वित्त वर्ष 2022-23 में कर बचाने के मकसद से निवेश करने की आखिरी तारीख यानी 31 मार्च नजदीक आ गई है। अगर आपको अपने रिटायरमेंट के लिए बचत करनी है और आयकर भी बचाना है तो राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) आपके लिए सही हो सकती है।
NPS में दो खाते होते हैं। पहले और अनिवार्य खाते में लॉक-इन अवधि होती है यानी बीच में निकासी नहीं कर सकते मगर कर बचत का फायदा मिलता है। दूसरा खाता स्वैच्छिक होता है और उसमें से किसी भी समय रकम निकाली जा सकती है मगर कर बचत नहीं होती।
अपने NPS खाते में अंशदान करने वाला कोई भी व्यक्ति (निवासी या अनिवासी) को अपनी कर योग्य आय में धारा 80CCD(1) के तहत 1.5 लाख रुपये तक कटौती का दावा कर सकता है। टैक्समैन में उप महा प्रबंधक नवीन वाधवा बताते हैं, ‘धारा 80C, 80CC और 80CCD के तहत कुल कटौती 1.5 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती।’
पेंशन फंड में अंशदान पर धारा 80CCC के तहत और NPS या अटल पेंशन योजना में अंशदान पर धारा 80CCD के तहत कटौती का फायदा मिलता है। कई लोग बीमा पॉलिसी, लोक भविष्य निधि (PPF), बच्चों की स्कूल फीस आदि के कारण धारा 80C के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये कटौती की सीमा पूरी तरह इस्तेमाल कर लेते हैं। वाधवा कहते हैं कि ऐसे लोग NPS में रकम लगाकर धारा 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा कर सकते हैं।
धारा 80CCD (2) तब लागू होती है, जब नियोक्ता कर्मचारी के NPS खाते में अंशदान करता है। सबसे पहले नियोक्ता के अंशदान को कर्मचारी की वेतन आय में जोड़ दिया जाता है। कर्मचारी मूल वेतन तथा महंगाई भत्ते (DA) को जोड़कर धारा 80CCD (2) के तहत उस पर 14 फीसदी तक (सरकारी कर्मचारियों के लिए) या 10 फीसदी (अन्य कर्मचारियों के लिए) तक कटौती का दावा कर सकता है।
पहले धारा 80CCD (2) के तहत कटौती के दावे के लिए नियोक्ता के अंशदान की कोई अधिकतम सीमा तय नहीं की गई थी बशर्ते वह कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 10 फीसदी (सरकारी कर्मचारियों के लिए 14 फीसदी) से ज्यादा नहीं हो। इकनॉमिक लॉ प्रैक्टिस में पार्टनर राहुल चरखा कहते हैं, ‘इस कारण अधिक वेतन पाने वाले व्यक्ति कर योग्य आय में ज्यादा कटौती का दावा कर देते थे।’
2020 के बजट में कहा गया कि यदि किसी वित्त वर्ष के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि, NPS और रिटायरमेंट फंड में नियोक्ता का कुल अंशदान 7.5 लाख रुपये से अधिक होता है तो अधिक राशि पर कर्मचारी से कर वसूला जाएगा। आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मनीत पाल सिंह बताते हैं कि सीमा से अधिक अंशदान पर कमाए गए ब्याज, लाभांश आदि पर भी कर वसूला जाता है।
जब खुद के रोजगार वाला कोई व्यक्ति NPS में रकम लगाता है तो NPS में उसका अंशदान और उसकी कुल आय का 20 फीसदी देखा जाता है। दोनों में जो भी कम होता है उसी की कटौती की इजाजत है मगर यह सीम भी अधिकतम 1.5 लाख रुपये ही है। इस सीमा के बाद धारा 80CCD (1B) के तहत 50,000 रुपये कटौती का दावा और किया जा सकता है।
रिटायर होते समय या 60 साल के होने पर NPS में मौजूद कुल रकम की 60 फीसदी निकासी पर कोई कर नहीं लगता। बाकी 40 फीसदी का इस्तेमाल एन्युटी योजना खरीदने में किया जा सकता है। एन्युटी योजना से मिलने वाली पेंशन पर कर वसूला जाता है।
अगर आंशिक निकासी की जाती है तो कुल अंशदान के 25 फीसदी तक हिस्से पर कर नहीं लगता है। बाकी रकम पर कर लिया जाता है। अब सवाल है कि इसमें निवेश किया जाए या नहीं। NPS किफायती साधन है, जिसमें कोष प्रबंधन शुल्क और दूसरे प्रकार के शुल्क बहुत कम होते हैं। म्युचुअल फंड के उलट करदाता के लिए इसमें रीबैलेंसिंग पूरी तरह कर मुक्त होती है।
ऑल-सिटीजन मॉडल के तहत निवेशक 75 फीसदी तक रकम शेयरों में लगा सकते हैं और 50 साल की उम्र तक ऐसा ही कर सकते हैं। शेयर में रकम लगाने से NPS निवेशकों को स्थिर आय वाले रिटायरमेंट साधनों की तुलना में अधिक रिटर्न मिल सकता है।
संपत्ति आवंटन पर पूरे नियंत्रण की इच्छा रखने वाले ग्राहक एक्टिव चॉइस विकल्प चुन सकते हैं, जिसमें वे खुद तय करते हैं कि शेयर, कंपनी डेट फंड, सरकारी बॉन्ड और वैकल्पिक निवेश फंडों में से किसमें तथा कितनी रकम लगाई जाए। जो चाहते हैं कि उम्र के साथ संपत्ति आवंटन खुद बदल जाए, वे ऑटो चॉइस विकल्प चुन सकते हैं। निवेशक पेंशन फंड प्रबंधक भी खुद ही चुन सकते हैं।
मगर इसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि समय से पहले निकासी बहुत मुश्किल होती है। यह योजना तभी चुनें, जब आपको रिटायरमेंट से पहले पैसे की जरूरत नहीं पड़ने वाली हो।