एनटीटी ने डोओसीओएमओ ने सीडीएमए ऑपरेटर टाटा टेलीसर्विसेस में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी है।
एनटीटी ने यह हिस्सेदारी 13,070 करोड रुपये में खरीदी है और इसके साथ ही टेल्क ो को कीमतों के आधार पर आइडिया सेल्यूलर केमुकाबले ती गुना अधिक तरजीह दी गई है। मालूम हो कि आइडिया का मौजूदा बाजार पूंजीकरण 15,000 करोड रुपये के पास है जबकि एनटीटी डीओसीओएमओ का सौदा टीटीसीएल की कीमत 50,000 करोड रुपये से अधिक तय की है।
टेलीकॉम मलेशिया ने जब इस साल जून में आइडिया में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी तब इसने आइडिया का बाजार मूल्य करीब 45,000 करोड रुपये तय किया था, लेकिन उसकेबाद शेयरों की कीमतों में जबरदस्त कमी आई है।
उल्लेखनीय है कि जापानी कंपनी 26 प्रतिशत हिस्सेदारी केलिए प्रीमियम का भुगतान कर रही है जो कि इसे किसी भी रिजोल्यूशन को ब्लॉक करने में सक्षम बनाएगी। इसकेअलावा उन जीएसएम स्पेक्ट्रम केलिए भी प्रीमीयम का भुगतान कर रही है जिसे कि टीटीएसएल ने 9 सर्किल केबदले प्राप्त किया था (जीएसएम नेटवर्क अगले साल के शुरू तक काम करना शुरू कर देगा)।
चूंकि टीटीएसएल पहले से ही सीडीएमए का परिचालन कर रही है, इस लिहाज से कंपनी केलिए कुछ अन्य नए खिलाडियों यूनिटेक या स्वान केमुकाबले जीएसएम को शुरू करने में बहुत कम लागत आएगी। विश्लेषकों का मानना है कि यह करीब 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
हालांकि बड़े आकार और आकर्षक कारोबार करने के बाद भी कंपनी के लिए भारतीय बाजार में कीमतों केलिहाज से प्रवेश करना आसान नहीं होगा। आइडिया के ग्राहकों की संख्या 30.4 मिलियन केकरीब है जबकि अपनी सहायक कंपनी टाटा टेली महाराष्ट्र लिमिटेड (टीटीएमएल)दोनो को मिलाकर टीटीएस के ग्राहकों की संख्या 29.3 मिलियन है।
मुनाफा कमाने के नजरिए से आइडिया ने बेहतर प्रदर्शन किया है और मार्च 2008 तक एक साल की अवधि में कपंनी ने 6,720 करोड रुपये का राजस्व जुटाया था जबकि कंपनी का शुध्द मुनाफा 1,042 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था। जहां तक टीटीएसएल के राजस्व की बात है तो यह मार्च 2008 तक के एक साल की अवधि में 5,373 करोड रुपये दर्ज किया और माना जा रहा है कि कंपनी को खासा नुकसान उठाना पडा है।
हालांकि टीटीएसएल के प्रवर्तकों केलिए यह सौदा लाभकारी है क्योंकि नए शेयरों के इस्ततमाल में लाए जाने से कपंनी में पूंजी का प्रवाह जबरदस्त ढ़ंग से बढ़ेगा। इससे थ्री जी स्पेक्ट्रम के लिए पूंजी मुहैया कराने और साथ ही विस्तार की योजनाओं के लिए पूंजी मुहैया कराने में आसानी होगी।
टीटीएमएल के शेयरधारकों केलिए ओपन ऑफर एक अच्छी खबर है। अगर पिछले छह महीने के औसत पर 24-25 रुपये के बीच ऑफर को रखा जाता है तो शेयरधारकों को कमजोर बाजार में भी अपने शयरों को आगे लाना चाहिए। टीटीएमएल ने मार्च 2008 तक एक साल की अवधि में 125 करोड रुपये का घाटा दर्ज कर चुकी है।
सेल: आसान नहीं खेल
जेएसडब्ल्यू के अपने उत्पादन में कटौती करने के फैसले के बाद बारी अब भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी इस्पात कंपनी भारतीय इस्पात प्राधिकरण(सेल) है।
सेल केप्रबंधकों का कहना है कि स्टील के लॉन्ग उत्पाद और हॉट रॉल्ड(एचआर)तारों की मांगों में काफी कमी आई है जिसकी वजह से उत्पादन में कमी की जा रही है,हालांकि प्रबंधन ने कटौती करने की सीमा के बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया।
गौरतलब है कि विश्व के सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कपंनी आर्सेलर मित्तल और टाटा स्टील की सहायक कंपनी कोरस दोनों ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस्पात की मांगों में आई कमी के चलते मार्च 2009 तक उत्पादन में 30 प्रतिशत तक की कटौती करने की घोषणा कर चुकी है।
घरेलू बाजार में जेएसडब्ल्यू को अतिरिक्त उत्पादन नहीं करने पर मजबूर होना पड़ा और परिणामस्वरूप इसने उत्पादन में 20 प्रतिशत तकी की कटौती की घोषणा कर डाली। मजबूत रियलाइजेशन की मदद से सेल ने सितंबर 2008 की तिमाही में राजस्व में 34 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की। हालांकि कंपनी द्वारा कीमतों में प्रति टन 6,000 रुपये की कटौती करने और वॉल्यूम में गिरावट आने की संभावना बन रही है, राजस्व में गिरावट आने के आसार बन रहे हैं।
घरेलू बाजार में इस्पात की कीमतों में इस साल सितंबर 2008 तक 24 प्रतिशत तक की गिरावट आई है जिसको देखते हुए सेल के प्रबंधकों का मानना है कि इससे मुनाफेपर असर पड़ेगा। सेल के प्रबंधन के इस तरह के बात कहने केपीछे की वजह यह है कि सेल के कुल राजस्व का 90 प्रतिशत हिस्सा घरेलू बाजार से प्राप्त होता है।
चिंता की बात यह है कि सितंबर तिमाही में कंपनी का परिचालन मुनाफा 300 आधार अंकों की गिरावट केसाथ 21.3 प्रतिशत केस्तर पर पहुंच गया।
मार्जिन में आई इस गिरावट में अभी सुधार आने की संभावना नहीं दिखाई दे रही है क्योंकि कंपनी को अभी भी उंची कीमतों पर इस्तेमाल केलिए कोयला खरीदना पड़ रहा है। कच्चे मालों पर आनेवाली लागत में उसी शर्त पर कमी आएगी जबकि कोयले की कीमतों को कम करने को लेकर किसी तरह की सकारात्मक बातचीत नहीं की जाती है।
हालांकि अगले दो तिमाहियों में इस बात की संभावना बिल्कुल नजर नहीं आ रही है। यहां तक कि जेएसडब्ल्यू के मार्जिन में भी सितंबर की तिमाही में कमी आई और जब तक कि कच्चे माल की कीमतों में गिरावट नहीं होती, तब तक इस स्थिति के बरकरार रहने की सभावना है।
विश्लेषकों का मानना है कि मांग में तेजी आने में अभी कुछ और समय लग सकता है। फिलहाल मौजूदा कीमतों को देखते हुए इस्पात के शेयरों की क ीमतें बहुत सस्ती हैं।