रुपये में गिरावट बाजार को शायद ही नीचे ले जाएगा, हालांकि यह विदेशी निवेशकों को भारतीय इक्विटी से मिलने वाले रिटर्न को कम आकर्षक बनाता है। सितंबर से रुपये में 3.1 फीसदी की गिरावट आई है और इस अवधि में भारतीय इक्विटी बेंचमार्क निफ्टी और सेंसेक्स में क्रमश: 8.5 फीसदी व 7.3 फीसदी की नरमी दर्ज हुई है। हालांकि विभिन्न महीनों में रुपये में आई हर गिरावट पर बाजारों में कमजोरी नहीं देखने को मिली।
जनवरी 2022 से अक्टूबर 2022 तक रुपये में 10.2 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन निफ्टी और सेंसेक्स में क्रमश: 3.8 फीसदी व 4.3 फीसदी का इजाफा हुआ। इसी तरह अप्रैल 2018 से अक्टूबर 2018 तक रुपये में 12 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन निफ्टी व सेंसेक्स में क्रमश: 2.7 फीसदी व 4.5 फीसदी का इजाफा हुआ। विभिन्न महीनों में रुपये में गिरावट के पांच उदाहरणों से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा में गिरावट अनिवार्य रूप से बाजार में गिरावट नहीं लाता है। बेंचमार्क सूचकांकों ने पिछले इन पांच में से दो मौकों पर बढ़ोतरी दर्ज की है।
बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि रुपये में गिरावट बिकवाली के दबाव में इजाफा कर सकता है, क्योंकि बाजार पहले से ही अन्य मसलों जैसे उच्च मूल्यांकन, धीमी आय और विदेशी मुद्रा में कमी से जूझ रहा है। मुद्रा में गिरावट के समय निवेशकों को बाजार की चाल का पता लगाने के लिए इन कारकों पर नजर डालने की दरकार है।