अधिकतर निवेशक सम्वत 2065 में शेयर बाजार को लेकर कोई भी भविष्यवाणी करने से बचना चाहते हैं।
पिछले साल के बाद बाजार के रुख में नाटकीय परिवर्तन आया है। इसे देखकर भारतीय शेयर बाजार के मूड का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है।
इस समय भारतीय बाजार वैश्विक वित्त बाजार में आए तूफान के थपेड़े झेल रहा है जिसके चलते अमेरिका के 50 के करीब बैंक तबाह होने के कगार पर पहुंच गए, वहीं निवेश बैंकिंग पूरी तरह से खत्म ही हो गई। जनवरी में 21,000 का स्तर छूने के बाद से ही बीएसई सेंसेक्स लगातार नीचे गया है।
सिंगापुर स्थित हेलियोस कैपिटल के फंड मैनेजर समीर अरोड़ा ने बताया कि सूचकांक के स्तर को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता, लेकिन इतना तो तय है कि अगली दिवाली तक बाजार के मूड में परिवर्तन होगा ही क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका और यूरोप की अर्थव्यवस्था की तरह प्रभावित नहीं हुई हैं।
एनाम सिक्योरिटीज का मानना है कि अगली दिवाली तक बाजार 15,000 के स्तर तक जा सकता है। दूसरे ब्रोकर हाउस भी मानते हैं कि अगली दिवाली तक बाजार के रुख में परिवर्तन होगा। हालांकि अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर फंडामेंटल बेहद कमजोर हैं।
प्रभुदास लीलाधर के प्रबंध निदेशक अमिषा वोरा ने कहा कि अगले 12 महीने में बाजार कुछ रिकवरी तो करेगा ही, लेकिन अर्थव्यवस्था की बात करें तो स्थिति और बिगड़ सकती है। कंपनियां कैश एकत्र करने में जुटी हैं और डेट मुक्त कंपनियों के शेयर पसंदीदा स्टॉक होंगे।
दो साल के लिए निवेश करने वाले निवेशकों के लिए इक्विटी मजबूत एसेट क्लास बनी रहेगी। साथ ही निवेशकों को रियल एस्टेट में उतरने के लिए अगले साल के मध्य तक का इंतजार करना चाहिए। सिटीग्रुप के अनुसार भारत और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं को अपने बड़े घरेलू बाजार का लाभ मिलेगा जिससे वे अपनी मजबूत विकास दर बरकरार रखने में सफल रहेंगी।
एनाम सिक्योरिटीज के नंदन चक्रवर्ती और सच्चिदानंद शुक्ला ने बताया कि अक्टूबर-दिसंबर 2008 के पीड़ा, जनवरी-जुलाई 2009 की उदासीनता के बाद अंतत: अगस्त 2009 के बाद बाजार का अच्छा समय आएगा। एक समय वैश्विक बाजार में छाया संकट छंट जाने के बाद भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था को फिर से संस्थागत विदेशी निवेशकों (एफआईआई) से निवेश मिलने लगेगा।
फ्रेंकलिन टेंपलटन इन्वेस्टमेंट इंडिया के सुकुमार राजा के अनुसार उनका विश्वास है कि भारतीय बाजार लंबी अवधि से लेकर मध्य अवधि में अच्छा रिटर्न देगा और इसकी अर्थव्यवस्था फिर अधिक विकास दर की स्थिति में आ जाएगी और फिर से निवेशक यहां के बाजारों में लौटेंगे।
अब तक वर्ष 2008 में निवेशकों ने भारतीय बाजारों में 12 अरब डॉलर की इक्विटी की बिकवाली की है जबकि संस्थागत घरेलू निवेशकों और म्युचुअल फंडों ने 13.51 अरब डॉलर इक्विटी बाजार में निवेश किए हैं। पर माना जा रहा है कि नीतियों में बदलाव के कारण भारतीय बाजार अगले साल बेहद सक्रिय रहेगा।