नए वित्त वर्ष के लिए कर योजना तैयार करने का सबसे सही वक्त अप्रैल ही होता है। करदाता इस समय फॉर्म 15 जी या 15 एच दाखिल कर सकते हैं और सावधि जमा (एफडी) पर ब्याज से होने वाली कमाई पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) से बच सकते हैं। फॉर्म 12बीबीए दाखिल कर आप आयकर रिटर्न दाखिल करने से छूट का दावा भी कर सकते हैं।
आयकर कानून के तहत करदाता को कुछ खास तरह की आय (ब्याज, लाभांश, किराया और बीमा का कमीशन) पर टीडीएस कटाने से छूट मिलती है। फॉर्म 15जी और 15एच में खुद ही खुलासा करना होता है। करदाता व्यक्ति ये दोनों फॉर्म बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों में जमा करता है, जिसके बाद ऊपर बताई गई खास तरह की आय पर टीडीएस नहीं काटा जाता।
एमवैक में मैनेजिंग पार्टनर प्रत्यूष मिगलानी कहते हैं, ‘जिन लोगों पर आयकर नहीं बनता है, वे ये फॉर्म जमा कर सकते हैं।’ इन लोगों की आय नए वित्त वर्ष में बुनियादी छूट सीमा से कम होती है और इसीलिए इन्हें कोई कर नहीं चुकाना पड़ता। ऐसे करदाताओं को वैध स्थायी लेखा संख्या (पैन) के साथ फॉर्म 15जी या 15एच की शक्ल में घोषणापत्र जमा करना होता है।
सिंघानिया ऐंड कंपनी में वरिष्ठ सलाहकार अमित बंसल का कहना है, ‘फॉर्म 15जी अधिकृत दस्तावेज है, जिससे पक्का होता है कि उस साल कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), आवर्ती जमा या एफडी से होने वाली ब्याज आय पर टीडीएस की एक भी पाई नहीं काटी जाएगी। 60 साल से कम उम्र के सभी लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों के लिए यह घोषणा करना अनिवार्य है।’
वरिष्ठ नागरिकों को फॉर्म 15एच जमा करना होता है। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर संदीप बजाज बताते हैं, ‘फॉर्म 15एच रिटायर हो चुके उन लोगों के लिए जरूरी है, जिन्हें बैंक बचत खाते और एफडी पर ब्याज मिलता है।’
ये फॉर्म उस संस्था के पास जमा करने होते हैं, जो आपको ब्याज या लाभांश आदि दे रही हो होती है। इन्हें कागज पर भरकर भी जमा कर सकते हैं और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से यानी सीधे वेबसाइट पर जाकर भी जमा कर सकते हैं।
बजाज समझाते हैं, ‘यदि बैंक की कई शाखाओं में आपके खाते या एफडी हैं और सभी से आपको ब्याज मिलता है तो आपको हरेक शाखा पर जाकर यह फॉर्म जमा करना होगा।’ पैन के साथ जब ये फॉर्म बैंक या संस्था के पास पहुंच जाते हैं तो टीडीएस कटना बंद हो जाता है।
मगर इस फॉर्म का फायदा अनिवासी भारतीय (एनआरआई) नहीं उठा सकते। जो लोग ये फॉर्म भरने से चूक जाते हैं, वे आयकर रिटर्न दाखिल करते समय टीडीएस की राशि का दावा कर सकते हैं और रिफंड मांग सकते हैं।
यहां एक बात ध्यान में रखनी होगी। यदि फॉर्म 15जी या 15एच के तहत गलत जानकारी दे दी जाती है तो जुर्माना लगता है और जेल भी जाना पड़ सकता है। मिगलानी कहते हैं, ‘यह भी हो सकता है कि उस साल कमाए गए ब्याज पर करदाता को कर चुकाना पड़ जाए।’
ऐसा भी हो सकता है कि फॉर्म 15जी या 15एच जमा करने के बाद आपकी आय अचानक काफी बढ़ जाए। उस सूरत में आपको कर छूट की अपनी दरख्वास्त फौरन वापस ले लेनी चाहिए। बजाज कहते हैं, ‘ब्याज आय की अगली खेप से बैंक टीडीएस काटना शुरू कर देगा।’
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 197 के तहत करदाता अपनी आय पर कम या शून्य टीडीएस काटे जाने की अर्जी डाल सकते हैं। सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग समझाते हैं. ‘इसके लिए आपको आयकर विभाग के पास आवेदन करना होगा। उस वित्त वर्ष में अपनी अनुमानित आय का ब्योरा बनाइए और यह भी बताइए कि आप कर योग्य आय में किस तरह की कटौती के पात्र हैं।’
इसके लिए आपको फॉर्म 14 जमा करना होगा। जैसे ही आपकी अर्जी मंजूर हो जाती है, आपके टीडीएस की दर कम हो जाएगी। नारंग कहते हैं, ‘यह विकल्प उन लोगों के लिए बेहतर है, जिनकी आय फॉर्म 15जी या 15एच के लिए तय आय से ज्यादा है और जो चाहते हैं कि टीडीएस कम कटे।’
फॉर्म 15जी या 15एच के मुकाबले यह आवेदन मंजूर होने में ज्यादा समय लग सकता है। इसमें कम टीडीएस कटवाने के लिए आपको जायज वजह बतानी होगी। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मनीत पाल सिंह कहते हैं, ‘वजह कोई भी हो सकती है जैसे कारोबार में घाटा, कम कर योग्य आय या कर छूट और कटौती।’ कर निर्धारण (असेसिंग) अधिकारी को अगर आपकी बताई गई वजह या दस्तावेज ठीक नहीं लगते हैं तो आपकी अर्जी खारिज भी की जा सकती है।
टीडीएस कटौती शुरू होने से पहले ही आवेदन कर दें। सिंह कहते हैं, ‘असेसिंग अधिकारी का आदेश केवल एक वित्त वर्ष के लिए होता है। अगले वित्त वर्ष में भी कम टीडीएस कटाना है तो फिर आवेदन करना होगा।’ आवेदन की जांच आदि करने और आदेश जारी होने में 30 से 45 दिन लगते हैं।
मगर धारा 197 और 197ए में एक बड़ा फर्क है। धारा 197 में उन लोगों को टीडीएस माफ कराने या कम दर पर टीडीएस कटवाने का मौका मिलता है, जिन्हें लाभांश, बीमा कमीशन, किराये आदि से आय होती है। बजाज बताते हैं, ‘धारा 197ए (15जी और एच) के तहत माफी केवल उन लोगों को मिल सकती है, जिन्हें जमा पर ब्याज आय हो रही है।’