घरेलू इक्विटी बाजार सट्टेबाजों के लिए आकर्षक बन गए हैं, क्योंकि डेरिवेटिव बाजार ने नकदी बाजार के मुकाबले करीब 400 गुना कारोबार दर्ज किया। ऐक्सिस म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी आशिष गुप्ता द्वारा जारी रिपोर्ट ‘गेमीफिकेशन ऑफ इंडियन इक्विटीज’ में कई ऐसे आंकड़े पेश किए गए हैं जो अत्यधिक सट्टा गतिविधि पर आधारित हैं।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू बाजारों में सक्रिय डेरिवेटिव कारोबारियों की संख्या 2019 के 5 लाख से 8 गुना बढ़कर 40 लाख हो गई है। तुलनात्मक तौर पर, नकदी बाजार में, संख्या समान अवधि में 30 लाख से महज तीन गुना बढ़कर 1.1 करोड़ हुई।
कुल डेरिवेटिव कारोबार बढ़कर 4.3 लाख करोड़ डॉलर प्रतिदिन हो गया है, जो संबद्ध कंपनियों के बाजार पूंजीकरण का 1.2 गुना और प्रतिदिन होने वाले फ्री-फ्लोट कारोबार का तीन गुना है। ऐक्सिस एमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा, डेरिवेटिव कारोबार संबद्ध नकदी बाजार की तुलना में 400 गुना ज्यादा और डिलिवरी-आधारित ट्रेडिंग का 900 गुना है।
वैश्विक तौर पर भी, डेरिवेटिव बाजार नकदी बाजार के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय हैं और कारोबार अभी भी कैश मार्केट की तुलना में 5-15 गुना अधिक है। ऐक्सिस एमएफ ने अनुमान जताया है कि डेरिवेटिव बाजार की लोकप्रियता बढ़ेगी, भले ही एक्सचेंज विभिन्न अनुबंधों के लिए निपटान दिन में बदलाव करें और अनुबंधों का आकार घटाएं।
गुप्ता का कहना है, ‘अनुबंध ढांचे में बदलाव, नए जमाने के ट्रेडिंग ऐप की दक्षता से इस बाजार के सरलीकरण को बढ़ावा मिल रहा है।’ डेरिवेटिव बाजार छोटे शहरों से भी युवा निवेशकों को लगातार आकर्षित कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इक्विटी रिटेल निवेशक की औसत उम्र 35 वर्ष है, जबकि डिजिटल डिस्काउंट ब्रोकर से जुड़े निवेशक की उम्र 29 वर्ष है, जो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए 31 वर्ष के समान है। ध्यान देने की बात यह है कि डेरिवेटिव बाजार में आधे से ज्यादा नए ग्राहक 25 वर्ष से कम उम्र के हैं।’
डेरिवेटिव बाजार में वायदा एवं विकल्प शामिल हैं, जिसमें अनुबंध सूचकांक और कुछ खास शेयरों से जुड़े होते हैं। हालांकि इसमें इंडेक्स ऑप्शन का दबदबा है, जिसका कुल डेरिवेटिव कारोबार में 98 प्रतिशत योगदान है।