पिछले कुछ वर्षों में यूनिट लिंक्ड बीमा योजनाएं (यूलिप) भारतीय स्टॉक बाजार में सबसे बड़े खिलाड़ी बन कर उभरे हैं। भारतीय शेयर बाजार में यूलिप द्वारा किया गया अनुमानित निवेश 1.5 से 2 लाख करोड़ रुपये के बीच है जो इक्विटी म्युचुअल फंडों द्वारा किए गए निवेश के लगभग बराबर है।
लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के मुताबिक 31 मार्च 2007 तक यूलिप ने इक्विटी बाजार में 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था जिसमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने सबसे अधिक 1.24 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य निवेश अधिकारी पुनीत नंदा ने कहा, ‘यद्यपि बाजार में सुधार हुआ है, यूलिप के तहत अधिक निवेश के कारण फंड प्रबंधकों को भी भारी मात्रा में निवेश करना पड़ा है। वर्तमान में इक्विटी में किया गया कुल निवेश लगभग दो लाख करोड़ रुपये होना चाहिए।’
इक्विटी में यूलिप द्वारा किए गए निवेश की यह राशि म्युचुअल फंडों द्वारा किए गए निवेश के लगभग बराबर है। अगर हम म्युचुअल फंडों की मार्च-अंत की संख्याओं को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यूलिप भी लगभग बराबरी में हैं।
ग्रोथ फंडों की कुल प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति 1.57 करोड़ रुपये, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) की 16,020 करोड़ और बैलेंस्ड फंडों में 16,020 करोड़ रुपये है। यह देखते हुए कि बैंलेंस्ड फंडों के तहत 20-30 प्रतिशत ऋण उपकरणों में निवेश किया जाता है, इक्विटी में म्युचुअल फंडों का कुल निवेश दो लाख करोड़ रुपये से कुछ ही कम होता है।
म्युचुअल फंड बाजार में 15 वर्षों से बने हुए हैं और इस अवधि में उनने अपनी प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति बढ़ाई है। दूसरी तरफ, यूलिप ने कोष का एक बड़ा हिस्सा पिछले दो-तीन वर्षों में जुटाया है। नंदा के अनुसार यूलिप के कोष में तेजती से हुई वृध्दि का श्रेय देश भर में फैले जीवन बीमा व्यवसाय के नेटवर्क को जाता है। आज की तारीख में देश भर में इंश्योरेंस कंपनियों की शाखाओं की संख्या 2,000 से 2,500 के बीच है।
फंड के इतने बड़े कोष के साथ वर्तमान बाजार में यूलिप फंड प्रबंधक क्या कर रहे हैं? मैक्स न्यू यॉर्क लाइफ इंश्योरेंस के वित्त निदेशक एवं मुख्य वित्तीय अधिकारी सुनील ककर ने कहा, ‘जब तक सेक्टर की बुनियाद और विशिष्ट कंपनियों की दशा मजबूत है, बाजार की अल्पावधि की अस्थिरता से हमारी निवेश नीति पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है।’
अवीवा इंडिया के फंड प्रबंधन के असोसिएट डायरेक्टर ज्योति वासवानी इस बात से सहमत लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘क्योंकि हमलोगों पर फंड भुनाए जाने का दबाव नहीं है इसलिए जब कभी मूल्य आकर्षक होता है तो हम खरीदारी जारी रखते हैं।’
मैक्स न्यू यॉर्क लाइफ की प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति का 75-80 प्रतिशत इक्विटी में निवेशित है जबकि आईसीआईसीआई प्रूडेन्िशियल के मामले में यह प्रतिशतता लगभग 69 (19,769 करोड़ रुपये)। जहां स्टॉक की गुणवत्ता का सवाल है नंदा ने कहा निवेश नीति रुढ़िवादी होने के कारण लार्ज-कैप स्टॉक की तरफ झुकाव अधिक था।
प्रतिफलों को सूचकांकों के विरुध्द बेंचमार्क किया जाता है। ककर ने कहा कि यूलिप के तहत पैसों को सुरक्षित रखने की अनिवार्यता थी। इसलिए वे आक्रामक नकदी कॉल नहीं ले पाए। उन्होंने कहा, ‘दीर्घावधि में प्रतिफलों का एक समान बना रहना चाहिए।’
जब कभी बाजार में गिरावट का दौर शुरू होता है म्युचुअल फंडों पर रिडम्पशन का दबाव बढ़ जाता है जबकि यूलिप के फंड प्रबंधकों को अधिक चिंता नहीं होती है क्योंकि इसकी लॉक-इन अवधि तीन वर्षों की होती है।
हालांकि, बीमा कंपनियों पर रिडम्पशन प्रेशर नहीं होता है लेकिन वे फंडों को बदलने की सुविधा देते हैं। जिसके तहत कोई पॉलिसीधारक इक्विटी फंड से ऋण फंड में अपना निवेश ट्रांसफर कर सकता है। अधिकांश यूलिप वर्ष में चार दफा फंड परिवर्तन की यह सुविधा निशुल्क उपलब्घ कराते हैं।
हालांकि, यूलिप फंड प्रबंधकों का कहनाा है कि कुछ लोगों ने इक्विटी की जगह ऋण फंडों में निवेश परिवर्तित किया है लेकिन यह काफी कम है। नंदा ने कहा, ‘अधिकांश ग्राहक इक्विटी विकल्प का चयन कर रहे हैं।’
बाजार सूत्रों के मुताबिक बाजार में यूलिप की सक्रियता उतनी अधिक नहीं रही है। एक ब्रोकिंग हाउस के प्रमुख के मुताबिक, ‘पिछले तीन महीनों में केवल आईसीआईसीआई प्रूडेन्शियल, एलआईसी और बिड़ला सन लाइफ सक्रिय रहे हैं। सामान्यतया, चौथी तिमाही के दौरान, पिछले तिमाहियों की तुलना में यूलिप अपना निवेश दोगुना करते हैं लेकिन पिछले तीन महीने में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला है।’