सत्यम कंप्यूटर केलिए आनेवाला समय चुनौतियों से भरा हो सकता है।
सत्यम कंप्यूटर की 14,000-15,000 कर्मचारियों को नियुक्त करने की योजना थी लेकिन कंपनी अब इस साल 8,000-10,000 कर्मचारियों को ही नियुक्त करने की योजना बना रही है जो कि कंपनी के लिए माहौल चुनौतीपूर्ण रहने का संकेत देता है।
हैदराबाद स्थित इस कंपनी ने 1.47-1.50 अर्निंग्स प्रति शेयर दर्ज करने की बात से सबको चौंका दिया है जिसका कि मतलब यह निकलता है कि कंपनी की आमदनी 17.6-20 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ेगी। यह आंकड़े पहले के अनुमानित आंकड़े से ज्यादा हैं जिसका कि कारण कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन में 100 से 150 आधार अंकों की बढोतरी होना है। हालांकि इसमें बहुत खुश होने की बात नहीं है क्योंकि सुधार की वजह बेहतर वॉल्यूम या कीमत नहीं है बल्कि यह तो कंपनी द्वारा प्रशासनिक और अन्य खर्चों में कटौती करने का परिणाम है।
वास्तव में कंपनी अपने भविष्य में प्रदर्शन को लेकर बहुत सावधान हो गई और इस बात की झलक कंपनी द्वारा संभावित राजस्व के तय किए गए आंकडों से मिलता है जोकि पहले की अपेक्षा पांच प्रशित कम है। कंपनी के लिए यह शुभ नहीं है क्योंकि इससे कंपनी केटॉपलाइन में मात्र 21 प्रतिशत की बढोतरी होगी जोकि पहले के अनुमान के26 प्रतिशत से कम है।
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है और कंपनी प्रबंधन को विपरीत मौद्रिक परिचालन होने केकारण वॉल्यूम में गिरावट के साथ ही कुछ आर्थिक नुकसान होने की उम्मीद है। सत्यम का बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में कारोबार बहुत कम है और इन क्षेत्रों का इसके राजस्व में योगदान मात्र 20 प्रतिशत का होता है।
इस वजह से वैश्विक क्रेडिट संकट का इस पर अपने प्रतिद्वंदियों की बजाय अपेक्षाकृत कम असर पडने की संभावना है। हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि वैश्विक क्रेडिट संकट का असर कुछ हद तक इसके कारोबार पर जरूर पड़ेगा। इसकेअलावा कंपनी को कंसल्टिंग और इंटरप्राइजेज औ प्लानिंग के क्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है जिसका कि कंपनी के राजस्व में योगदान करीब 44 प्रतिशत होता है।
इधर कंपनी द्वारा वेतनों में इजाफा करने से सितंबर 2008 की दूसरी तिमाही में कपंनी को मार्जिन 110 आधार अंक की गिरावट के साथ 23.1 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया। हालांकि रुपयों में गिरावट आने केबावजूद यह स्थिति बनी रही क्योंकि इससे कपंनी के राजस्व में 7.6 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई और यह 2,819 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
करेंसी के प्रतिकूल परिचालन केपरिणामस्वरूप कीमतों में गिरावट दर्ज की गई और कंपनी का मानना है कि अगले छह महीने तक कीमतें इसी स्तर पर बनी रहेंगी। कंपनी का शुध्द मुनाफा 6 प्रतिशत के उछाल केसाथ 581 करोड रुपये रहा। फिलहाल 266 रुपये पर कंपनी के शेयरों का कारोबार वित्त वर्ष 2009 के अर्निंग्स के 8 गुना केज्यादा केस्तर पर हो रहा है।
एचडीएफसी बैंक : मंदी केसंकेत
कर्ज देने वाले बड़े बैंकों में शुमार एचडीएफसी बैंक का परिणाम सितंबर 2008 की दूसरी तिमाही में करीब 2.24 प्रतिशत के साथ सपाट रहा और यह साफ तौर पर कर्ज देने के माहौल को परिलक्षित करता है।
कर्ज लेना अब काफी महंगा हो गया है जो कि कंपनी के ब्याज खर्च में बढ़ोतरी से साफ झलकता है। यद्यपि खुदरा जमाकर्ताओं की हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है, एचडीएफसी में थोक जर्माकर्ताओं की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत के आसपास है।
ऊंची ब्याज दरों और परिसंपत्ति की कीमतों में अभी तक कोई विशेष गिरावट नहीं होने के बावजूद आवासीय ऋण केलिए कई लोग कतार में खड़े हैं। एचडीएफसी का डिसबर्समेंट, हालांकि जून की तिमाही में मंद गति से विकास करने के बावजूद 25 प्रतिशत ऊपर रहा। जून की तिमाही में साल-दर-साल के हिसाब से यह बढ़ोतरी 28 प्रतिशत थी। जैसा कि अर्थव्यवस्था के कमजोर पडने के साथ ही इस साल की दूसरी छमाही में नए घर खरीदनेवाल कुछ ही लोग हो सकते हैं हालांकि आवासीय संपत्ति में गिरावट के कारण स्थिति इसकेविपरीत भी रह सकती है।
एचडीएफसी के लोन पोर्टफोलियों में विकास 30 प्रतिशत की रफ्तार से हुआ है लेकिन अब ऐसा लगता है कि इस साल यह बढ़ोतरी 24-25 प्रतिशत केआसपास रहेगी। ऐसा माना जा रहा है कि प्रबंधन पोर्टफोलियो में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी का लक्ष्य लेकर चल रही है।
औसतन फंड जुटाने के सितंबर तिमाही अधिक महंगे हो जाने के कारण बारोइंग के और अधिक खर्चीले हो जाने की संभावना है। हालांकि इस कठिन कारोबारी समय में जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह है परिसंपत्ति की गुणवत्ता।
एचडीएफसी के लोन पोर्टफोलियो पर दबाव पड़ने के अभी तक कोई संकेत नहीं हैं क्योंकि नेट नॉनपरफॉर्मिंग लोन में जून 2008 की तिमाही के 0.7 प्रतिशत केमुकाबले मामूली गिरावट आई है और यह 0.62 प्रतिशत के स्तर पर रहा।