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दीर्घावधि निवेश के लिए करें उतार-चढ़ाव का इस्तेमाल

Last Updated- December 12, 2022 | 6:16 AM IST

विश्लेषकों का कहना है कि सोमवार को बाजारों में आई भारी गिरावट और भविष्य में भी उतार-चढ़ाव की आशंका से निवेशकों को डरना नहीं चाहिए और उन्हें निवेश योग्य अवसरों पर ध्यान देना चाहिए तथा मध्यावधि से दीर्घावधि नजरिये के साथ खरीदारी करनी चाहिए। हालांकि विश्लेषक यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि बाजार कुछ आगामी घटनाक्रम को देखते हुए अप्रैल में अस्थिर रह सकते हैं और शेयर-केंद्रित दांव पर जोर  दिया जा सकता है।
वेलेंटिस एडवायजर्स के संस्थापक ज्योतिवद्र्घन जयपुरिया ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बाजार में गिरावट मध्यावधि से दीर्घावधि परिदृश्य के लिहाज से निवेश करने का बढिय़ा अवसर है। मई 2020 में अपनी तेजी के बाद से बाजारों में बड़ी गिरावट नहीं देखी गई है। हम पूंजी निवेश का इंतजार कर रहे हैं और अब बाजारों में खरीदारी शुरू होगी। इन घटनाक्रम के बीच, शेयर चयन जरूरी होगा।’ बढ़ते कोविड मामलों और केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा उठाए जाने वाले संभावित कदमों के अलावा, विश्लेषकों का कहना है कि बाजारों की नजर आरबीआई की आगामी तीन-दिवसीय मौद्रिक नीति (5 अप्रैल और 7 अप्रैल के बीच प्रस्तावित) पर बनी रहेगी। इस बैठक में बॉन्ड प्रतिफल नियंत्रित रखने और पूंजी प्रबंधन पर जोर रहेगा।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट में इंडिया इक्विटी रिसर्च कि प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने प्रेमल कामदार के साथ अपनी एक रिपोर्ट में लिखा, ‘जहां हम अगले कुछ सप्ताहों में मुनाफावसूली की आशंका से इनकार नहीं कर रह हैं, लेकिन यह सकारात्मक आय परिवेश और अनुकूल वैश्विक मौद्रिक तथा वित्तीय नीतियों द्वारा समर्थित खरीदारी का अच्छा अवसर साबित हो सकता है।’
सोमवार को बाजारों में भारी गिरावट आई और बीएसई के सेंसेक्स तथा निफ्टी-50 में दिन के कारोबार में 2-2 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। आईएचएस मार्किट के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के आंकड़े में कहा गया है कि महाराष्ट्र में लॉकडाउन के अलावा, अन्य कारकों का भी बाजार पर प्रभाव पड़ा है। इनमें निर्माण क्षेत्र में वृद्घि की धीमी रफ्तार भी शामिल है जो मार्च में पिछले महीने के 57.5 से घटकर सात महीने के सबसे निचले स्तर 55.4 पर रह गई, क्योंकि कारेविड मामलों में तेजी आने से मांग प्रभावित हुई।

First Published - April 6, 2021 | 1:16 AM IST

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