ की ओर आकर्षित हो रहे हैं।’
जुलाई में पेश पूर्ण बजट में सोने के आयात पर सीमा शुल्क में कटौती की घोषणा की गई जिससे भारत में सोने की कीमतों में करीब 9 फीसदी की गिरावट आई।
मनीएडुस्कूल के संस्थापक अर्णव पांड्या ने कहा, ‘इससे कई निवेशकों ने सस्ते दामों पर सोना खरीदना शुरू कर दिया।’ सोने में निवेश के लिए कुछ बुनियादी कारक भी फिलहाल अनुकूल दिख रहे हैं।
मेहता ने कहा, ‘ब्याज दर चक्र अब बदलाव के कगार पर है। मुद्रास्फीति काफी कम हो गई है और वैश्विक वृद्धि की सुस्त रफ्तार एक प्रमुख चिंता के तौर पर उभर रही है। ऐसे में केंद्रीय बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती करने के अलावा अधिक उदार रुख अपनाने की गुंजाइश बनती है।’ बॉन्ड पर ब्याज दरें कम होने के कारण सोने जैसे गैर-ब्याज वाले निवेश विकल्पों का प्रदर्शन अच्छा दिख रहा है।
पांड्या के अनुसार, रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग और पश्चिम एशिया में व्यापक टकराव की आशंका दिख रही है। इसके अलावा बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिमों ने भी निवेशकों को इस सुरक्षित निवेश विकल्प की ओर आकर्षित किया है।
मेहता ने इशारा किया कि केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर के अलावा अपने भंडार में विविधता लाने के लिए सोना खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान यह रुझान मजबूत होता दिखा है और इसे आगे भी जारी रहने की संभावना है।
गोल्ड ईटीएफ निवेशकों को थोक मूल्य पर छोटी मात्रा में खरीदने का विकल्प उपलब्ध कराते हुए किफायती मूल्य प्रदान करते हैं। मेहता ने कहा, ‘यह सोने जैसे बाजार में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस बाजार में मूल्य निर्धारण का मानक न होने के कारण छोटे खरीदारों को अक्सर अधिक कीमतों का भुगतान करना पड़ता है।’
गोल्ड ईटीएफ शुद्धता संबंधी चिंताओं को भी दूर करता है, जबकि भौतिक सोने के मामले में यह भी एक समस्या है। वे अच्छी तरलता भी प्रदान करते हैं। पांड्या ने कहा, ‘इनका कारोबार एक्सचेंज पर होता है और इनमें काफी तरलता होती है। इसलिए निवेशक किसी भी समय आसानी से निवेश कर सकते हैं और जरूरत पर अपना निवेश समेट सकते हैं।’
गोल्ड ईटीएफ खरीद के बाद निवेशक के डीमैट खाते में जमा हो जाते हैं। इससे चोरी की चिंता भी दूर हो जाती है। इसके अलावा ईटीएफ निवेशकों को भौतिक सोने के विकल्पों (बिस्कुट, आभूषण आदि) की तरह मेकिंग चार्ज भी नहीं देना पड़ता है। यह गोल्ड फंड-ऑफ-फंड की तुलना में कम खर्चीला विकल्प भी है।
पूर्ण बजट में सोने के आयात पर शुल्क दरों में किए गए बदलाव ने गोल्ड ईटीएफ को काफी आकर्षक निवेश विकल्प बना दिया है।
राघव ने कहा, ‘गोल्ड ईटीएफ सूचीबद्ध योजनाएं होती हैं जो एक वर्ष की होल्डिंग अवधि के बाद ही दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिए योग्य होंगी, जबकि भौतिक सोना और गोल्ड फंड ऑफ फंड गैर-सूचीबद्ध होने के कारण दो साल के बाद इसके लिए योग्य होंगे।’
निवेशकों को कम व्यय अनुपात वाला और पिछले 5 वर्षों के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने वाला गोल्ड ईटीएफ चुनना चाहिए। निवेशक किसी स्थापित फंड हाउस से खरीदारी करने पर विचार कर सकते हैं।
सभी निवेशकों को आदर्श रूप से अपने पोर्टफोलियो का 10 से 15 फीसदी निवेश सोने में करना चाहिए। गोल्ड ईटीएफ में निवेश करें या एसजीबी में, यह आपकी निवेश की अवधि पर निर्भर होना चाहिए।
राघव ने कहा, ‘जब आप एसजीबी में निवेश करते हैं तो आपको उसे परिपक्व होने तक बनाए रखने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर आपके पास कम समय है तो गोल्ड ईटीएफ चुनें जहां बेहतर रिटर्न मिल सकता है।’