नकदी और डेरिवेटिव सेगमेंट में अक्टूबर में कारोबार की मात्रा घट गई। यह इस बात का संकेत है कि निवेशक सतर्क हो गए हैं। यह गिरावट ऐसे समय हुई जब बेंचमार्क सूचकांकों ने मार्च 2020 के बाद सबसे तेज मासिक गिरावट दर्ज की।
एनएसई (NSE) और बीएसई (BSE) पर नकदी में रोजाना का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम 12.4 फीसदी घटकर 1.14 लाख करोड़ रुपये रह गया। यह अप्रैल के बाद का सबसे निचला स्तर है।
वायदा एवं विकल्प सेगमेंट में रोज का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम 3.5 फीसदी घटकर 518 लाख करोड़ रुपये रह गया। जून में 1.65 लाख करोड़ रुपये के उच्चस्तर पर पहुंचने के बाद नकदी में रोज का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम 30 फीसदी से ज्यादा घटा है।
कैश यानी नकदी वॉल्यूम में गिरावट इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़े जोखिम को लेकर सेबी की चेतावनी के बाद हुई है। जुलाई में सेबी के अध्ययन में बताया गया था कि 71 फीसदी इंट्राडे सौदों में नुकसान हुआ है।
अक्टूबर में एनएसई निफ्टी 6.22 फीसदी गिरा जबकि एनएसई निफ्टी मिडकैप 100 और एनएसई निफ्टी स्मॉलकैप 100 में क्रमश: 6.7 फीसदी और 3 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। कई शेयरों में तो इससे भी ज्यादा गिरावट आई। इस कारण कुछ निवेशकों ने अपनी ट्रेडिंग गतिविधियां रोक दीं।
इस बीच, डेरिवेटिव वॉल्यूम हालांकि सितंबर के उच्चस्तर से मामूली ही घटे हैं लेकिन आगे के महीनों में इनमें 20 से 30 फीसदी की गिरावट की आशंका है क्योंकि डेरिवेटिव ट्रेडिंग पर सेबी के सख्त नियम लागू हो जाएंगे।
20 नवंबर से एनएसई व बीएसई एक-एक इंडेक्स एनएसई निफ्टी और एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में सिर्फ साप्ताहिक एक्सपायरी की इजाजत देगा। दोनों एक्सचेंजों ने निफ्टी बैंक, निफ्टी मिडकैप सलेक्ट, निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज और बीएसई बैंकेक्स के साप्ताहिक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने की घोषणा की है।
इसके अलावा इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए कॉन्ट्रैक्ट का आकार भी तिगुना होने वाला है। अन्य कदम मसलन खरीदारों से ऑप्शन प्रीमियम का अग्रिम संग्रह और पोजीशन लिमिट की इंट्राडे निगरानी अगले साल से प्रभावी होंगे।