Festive Season Budget Tips: जैसे-जैसे त्योहारों का मौसम आता है, भारतीय घरों में खुशियों और तैयारी की हलचल बढ़ जाती है। लेकिन कई मध्यम आय वाले परिवारों के लिए यह समय पैसों की चिंता का भी होता है। बच्चों की पढ़ाई, घर का लोन, स्वास्थ्य खर्च और रिटायरमेंट की बचत पहले से ही आमदनी का बड़ा हिस्सा ले चुकी होती है। तो सवाल उठता है – त्योहारों का आनंद कैसे लिया जाए और साथ ही पैसों की सही योजना और निवेश भी बनाए रखा जाए? Scripbox के CEO और फाउंडर अतुल शिंगल बताते हैं कि परिवार त्योहारों की खुशियों और वित्तीय सुरक्षा दोनों को बैलेंस कर सकता है। उन्होंने दोनों को बैलेंस करने के लिए कुछ खास टिप्स दिए हैं। आइए जानते हैं।
सबसे पहले त्योहारों के लिए एक साफ बजट बनाएं। अलग-अलग खर्चों के लिए रकम तय करें। इससे आप अपने खर्च पर काबू पा सकेंगे और ज्यादा खर्च से बचेंगे। ध्यान रहे कि क्रेडिट कार्ड रोलओवर, पर्सनल लोन या ‘बाय नाउ, पे लेटर’ (BNPL) का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इनके ब्याज से त्योहार की खुशी कम हो सकती है।
धनतेरस और दूसरे त्योहारों में सोना खरीदना परंपरा का हिस्सा होता है। लेकिन अब आप स्मार्ट तरीके से भी निवेश कर सकते हैं, जैसे सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) या गोल्ड ETF। SGB पर सालाना 2.5% ब्याज मिलता है, और ETF में पैसे जल्दी निकालने और कीमत दिखने का फायदा होता है। इस तरह आप परंपरा भी निभा सकते हैं और निवेश भी मजबूत बना सकते हैं।
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त्योहारों के समय मिलने वाला बोनस कई परिवारों को अचानक बहुत पैसा मिल गया जैसा लगता है। लेकिन इसे पूरा खर्च करने के बजाय संतुलित तरीके से इस्तेमाल करें। उदाहरण के लिए, 60% पैसे त्योहारों और गिफ्ट में खर्च करें और बाकी 40% निवेश, एफडी या लोन की एडवांस पेमेंट में लगाएं। इससे आप त्योहार का मजा भी ले पाएंगे और अपने फाइनेंशियल गोल भी आगे बढ़ाएंगे।
त्योहारों में सिर्फ मिठाई, कपड़े या गैजेट ही नहीं, बल्कि ऐसे गिफ्ट दें जो लंबे समय तक काम आएं। जैसे बच्चों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना, जीवनसाथी के लिए SIP शुरू करना, या माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस देना। ऐसे उपहार दिल से और समझदारी से दिए गए होते हैं।
त्योहारों के समय SIP कभी न रोकें। SIP आपके निवेश के लिए उतना ही जरूरी है जितना त्योहारों में परंपरा। इसे लगातार जारी रखने से पैसे बढ़ते रहते हैं और लंबी अवधि का फायदा खोने से बचा जा सकता है।
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सेल और डिस्काउंट्स अक्सर अनचाहे खर्च बढ़ा देते हैं। इसके लिए पहले खरीदारी की लिस्ट बनाएं और उसी पर टिके रहें। बड़े खर्च, जैसे कार, इलेक्ट्रॉनिक्स या महंगे आइटम, पर परिवार से बात करें और बच्चों को भी शामिल करें। इससे बच्चों को पैसों की समझ भी आती है।
(डिस्क्लेमर: यह लेख Scripbox के CEO और फाउंडर अतुल शिंगल की राय पर आधारित है।)