प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अगर आपका कोई करीबी ज्यादा किराया दिखाने वाली फर्जी रसीदें लगाकर या धर्मादा संस्थाओं, गैर सरकारी संगठनों अथवा राजनीतिक दलों को भारी-भरकम दान दिखाकर बेजा आयकर छूट लेने की फिराक में हैं तो उसे सावधान कर दीजिए। कर विशेषज्ञों ने ऐसा नहीं करने की सलाह देते हुए कहा है आयकर विभाग अब ऐसी रसीदों की पहले से ज्यादा कड़ी जांच कर रहा है।
विशेषज्ञ बता रहे हैं कि ऐसे कई मामलों में आयकर विभाग ने चोरी किए गए कर पर 200 फीसदी तक जुर्माना लगा दिया है, जिससे करदाताओं के लिए ऐसी हरकत बहुत महंगी पड़ रही है। एडवांटएज कंसल्टिंग के संस्थापक व चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) चेतन डागा ने कहा, ‘इस साल करदाताओं को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। सरकार करदाताओं पर भरोसा करने की नीति पर चलती रही है। आयकर रिटर्न अब कागज पर नहीं भरना पड़ता और लोगों को उसके साथ छूट और कर योग्य राशि में कटौती के लिए प्रमाण भी साथ में नहीं लगाने पड़ते। रिटर्न जल्दी प्रोसेस हो रहे हैं और लोगों को रिफंड भी जल्दी मिल रहा है। लेकिन करदाताओं पर भरोसा करने की नीति सरकार पर भारी पड़ रही है क्योंकि कुछ बेईमान लोग इसका गलत फायदा उठा रहे हैं।’डागा ने बताया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने दान के ऐसे कई मामले पकड़े हैं, जहां बैंक के जरिये दान दिया गया और बाद में नकद में पैसा वापस ले लिया गया। ऐसे मामले भी हैं जहां दान केवल दिखाया गया है, दिया नहीं गया। उन्होंने बताया, ‘छोटे राजनीतिक दलों को दिए गए दान में ऐसा ज्यादा होता है बडे दलों के साथ नहीं।’ किराये भत्ते का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आयकर छूट पाने के लिए या तो अपंजीकृत किरायानामा दिखाया जाता है या किराये की रकम बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखा दी जाती है।
कर विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि ऐसी हरकतें अब आसानी से पकड़ी जा सकती हैं। रस्तोगी चैम्बर्स के अभिषेक रस्तोगी बताते हैं, ‘कर विभाग के पास नए टूल्स आ गए हैं, जो बैंकों, नियोक्ताओं और दूसरी जगहों से जानकारी इकट्ठी कर लेते हैं। वे उन्नत सॉफ्टवेयर और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अटपटी बातों को पकड़ लेते हैं। अगर छूट के छोटे-मोटे दावे भी व्यक्ति की आय या जीवनशैली से मेल नहीं खाते तो उन पर सवाल पूछे जा सकते हैं।’
सरकार ने आयकरदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने की तारीख इस बार बढ़ाकर 15 सितंबर रखी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के आंकडों के अनुसार पिछले चार महीनों में 40,000 करदाताओं ने अपने आयकर रिटर्न में संशोधन किया है और करीब 1,045 करोड़ रुपये के फर्जी दावे वापस लिए हैं।