भारतीय इक्विटी बाजारों में गुरुवार को गिरावट आई, क्योंकि 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड प्रतिफल चार महीने में पहली बार 4 प्रतिशत चढ़ गया। इससे यह आशंका बढ़ गई कि बॉन्ड में दिलचस्पी लंबे समय तक बनी रहेगी। बीएसई का सेंसेक्स 502 अंक या 0.8 प्रतिशत गिरकर 58,909 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 129 अंक या 0.7 प्रतिशत के नुकसान के साथ 17,322 पर बंद हुआ।
इस सप्ताह जर्मनी और फ्रांस से अनुमान से ज्यादा मुद्रास्फीति के आंकड़े से भी यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) द्वारा और ब्याज दर वृद्धि की आशंका बढ़ी है। विश्लेषकों का कहना है कि निवेशक अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरें कितनी बढ़ेंगी।
निवेशक अब इस पर दांव लगा रहे हैं कि ईसीबी फरवरी 2024 के अंत तक ब्याज दरें बढ़ाकर 4 प्रतिशत करेगा, जबकि वर्ष के शुरू में यह अनुमान 3.5 प्रतिशत जताया गया था।
अमेरिकी फेड द्वारा दर वृद्धि का सिलसिला बरकरार रखे जाने की आशंका से भी निवेशकों में चिंता बढ़ी है। अटलांटा फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष राफेल बोस्टिक ने यह सुनिश्चित करने के लिए बुधवार को दरें 5 प्रतिशत से ऊपर बनाए रखने पर जोर दिया कि मुद्रास्फीति फिर से न बढ़ जाए। कुछ निवेशक चीन में हालात फिर से सामान्य होने से भी मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका जता रहे हैं।
गुरुवार को गिरने वाले शेयरों की संख्या 1,936 तथा चढ़ने वालों की 1,538 थी। इन्फोसिस में आई 1.6 प्रतिशत की गिरावट ने सेंसेक्स की कमजोरी में बड़ा योगदान दिया। टीसीएस में 1.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
एशियाई बाजारों में जापान का निक्की, चीन का शांघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी लाभ में रहा। यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर कारोबार के दौरान गिरावट का रुख था। अमेरिकी बाजार बुधवार को नुकसान में रहा था।