शेयर बाजार के लिए गुरुवार का दिन बेहद खराब रहा। शुरुआती कारोबार में ही सेंसेक्स और निफ्टी भारी गिरावट पर खुले।
सेंसेक्स जहां एक बार फिर 10 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे लुढ़क गया, वहीं निफ्टी भी 24 जुलाई, 2006 के बाद 3000 के अपने निचले स्तर को तोड़ दिया।
हालांकि शुरुआती गिरावट के बाद सेबी के दखल से बाजार में थोड़ी लिवाली देखी गई, जिससे बाजार में सुधार भी आया, लेकिन उस स्तर पर बाजार टिक नहीं पाया और फिसलता हुआ गिरावट के साथ बंद हुआ।
दरअसल, सेबी ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशक अपनी शॉर्ट पोजिशंस वापस ले सकते हैं। इससे निवेशकों में विश्वास जगा, लेकिन वैश्विक बाजारों से मिले संकेतों की वजह से यह उत्साह भी काफूर हो गया। कारोबार की समाप्ति पर बीएसई का सेंसेक्स 398.20 अंक लुढ़क कर 9,771.70 के स्तर पर बंद हुआ।
निफ्टी भी 122 अंकों का गोता लगाते हुए 3 हजार के स्तर को तोड़ते हुए 2,943.15 के स्तर पर बंद हुआ। बीएसई के छोटे और मझोले शेयरों में बिकवाली का दबाव देखा गया। पूंजीगत वस्तु और उपभोक्ता टिकाऊ क्षेत्र को छोड़कर बीएसई का कोई भी सूचकांक बढ़त बनाने में सफल नहीं रहा। सबसे ज्यादा करीब 11 फीसदी की गिरावट धातु क्षेत्र में देखी गई।
वाहन सूचकांक 7 फीसदी, अचल संपत्ति और तेल-गैस सूचकांक 5 फीसदी, तो फार्मा सूचकांक करीब 4 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसके अलावा, तकनीकी, बैंक, आईटी, एफएमसीजी क्षेत्रों में भी गिरावट दर्ज की गई। टाटा स्टील और टाटा मोटर्स के शेयर 14 फीसदी नुकसान के साथ बंद हुए।
बाकियों का भी बुरा हाल
वैश्विक बाजारों की बात करें, तो जहां बुधवार को अमेरिकी बाजार भारी गिरावट पर बंद हुए थे, वहीं गुरुवार को एशियाई बाजारों में भी गिरावट का रुख रहा। डाऊ जोंस 514 अंक और नैस्डैक 80 अंक नीचे बंद हुआ था। दक्षिण कोरिया और जापान के शेयर बाजारों में भारी बिकवाली का दौर चला और ये गिरावट के साथ बंद हुए।
रुपया रूठा
आयातकों की बढ़ी डॉलर मांग के चलते अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा बाजार के रुपया अमेरिकी मुद्रा की तुलना में अपने न्यूनतम स्तर को छू गया। शुरुआती कारोबार में रुपये में 38 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। बुधवार को 49.31 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था, जबकि गुरुवार को कारोबार खत्म होने तक रुपया 52 पैसे लुढ़क कर 49.82 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। आर्थिक मामलों के सचिव अशोक चावला ने कहा कि रुपये का मूल्य, पूंजी प्रवाह समेत कई पैमानों पर निर्भर करता है।
महंगाई मानी
खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी कारण 11 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान महंगाई दर घटकर 11.07 फीसदी हो गई। इसके पिछले सप्ताह महंगाई दर 11.44 फीसदी थी, जबकि एक साल की समान अवधि में यह दर 3.07 फीसदी थी। समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान फल, सब्जी और अंडे की कीमत में गिरावट दर्ज हुई।
गैर-खाद्य पदार्थों में सूर्यमुखी और कच्चा कपास सस्ता हुआ। ईंधन समूह के सूचकांक में भी 0.1 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
पूर्वी (एशियाई)बाजारों का गिरना भारतीय बाजारों की गिरावट की कोई वजह नहीं है। किसी भी निवेशक को आशंकित होकर बाजार में आनन-फानन बिकवाली नहीं करनी चाहिए।
सेबी ने अब उनसे (एफआईआई)कहा कि वह विदेशी इकाइयों को उधारी देने की प्रकिया बंद करें और ऐसे सौदों को पलट दें। अगले कुछ दिनों में ऐसे सौदों को पलटे जाने की संभावना है।
पूंजी देश से बाहर जा रही है क्योंकि एफआईआई पर अपने देश में भुगतान का दबाव है। एफआईआई पर दबाव कम होगा तो वे भी ऋण बाजार में निवेश करेंगे।
यदि आप रिवर्स रेपो के मुताबिक आकलन करें तो मुझे लगता है पर्याप्त नकदी है। बैंकों को अतिरिक्त फंड आरबीआई के पास जमा नहीं करना चाहिए और ऋण देना चाहिए।
मैंने सरकारी बैंकों के अध्यक्षों को बुलाया था और कहा था कि हमें अब ऋण देना चाहिए। क्योंकि नकदी की स्थिति बेहतर है। मुझे उम्मीद है कि यह संदेश नीचे तक जाएगा।