BSE Share after SEBI new rules: भारतीय शेयर बाजार में आज यानी बुधवार को लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई। गिरावट की वजह सितंबर तिमाही के निराशाजनक नतीजे और FPI की तरफ से शेयरों में बिकवाली रही। इसी बीच, ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज की रेटिंग ने BSE को जबरदस्त झटका दे दिया और इसके शेयरों में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई।
दरसअल, ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) ने नए वायदा और विकल्प (F&O) नियमों के प्रभाव को देखते हुए स्टॉक को ‘अंडरपरफॉर्म’ रेटिंग दी। Jefferies ने BSE के लिए टारगेट प्राइस (BSE Share target price) को 3,500 रुपये प्रति शेयर पर ही रिवाइज कर दिया। यह टारगेट प्राइस बुधवार के 4,495 रुपये के क्लोजिंग प्राइस (BSE share Closing price) से लगभग 22% कम है।
पिछले एक महीने में BSE के शेयरों में 30% से अधिक की बढ़त देखी गई थी, क्योंकि निवेशकों को उम्मीद थी कि नए डेरिवेटिव ट्रेडिंग नियमों का BSE पर प्रभाव, इसके बड़े कंपटीटर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मुकाबले कम होगा। इसके अलावा, कई निवेशक यह उम्मीद कर रहे थे कि BSE को वीकली प्रोडक्ट्स में बढ़ते ट्रेड से कुछ बाजार हिस्सेदारी मिल सकती है।
Jefferies की रिपोर्ट के अनुसार, ‘वर्तमान बाजार मूल्य (current market price) पर हमें लगता है कि रिस्क-रिवार्ड का संतुलन विपरीत हो गया है, क्योंकि मार्केट वॉल्यूम्स पर नियमों के ज्यादा असर और कम स्पिलओवर गेन जैसे रिस्क, संभावित लाभों (incremental gains) से अधिक हो गए हैं।’
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) की तरफ से लागू किए जा रहे ज्यादातर नए नियम 20 नवंबर से लागू होंगे। इन नियमों के तहत BSE अपने वीकली ऑप्शंस सेगमेंट में Sensex कॉन्ट्रैक्ट्स को बनाए रखेगा, जबकि NSE Nifty50 कॉन्ट्रैक्ट्स को जारी रखेगा। सेबी (Sebi) ने कॉन्ट्रैक्ट साइज और पोजीशन मॉनीटरिंग में भी वृद्धि की है।
Jefferies ने यह भी कहा, ‘नए F&O फ्रेमवर्क के तहत मासिक अनुबंध (Monthly contracts) अप्रभावित (मार्केट का करीब 30 प्रतिशत) रहते हैं और इस सेगमेंट में BSE का मार्केट शेयर तुलना करने पर कम (10 प्रतिशत) है।
जेफरीज ने आगे कहा, ‘इसके लिए एडजस्ट करते हुए, मौजूदा वैल्यूएशन वीकली कॉन्ट्रैक्ट्स (सप्ताह 1-3) में BSE के लिए 40-50 प्रतिशत मार्केट शेयर का संकेत दे सकता है, जो हमें उम्मीद से कहीं ज्यादा लगता है। यह प्रतिभागियों के व्यवहार (participant behaviour) में एक बड़ा बदलाव है, खासकर नॉन-एक्सपायरी वाले दिनों में।’
BSE के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) सुंदररमन राममूर्ति ने CNBC-TV18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वे डेरिवेटिव्स सेगमेंट में भागीदारी और प्रोडक्ट्स की संख्या बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे स्टॉक ब्रोकरों की भागीदारी (participation) को 450 से बढ़ाकर 600 और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को 150 से बढ़ाकर 500 करने का लक्ष्य रख रहे हैं।
एनालिस्ट्स को उम्मीद है कि Sebi के निर्देशों के कारण वॉल्यूम्स में 30-40 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है, क्योंकि मार्केट रेगुलेटर यानी सेबी ने रिटेल इन्वेस्टर्स के बढ़ते नुकसान को ध्यान में रखते हुए सख्त नियम लागू किए हैं।