शेयर बाजार के सबसे अमीर निवेशकों में शुमार राकेश झुनझुनवाला का आज निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने बताया कि 62 साल के दिग्गज निवेशक की मधुमेह और गुर्दे की समस्या अनियंत्रित हो गई थी। सुबह पौने सात बजे अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मृत्यु हो चुकी थी। उनके परिवार में पत्नी रेखा, दो बेटे और एक बेटी हैं। उनके निधन की खबर से समूचा निवेशक समुदाय सकते में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘राकेश झुनझुनवाला अजेय थे। वह जिंदादिल, हाजिरजवाब और गहरी समझ वाले थे। उन्होंने आर्थिक जगत पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। भारत की प्रगति के लिए उनके भीतर जुनून था।’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने झुनझुनवाला को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ‘निवेशक, जोखिम लेने का साहस दिखाने वाले, शेयर बाजार की जबरदस्त समझ रखने वाले और अपनी बात साफ-साफ रखने वाले… जिन्हें भारत की ताकत और क्षमता में भरोसा था।’
झुनझुनवाला के हिम्मत भरे दांव, निवेश के शानदार रिकॉर्ड और जुनून के कारण दलाल पथ पर लोग उन्हें श्रद्धा से देखते थे। उन्होंने निवेश का अपना सफर 1985 में महज 5,000 रुपये से शुरू किया था। दिग्गज निवेशक अंतिम समय तक शेयर बाजार में सक्रिय थे और करीब दर्जन भर कंपनियों में उनकी एक फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी थी, जिनका मूल्य इस समय 32,000 करोड़ रुपये से भी अधिक है। इसके अलावा कई गैर-सूचीबद्ध फर्मों जैसे देश की नई विमानन कंपनी आकाश एयर में भी उनका निवेश है।
उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि झुनझुनवाला को लंबे समय से मधुमेह की समस्या थी और करीब एक साल से वह व्हीलचेयर पर थे। लेकिन उनकी सेहत पिछले कुछ दिनों में ज्यादा ही बिगड़ गई। फिर भी आखिरी वक्त तक उनके भीतर जोश रहा। यह जोश उस वीडियो में भी नजर आया, जिसमें वह व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे ही बॉलीवुड के एक लोकप्रिय गाने पर नाच रहे थे। उन्होंने कुछ फिल्में भी बनाईं, जिनमें 2012 में आई श्रीदेवी अभिनीत ‘इंगलिश विंगलिश’ प्रमुख है।
शेयर बाजार की गहरी समझ और मुनाफा कमाने वाले दांव खेलने के कारण झुनझुनवाला आम निवेशकों के बीच भी जाने-पहचाने नाम बन गए थे और उन्हें भारत का वारेन बफेट भी कहा जाता था। बफेट की तरह निवेश पर कही उनकी एक लाइन को भी निवेशक हाथोहाथ लेते थे। कई निवेशक उन्हीं की तरह अपना पोर्टफोलियो बदल लेते थे और जिन शेयरों में झुनझुनवाला निवेश करते थे, आम कई निवेशक भी उन पर दांव लगाने लगते थे।
मगर वह अक्सर निवेशकों से कहते थे कि आंख मूंदकर उनके निवेश की नकल नहीं करें। झुनझुनवाला टाइटन, ल्यूपिन आदि शेयरों के जरिये अपना निवेश कई गुना बढ़ाने में सफल रहे। कई विफल कंपनियों जैसे डीएचएफएल, ए2जेड मेनटेनेंस और डीबी रियल्टी में निवेश पर उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा था।
झुनझुनवाला के पास ट्रेडिंग और निवेश का दुर्लभ कौशल था। उन्होंने एक बार कहा था कि उनकी ट्रेडिंग कुशलता ने उन्हें न केवल लंबे समय तक निवेश बनाए रखने के लिए पूंजी उपलब्ध कराई बल्कि उनके निवेश कौशल को भी धार दी। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट रहे झुनझुनवाला अपने निवेश वाली कंपनियों के तिमाही नतीजों की बैठकों में अक्सर शामिल होते थे और कंपनी प्रबंधन से तीखे सवाल भी पूछते थे।
बीते दो दशक से भी लंबे समय से भारत की प्रगति की क्षमता पर भरोसा दिखाने, अर्थव्यवस्था और बाजार में तेजी के बयान और चुनौतियों के बावजूद लंबे समय तक निवेश के कारण उन्हें भारत का बिग बुल भी कहा जाता था। उनकी सफलता और बाजार के प्रति उनकी धारणा ने देश में कई निवेशकों को शेयर बाजार में आने के लिए प्रेरित किया, जबकि देश में 5 फीसदी से भी कम आबादी ही सीधे तौर पर शेयरों में निवेश करती है।
