अविभाजित हिंदू परिवार (एचयूएफ) ऐसी कानूनी और वित्तीय व्यवस्था है, जो केवल भारत में पाई जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह होती है ऐसे परिवार के सदस्यों से तो कर वसूला ही जाती है, पूरे परिवार से भी कर लिया जाता है। लेकिन अगर आप आय को अविभाजित हिंदू परिवार की व्यवस्था में ले आते हैं तो आयकर अधिनियम के तहत कर योग्य आय में कटौती और कर छूट का फायदा उठाकर आप पूरे परिवार का कर का बोझ बहुत कम कर सकते हैं।
सिरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर कुणाल सवानी कहते हैं, ‘अविभाजित हिंदू परिवार अनूठी भारतीय संस्था है, जो बड़े संयुक्त परिवार के विचार पर आधारित होता है और हिंदू पर्सनल लॉ के हिसाब से चलता है। चूंकि बतौर संस्था इससे कर वसूला जा सकता है, इसलिए ऐसे परिवार के लिए अलग से स्थायी लेखा संख्या पैन लेनी होती है और सदस्यों के आयकर रिटर्न के साथ-साथ पूरे परिवार का रिटर्न भी अलग से भरना पड़ता है।’
हिंदुओं के अलावा जैन, सिख या बौद्ध परिवार भी अविभाजित हिंदू परिवार बना सकते हैं। इस परिवार में एक ही पुरखे से आए सदस्य शामिल होते हैं। परिवार के सदस्य को कर्ता कहा जाता है। कर्ता पारिवारिक संपत्तियां संभालता है और एचयूएफ की ओर से वही सारे फैसले करता है।
एसकेवी लॉ ऑफिसेज में एसोसिएट आदित्य तिवारी बताते हैं, ‘आयकर अधिनियम के तहत अविभाजित हिंदू परिवार कर छूट और लाभ का दावा कर सकता है और उसके सदस्य भी अलग से इन सभी का दावा कर सकते हैं।’
शिवदास ऐंड शिवदास लॉ चैंबर्स में वकील ऋषभ जे इसे ठीक से समझाते हैं। वह बताते हैं कि अविभाजित हिंदू परिवार की आय पर वित्त अधिनियम में दी गई स्लैब की दरों से या धारा 115बीएसी में दी गई नई कर प्रणाली के हिसाब से कर लगाया जाता है। वह कहते हैं कि कर तय करने और वसूलने के लिए एचयूएफ की नागरिकता की स्थिति तय करनी होती है।
व्यक्तियों की तरह एचयूएफ को भी कई तरह की कर कटौती और छूट का फायदा मिल सकता है। सवानी बताते हैं, ‘निजी करदाता कमाई कराने वाली अपनी पैतृक संपत्ति एचयूएफ को सौंपकर कर का बोझ कम कर सकते हैं। एचयूएफ को नई कर व्यवस्था के तहत 3 लाख रुपये और पुरानी व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपये तक की छूट का लाभ मिलता है।’
आयकर अधिनियम की धारा 80सी, 80डी और 80जी के तहत भी एचयूएफ करयोग्य आय में कटौती का पात्र होता है, जिससे परिवार का कर बोझ कम हो जाता है। सिंघानिया ऐंड कंपनी में प्राइवेट क्लाइंट लीडर केशव सिंघानिया समझाते हैं, ‘यदि कोई व्यक्ति धारा 80सी के तहत कटौती का पूरा फायदा ले चुका है तो एचयूएफ के पास भी अपने सदस्यों की ओर से जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने और प्रीमियम चुकाने का विकल्प होता है, जिससे कर की और भी बचत हो जाती है।’
हिंदू अविभाजित परिवार आवास ऋण भी ले सकता है और चुकाए गए ब्याज तथा मूलधन पर धारा 24 और 80सी के तहत कर लाभ का दावा भी कर सकता है। तिवारी का कहना है, ‘यह परिवार के हरेक सदस्य को आवास ऋण पर मिल रही कर कटौती के अलावा होता है। इससे परिवार की संपत्तियां संभालने और उनमें इजाफा करने में मदद मिलती है।’
कई बार लोगों को कर्मचारी भविष्य निधि जैसे कुछ अनिवार्य अंशदान करने पड़ते हैं, जिनमें उनकी धारा 80सी की कर छूट सीमा खत्म हो जाती है। एक्विलॉ के कार्यकारी निदेशक राजर्षि दासगुप्ता की सलाह है, ‘ऐसे में आप अपने एचयूएफ खाते से प्रीमियम देकर बदले में कर छूट का दावा कर सकते हैं। ‘
एचयूएफ अपने नाम एफडी खोलकर या इक्वटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश कर कर छूट ले सकता है। अकॉर्ड ज्यूरिस एलएलपी में पार्टनर अलै रजवी कहते हैं, ‘एचयूएफ लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) खाता नहीं खोल सकते मगर अपने सदस्यों के पीपीएफ खातों में अंशदान कर धारा 80सी के तहत कर छूट का दावा कर सकते हैं।’
हिंदू अविभाजित परिवार अपने सदस्यों के स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम चुकाकर धारा 80डी के तहत कर लाभ उठा सकता है। फिलहाल इस धारा के तहत सामान्य नागरिक 25,000 रुपये तक और वरिष्ठ नागरिक 50,000 रुपये तक कर योग्य आय घटवा सकते हैं। सभी सदस्यों की छूट सीमा इसी दायरे के तहत आती है। रजवी याद दिलाते हैं कि किसी एक निवेश या खर्च के लिए परिवार और सदस्य दोनों एक साथ छूट नहीं ले सकते।
सिंघानिया बताते हैं कि एचयूएफ योगदान करने वाले अपने सदस्यों को वेतन दे सकता है और उसे अपनी आय में से घटाकर कर योग्य आय कम कर सकता है। सवानी का कहना है कि इन छूटों और कटौतियों के जरिये हिंदू अविभाजित परिवार और उसके सदस्यों को निचले कर दायरे में बने रहने में मदद मिलती है। कई बार तो उनकी अतिरिक्त आय ऊपरी कर दायरे में नहीं आ पाती।
मगर ध्यान रखना होगा कि भारत से बाहर रहने वाले हिंदू अविभाजित परिवार को कर के मामले में अनिवासी माना जा सकता है। सावनी का कहना है कि ऐसे मामलों की जांच भी ज्यादा होती है। सबसे जरूरी बात यह है कि एचयूएफ को ऊपर बताए कर लाभ हासिल करने के लिए पूरे कागजात साथ रखने चाहिए।